आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
तैरना मैं जानता नहीं
भंवर में पैर रोपता हूँ मैं
ढूँढता हूँ पहचान अपनी
अनचीन्हें बोझ ढोता हूँ मैं
सुखप्रद घरबार,
नयनाभिराम अति,
आसन सजाये हैं !
राम राज अभिषेक,
प्राण-प्रतिष्ठा को देख,
शिशिर में भी भक्तों के,
जोश गरमाये हैं ।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
तैरना मैं जानता नहीं
भंवर में पैर रोपता हूँ मैं
ढूँढता हूँ पहचान अपनी
अनचीन्हें बोझ ढोता हूँ मैं
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
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रद्दी में बिकते पुस्तकों के ढेर,
जवाब देंहटाएंपायदान होते बुद्धिजीवी;
बेहतरीन अंक
आभार
सादर
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सादर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका के लाजवाब सूत्रों का संयोजन श्वेता जी ! आभार संकलन में मेरे सृजन को सम्मिलित करने हेतु ।सस्नेह वन्दे ।
जवाब देंहटाएंकृपया *भूमिका के साथ * पढ़े ॥
हटाएंलाजवाब प्रस्तुति ..सभी लिंक्स बेहद उम्दा एवं पठनीय...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी स्थान देने हेतु दिल से आभार एवं धन्यवाद प्रिय श्वेता !
पर क्या सचमुच
उन्हें क्या कभी छू भी पाती है
हमारी लेखनी की पैनी धार?
लिखने वाले भी पात्र या दर्शक हो सकते हैं..जिनकी कुण्ठा इन पन्नों पर उतरती हो..
चिंतनपरक सारगर्भित भूमिका आपकी प्रस्तुति की खासियत है ।