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बुधवार, 21 फ़रवरी 2024

4043..क्या बसन्त आ गया ?

 ।।प्रातःवंदन। ।

शीशम के तारुण्य का
आलिंगन करती लता
रस का अनुरागी भ्रमर
कलियों का पूछता पता
सिमटी सी खड़ी भला
सकुचायी शकुन्तला
मानो दुष्यन्त आ गया
देखो बसन्त आ गया !

शास्त्री नित्य गोपाल कटारे
प्रस्तुतिकरण में आज लाई हूँ चुनिंदा लिंक जिसे आप सभी पढ़ें और चंद शब्दों से अलंकृत करें.✍️
 तुम्हारे बिना भी चल ही रही है ज़िंदगी,

मैं जी रही हूँ, हँस रही हूँ, खा-पी भी रही हूँ,

पर कभी कभी ये मुझे रुला ही जाती है ..
⭕️



सारा शहर जल चुका ताहम दिले आशियां है बाक़ी,

इक अजीब सा जुनून है, अनदेखे हुए मसीहाई का,

जिस्म तो राख हुआ सिर्फ़ स्याह परछाइयां
पत्नी कल कुछ दिनों के लिए बेटे के पास गई थी और मैं घर पर अकेला था, तभी इस लघु-कथा का प्लॉट दिमाग में आया।
⭕️




संदेशखाली मामले में संसद की प्रिविलेज कमेटी यानी विशेषाधिकार..
⭕️
सात भांवरों की थकान उतारी न गई

दो घरों के होते हुवे नारी पराई ही रही।
।।इति शम।।
धन्यवाद 
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️

4 टिप्‍पणियां:

  1. क्या सचमुच ममता बनर्जी की सरकार गिर गई
    शानदार अंक
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. चश्म ए मयख़ाना लिंक्ड नहीं लग रहा है

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर रचनाओं का चयन

    जवाब देंहटाएं
  4. तृप्ति जी, आज के चयन में मेरी लघु-कथा को भी जगह देने के लिए बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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