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सोमवार, 26 फ़रवरी 2024

4048 ..कैसे इस दुनिया को बनाया जाए बेहतर

 सादर अभिवादन

26 फरवरी...तीन दिन शेष
फिर सामना होगा आपको आपसे ही
होली भी है..और रमजान भी है
और रमजान है तो बारिश भी होगी
ईश्वर सभी के लिए सोचता है
छठ के लिए, तीज के लिए
और ईद के लिए भी

आज की रचनाएँ



कैसे इस दुनिया को
बनाया जाए बेहतर ।
वो दुनिया नहीं जो हमें
तोहफ़े में मिली है,
ईश्वर ने दी है ।
वो दुनिया जिसे
हमने मनमानी कर के
बिगाड़ा है ख़ुद,




पहुँच है तो
एक मार्ग के साथ
और एक ही भाषा
होती ही नही मार्ग की
मौन होते हैं कई
बोलिया भी है कई
और अंततः
यही होता है
ज्ञान...




एक अरसे से कोई मुलाकात नहीं
किस बात पे हमसे नाराज़ हो तुम
 
हम तुमसे जुड़े जैसे रूह से' बदन
परिंदा है हम , परवाज़ हो तुम





दरपन -दरपन
चोंच मारती
ढके हुए परदे उघारकर,
सूर्योदय से
प्रमुदित होकर
हमें जगाती है पुकारकर,
धूल भरी आँधी में
टहनी टहनी
उड़कर कौन दहेगा.




फिर भी तुम्हें प्रेम को
जीवंत रखना होगा
वह मर जाता है
कुम्हल जाता है ततक्षण
इंतज़ार नहीं करता
उसे जीवंत रखना पड़ता है




पुरुष कठोर होते हैं
इसलिए उनके आँसू बर्फ़
बन जाते हैं
स्त्री कोमल होती है
इसलिए उनके आँसू
झरने की तरह बह जाते हैं।



कल सखी आएगी
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात ! एक से बढ़कर एक रचनाओं से सजा है आज का अंक, भूमिका भी शानदार है, शुभकामनाएँ !!

    जवाब देंहटाएं
  2. अनंत आभार, यशोदा जी. भावों के सुन्दर संकलन में स्थान देने के लिए. ईश्वर सबके लिए सोचता है ...सोच को सोच से जोड़ती संक्षिप्त एवं सारगर्भित भूमिका के लिए सादर अभिनंदन आपका और सभी रचनाकारों को बधाई . नमस्ते.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर सराहनीय संकलन।
    स्थान देने हेतु हार्दिक आभार दीदी।
    सादर नमस्कार।

    जवाब देंहटाएं

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