सादर अभिवादन...
भाई कुलदीप जी ने पृष्ठ तो खोल दिया पर....
उनका नेट जो है न...
इन्टेन्सिव क्रिटिकल केयर यूनिट में जमा हो गया
सो उन्हीं के पेज में यशोदा आपके समक्ष.....
आई सी यू में अलौकिक शक्ति का रहस्य....प्रकाश गोविन्द
एक हॉस्पिटल के आई सी यू में
हर रविवार
एक ही बिस्तर पे ठीक 11 बजे
एक मौत हो रही थी
---
हर रविवार उसी बेड पर
ठीक उसी समय हो रही मौत
डॉक्टरों की समझ से परे थी,
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhytqyN_rhuIFxfu-7hJwP6j41Ow8ytKpPYGqENm0QILO46NJB_cwL1bnQbKKEpFeyXcBqlTwwiJOVdWuBM7OdL_Ym7asPKsHDK21aY6OCf9-gn_GsHClbxR691GfwvXufSMF7P2Q3xxJCS/s320/20171030_063918.jpg)
भाई कुलदीप जी ने पृष्ठ तो खोल दिया पर....
उनका नेट जो है न...
इन्टेन्सिव क्रिटिकल केयर यूनिट में जमा हो गया
सो उन्हीं के पेज में यशोदा आपके समक्ष.....
आई सी यू में अलौकिक शक्ति का रहस्य....प्रकाश गोविन्द
एक हॉस्पिटल के आई सी यू में
हर रविवार
एक ही बिस्तर पे ठीक 11 बजे
एक मौत हो रही थी
---
हर रविवार उसी बेड पर
ठीक उसी समय हो रही मौत
डॉक्टरों की समझ से परे थी,
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhytqyN_rhuIFxfu-7hJwP6j41Ow8ytKpPYGqENm0QILO46NJB_cwL1bnQbKKEpFeyXcBqlTwwiJOVdWuBM7OdL_Ym7asPKsHDK21aY6OCf9-gn_GsHClbxR691GfwvXufSMF7P2Q3xxJCS/s320/20171030_063918.jpg)
उनसे कह न पाते जो शब्द मेरे,
विस्तारपूर्वक कह गई थी उनसे मेरी नमी!
उस हार मे भी था जीत का एहसास,
विहँस रहे नैन उनके, समझ चुके वो मेरे मन की!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkA2ZpodOAOtsokuLFARyamMLCAZLe03uHgYkMu2pCPC-bnSeeL_w7sKtiQ9cgo3i-YCEfTsNjp6z9dmkWxeMrpl_5pTS11ZMAlBIgFANu5NW94LganghefZRcGoHzJSmk7MZ41P89faY/s320/gplus1172605083.jpg)
भँवर
और तितली
फूलों से
बतियाने लगे,
गुलाब की
खुशबू ने
बाग का
हर कोना
महकाया है।
साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
मन सागर में ज्वार उठा
आते देखा अपना 'चाँद'
फिर अम्मी की ईद हुई
छुट्टी पर घर आया 'चाँद'
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg8KaHHj5mtim8dU3lOdvaiT3Y-0BNgAAZavV-WCVT0cEnkyUtx8owMvaU1S7XrZ7xp2MSCdRfvDu-RcExxSjGv5o1qwfZOwz2f03hyphenhyphenpY4jzrnj6LG1I6RTOl6noBBGU4mzBnMsNoCrCA8/s320/Final.jpg)
फिसलकर सर्प ऊपर से गिरा जब तेज आरे पर।
हुआ घायल, समझ दुश्मन, लिया फिर काट झुँझलाकर।
हुआ मुँह खून से लथपथ, जकड़ता शत्रु को ज्यों ही
मरे वह सर्प अज्ञानी, कथा-संदेश अतिसुंदर।।
यही वे शब्द हैं
उपयोग किया है
हरिवंश राय ने
शौकत थानवी ने भी
अपनाया इसे...
इन्हीं शब्दों से
हंसाया जग तो