निवेदन।


फ़ॉलोअर

रविवार, 4 फ़रवरी 2024

4026...तो फिर हम क्यों इतने तन्हा इतने उदास...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया शुभा मेहता दीदी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

रविवारीय अंक में पढ़िए पाँच चुनिंदा रचनाएँ-

ढ़लती सांझ

ढ़लनी है, ढ़ल तो जाएगी ये सांझ,

लघुतर, जीवन के क्षण,

विरह का, आंगन,

वृहदतर, तप्त उच्छवासों के क्षण,

इन्हें कौन करे पराजित!

७५५. काश,कोई मुसीबत टूटे 

हमीं में शायद कोई कमी थी वरना,

सारा ज़माना किसी से किसलिए रूठे?

पाँवों तले जिनके हथेली बिछाई,

उन्होंने दिखाए हमें दूर से अँगूठे.

ज़िन्दगी को बदलते देखा है मैंने

साथ पढ़े दोस्तों को बदलते देखा है !

सुना जॉर्ज अंकल की बेकरी नहीं रही

वो अयप्पा मंदिर बहुत बड़ा बनगया अब

पेड़ों के पत्ते झड़कर फिर आ जाते हैं

दोस्ती में अब वो वफ़ादारी नहीं है अब

ज़िन्दगी को बदलते देखा है मैंने

एक गीत -मन की खुशबू कहाँ पुरानी होती है

वंशी की

आवाज़

नदी की लहरों में,

अक्सर

चाँद रहा

मेघोँ के पहरों में,

आँखों की

भी बोली

बानी होती है.

*****

अतीत का झरोखा

पंखी 

क्या पता है हमें

कि आते होगें

ये बच्चे कभी

मिलने ....

तो फिर हम क्यों

इतने तन्हा

इतने उदास

इंतजार  करते

आने का उनके

सीखो ना ....

पंछियों से ...

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव  


5 टिप्‍पणियां:

  1. आदरेषु
    शानदार अंक
    आभार
    सादर वंदे

    जवाब देंहटाएं
  2. 2सरे और 5वे सूत्र में वही समस्या है जो कल के राम नाम सूत्र में थी l क्लिक करने पर ब्लॉगर खुल रहा है l

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर प्रणाम सर।

      अब समस्या समझ आ गई है ,संभवतः पुनरावृत्ति नहीं होगी।

      हटाएं
  3. सभी लिंक्स अच्छे और पठनीय. सादर अभिवादन

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...