शीर्षक पंक्ति: आदरणीय सतीश सक्सेना जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की चुनिंदा
रचनाएँ-
जब यह चुना गया
मेरे मन की बात पूरी हुई
सब जगह से प्रशस्ति पत्र मिले
मेरे मन को संतोष हुआ।
अगर बहता है बहने दो, तुम्हारी आँख का पानी-सतीश सक्सेना
जमा होने नहीं पाये , तुम्हारी आँख का पानी !
यही ठंडक बहुत देगा, तुम्हारी आँख का पानी!
हमेशा रोकने में ही , लगायी शक्ति जीवन में !
न जाने कितनी यादों को समेटे आँख का पानी!
हैं बहारें खिली मधुबन में, मौसम आज तड़पा रहा
गा रही हवाएं गीत मधुर, दिलअपना बस तुम्हारा रहा
बादल अँगना घिर घिर आया, छमाछम मींह बरसाया
निभाई प्रीत दिल से हमने ,हाल.अपना क्या कर लिया
खुशियाँ मिले तमाम उसको
घर परिवार मे भी खुशहाली हो
सपने उसके हो सब पूरे
वो परिवार की अंशुमाली हो ||
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
आज के इस अंक में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार 🙏
जवाब देंहटाएंवाह! सुन्दर अंक व
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