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शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

4045....तेरे बाद....

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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नाम गुम जायेगा चेहरा ये बदल जायेगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है गर याद रहे.....

अमीन सयानी किसी परिचय के मोहताज नहीं
विश्व में हिंदी के लोकप्रिय रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी अब नहीं रहे। अपनी आवाज में यादों का सागर छोड़ कर उन्होंने विदा ले ली है। उन्होंने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसिद्धि और लोकप्रियता हासिल की जब उन्होंने रेडियो सीलोन के प्रसारण पर अपने बिनाका गीतमाला कार्यक्रम को प्रस्तुत किया । वह आज भी सर्वाधिक अनुकरणीय उद्घोषकों में से एक थे। पारंपरिक "भाइयों और बहनों" के विपरीत भीड़ को "बहनों और भाइयों" के साथ संबोधित करने की उनकी शैली को अभी भी एक मधुर स्पर्श के साथ एक घोषणा के रूप में माना जाता है। अमीन सयानी वस्तुत हिंदी भाषा के लिए एक ऐसी अमूल्य निधि हैं जिनको सदैव याद किया जाएगा।




तेरे बाद 
गाँव के नुक्क्ड़ों पर ताश की बाजियां 
चार लोगों की हथाइयाँ 
भूख मारने को भिनभिनाते लोग
गिले-शिकवों में यूँ ही बसती रहेगी बेबसी  
कुछ भी तो न ठहरेगा 





भोर नन्दिनी उठी अबोध रूप भा गया।
कोकिला प्रमोद में कहे बसंत आ गया‌‌
मोह में फँसा विमुग्ध भृंग है प्रमाद में।
हंस है उदास सा मरालिनी विषाद में।
हो उमंग में विभोर मोद से हवा चली।।




मातृभाषा में बोलना 
होता है जैसे 
मां  छाती से लिपट जाना
माटी में 
लोट जाना



धीरे धीरे आँखो ने ये दिन भी दिखाये,
रो देते थे जिन बातो पर अब उदास नहीं होते

तालुख़ इस क़दर अपने तलख़ हुये,
दूर बहुत हो जाते है जब जरा पास नहीं होते.



भाटिन अंगुरिया  छूंछ


कहानियों की छाजनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी के आसपास ही छायी हुई है। सुबह की चाय, पति से रार, सहेलियों का इनकार, सब्ज़ी-बाज़ार, मुहल्ले का मोड़, जानवरों और पंछियों का आलोड़, नईहर के यादों की हिलोर - सबकुछ छितराया हुआ मिलता है यहाँ। मानवीय संवेदना के धरातल पर एक नयी चेतना का उच्छवास है। कहानी की शैली इतनी सुघड़ है कि पढ़ते-पढ़ते पाठक ऐसी मनोदशा को प्राप्त कर लेता है मानों वह ख़ुद अपनी बात किसी से बतिया रहा  हो – एकदम बिंदास मिज़ाज में देसी ठाट के साथ। बातें मध्यमवर्गीय नागरी शैली में निकलती हैं लेकिन जल्दी ही अपने स्वाभाविक मीठे देहाती संस्कार के मनभावन गर्भ-गृह में थसक के बैठ जाती हैं। फिर तो पाठक कहानी के रस को पीने लगता है।
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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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7 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अंक
    दूर बहुत हो जाते है जब जरा पास नहीं होते.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी रचनायें स्वेता जी🙏💐

    जवाब देंहटाएं
  3. जी, बहुत सुंदर प्रस्तुति की बधाई और आभार🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर अंक , अमीन सयानी जी पर सटीक पंक्तियां श्वेता आपकी।
    सभी रचनाएं पठनीय अभिनव, सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को इस अंक में स्थान देने के लिए हृदय से आभार आपका श्वेता।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खुबसुरत हलचल
    मंच तक ले ही आते हो आप हर बार
    श्वेता जी दिल से आभार.

    जवाब देंहटाएं

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