।।उषा स्वस्ति।।
मैं कुछ नहीं लिखता
मेरे हृदय में
एक विरहिणी स्त्री रहती हैं
वो रो देती है,और मैं उसका
दुख काग़ज़ पर उकेर देता हूँ..
रविन्द्रनाथ टैगोर
बंसत पंचमी की हार्दिक शुभाशुभ 🙏 संग कागज पर उकेर देने की प्रस्तुति पढे ..
इस वैलेंटाइन डे पर...
आओ,मैं तुमको सुनाऊँ एक किस्सा
जो नहीं है इस समय का हिस्सा
सच्ची ये कहानी है ना समझो जुबानी है
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किसी न किसी रूप में प्रेम का अनुभव सभी को होता है,पर उसे शाश्वत बनाने की कला नहीं आती । यह कला तो कोई सद्गुरू ही सिखाते हैं.
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भाप में तब्दील इक दरिया का पानी हो गया
एक किस्सागो शहर का ख़ुद कहानी हो गया
खुशबुओं की शाल ओढ़े आ गया छत पर ये कौन
चाँद निकला और मौसम रातरानी हो गया..
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कुछ भी नहीं सोचती मैं
तुम्हारे बारे में
न ही लेती हूँ
कोई इल्ज़ाम अपने सर.
न सुन पायी उसके मुँह से..
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हल्की,गहरी,
संकरी,चौड़ी
खुरदरी,नुकीली,
कंटीली..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
वसंत पंचमी पर शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसादर
प्रेम दिवस पर मनभावन रचनाओं का सुंदर संयोजन ! माँ वीणा वादिनी की कृपा सब पर बनी रहे ! आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स. हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
सुंदर भूमिका की पंक्तियों के साथ मनभावन रचनाओं का सुंदर संकलन है आज का अंक मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार आपका दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह प्रणाम।
बसंत पंचमी पर्व और प्रेम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को,आज की इस सुन्दर संकलन में मेरी रचना को स्थान देने और उसे शीर्षक में सजाने के लिए दिल से शुक्रिया पम्मी जी, मां सरस्वती हम सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद अपने प्रिय मंच पर आकर, अच्छा लगा प्रिय Pammi जी!ब्लॉग जगत के समस्त सहयोगियों और प्रिय पाठकों को बसंत पंचमी और प्रेम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! आज की सभी रचनायें बहुत बढ़िया लगी! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई 🙏
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