बस चंद ही कदम की दूरी पर
खड़ी बेचैन सी है
हमारी अपनी दीपावली
असमंजस में है वह..
तमाम बंदिशों को भी

सूरज डूबा दरिया में.......श्वेता सिन्हा
थके पाँव पंछी भी लौटे,दीप सपन के आँख जले
बिटिया पूछे बाबा को,क्या झोली में भर लाई शाम।
छोड़ पुराने नये ख़्वाब नयना भरने को आतुर हैं,
पोंछ के काजल चाँदनी डाले थोड़ी-सी पगलाई शाम।



मांग का मौसम.... अपर्णा वाजपेई
जब-जब बहारों का मौसम आता है,
वो ज़र्द पत्ते तलाशती है खुद के भीतर,
हरियाले सावन में अपना पीला चेहरा...
छुपा ले जाती है बादलों की ओट,
ब्रम्ह प्रहर...विश्वमोहन
लघु ऊर्मि बन दीर्घ उच्छवास,
सागर के वक्ष पर करे हास.
चढ़े श्रृंग, फिर गर्त में उतर,
सरपट दौड़े नाचे तट पर.
कर सैकत राशि से आलिंगन,
लहरें टूटें बिखरे जलकण.

तेरी जुबां पे ना आई मेरी ग़ज़ल....सईद राही
एक -एक लफ्ज़ बन के उड़ा था धुंआ -धुंआ
उस ने जो गुनगुना के सुनाई मेरी ग़ज़ल
हर एक शख्स मेरी ग़ज़ल गुनगुनाएं हैं
‘ राही ’ तेरी जुबां पे ना आई मेरी ग़ज़ल
...........
पाँच दिनी पर्व का प्रारम्भ मंगलवार से..
सो मंगलवार तक अबाध
प्रकाशन जारी रहेगा....
दिनांक अट्ठारह से इक्कीस तक
एक ही रचना किसी प्रख्यात साहित्यकार
की प्रकाशित की जाएगी
विनम्र अनुरोध....
पाठकगण कृपया साहित्यकारों के नाम सुझाएँ..
सादर
यशोदा
शुभ प्रभात दी:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंकों का संयोजन,सभी रचनाएँ सराहनीय है।मेरी रचना को विशेष मान देने के लिए हृदयतल से अति आभार दी।
साथी रचनाकारों को बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुंदर लिंकों का संयोजन, हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात यशोदा जी ! आज के हलचल में सभी रचनाएं अत्यंत सुन्दर ! मेरी रचना को भी सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार ! अंतिम पंक्तियों में आपका मंतव्य स्पष्ट रूप से समझ नहीं पाई ! एक ही साहित्यकार की रचनाएं पाँच दिन तक दी जायेंगी या किसी प्रख्यात साहित्यकार की एक ही रचना पाँच दिन तक दी जायेगी ? कृपया स्पष्ट करें !
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
सभी रचनाकारों को बधाई
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
ऊषा स्वस्ति।
जवाब देंहटाएंआज विविध वैचारिक बिषयों पर रची गयी मनोहारी ,आत्मचिंतन की भावभूमि का निर्माण करती बेहतरीन रचनाओं का संकलन आपने प्रस्तुत किया है आदरणीया बहन जी।
आज के अंक में -
प्रकृति के सौंदर्य से मन प्रफुल्लित करती आदरणीया श्वेता सिन्हा जी की रचना "सूरज डूबा दरिया में "
उड़ने को पंख मिल जायें और संस्कारों ,वर्जनाओं की कील( खूँटा ) ठोक दी जाय तो संवेदना मुखर हो उठती है .... जीवन संघर्ष को आत्मचिंतन की ओर मोड़ती आदरणीया साधना दीदी की रचना "खूँटा"
मर्ज़-ए-तन्हाई का इलाज लिए आयी है आदरणीय लोकेश नशीने जी की ताज़ा ग़ज़ल "लौट गई तन्हाई भी...
जीभ के स्वभाव और विवशता का स्मरण करती है आदरणीय ओंकार केडिया जी की रचना "जीभ की दहशत"
जीवन के अछूते, बिखरे पड़े भावों को क़रीने से सजाकर चिंतन-सामग्री बना देना, संवेदना को झकझोर देना आदरणीया अपर्णा बाजपेयी जी काव्य-सृजन का सुंदर मक़ाम है। उनकी रचना -मांग का मौसम द्रवित कर देने वाली है।
काव्य में माधुर्य और शब्द-व्यंजना के लिए आदरणीय विश्व मोहन जी को विशिष्ट स्थान प्राप्त है। उनकी रचना "ब्रह्म प्रहर " गहरा प्रभाव छोड़ती है।
"नई विधा" पर आदरणीया दिव्या अग्रवाल जी ने पेश की है आदरणीय सईद राही जी की ख़ूबसूरत ग़ज़ल "तेरी ज़ुबाँ पे न आयी मेरी ग़ज़ल ....
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
आभार सादर।
आदरणीया दीदी शुभप्रभात ,आज का अंक विशेष लगा खासकर आदरणीय विश्वमोहन जी की अनूठी कृति। सादर "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स. मेरी रचना शामिल की. आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अंक यशोदा दीदी !
जवाब देंहटाएंआपने कहा है कि दिनांक अट्ठारह से इक्कीस तक
एक ही रचना किसी प्रख्यात साहित्यकार
की प्रकाशित की जाएगी ,इसे मैं समझ नहीं पा रही । क्या हर दिन केवल एक रचना प्रकाशित होगी ?
फिर भी, इस सुअवसर का लाभ उठाते हुए मैं एक महान कवयित्री और साहित्यकार महादेवी वर्मा जी की रचना का आग्रह रख रही हूँ । उनकी रचना "मधुर मधुर मेरे दीपक जल " सभी को बहुत पसंद आएगी ।
आज के चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई । सादर।
स्पष्टीकरण....
जवाब देंहटाएंतात्पर्य हैं केवल उत्सव का
वो सभी के लिए समान है
सभी पूजा-आराधना में व्यस्त रहेंगे
और हमारा अंक भी बाधित न हो
इसीलिए यह कार्यक्रम बनाई हूँ...
इसके लिए... रचनाकारों की सूची आ चुकी है
प्रथम दिवस.. कविता शिरोमणि महादेवी जी वर्मा,
आदरणीय कुमार विश्वास एवं आदरणीय कुंवर बेचैन
क्रमशः इनकी रचनाएँ प्रकाशित होंगी....
गुरुवार दिनांक 19 अक्तूबर को अमावस्या है....
यदि भाई रवीन्द्र जी अपनी प्रस्तुति देना चाहते हैं तो उनका स्वागत है
सादर
सादर धन्यवाद दीदी ।
हटाएंआदरणीया बहन जी के प्रस्ताव से मैं सहमत हूं। इस आयोजन को जैसा आपने टाइप किया है वैसे ही चलने दीजिए। मैं अपनी प्रस्तुति स्थगित रखूंगा। आभार सादर।
हटाएंकृपया टाइप को पढ़ा जाए। धन्यवाद।
हटाएंटाइप=तय
हटाएंसुन्दर प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंसासू मां के स्वास्थ्य कारण से आज ब्लोग पर नही आ पायी. मेरी रचना कोशामिल करने के लिये आभार. सभी चयनित साथियों को बधाई. कुछ समय के लिये लेखन-पाठन सब कुछ स्थगित है. सबसे पहले मां देखभाल.बाकी सब बाद में.....
जवाब देंहटाएं