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गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

811....फोन चोरी होने से सबसे सम्पर्क खत्म हो गया...

सादर अभिवादन 
आज का दिन ख़ास महत्व रखता है। 
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।।आज शरद पूर्णिमा है।। 
शरद पूर्णिमा के बारे में मान्यता है कि आज के दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और चांदनी की छटा विशेष होती है। इस रात में मान्यतानुसार आकाश  से अमृत बरसता है अतः लोग परंपरा के  चलते खीर बनाकर चन्द्रमा की  चांदनी में रखते हैं फिर ग्रहण करते हैं। 

     आदि कवि,रामायण के रचयिता  
।।महर्षि वाल्मीकि जी।। 
की भी आज  जयंती है। 

श्रीकृष्ण के प्रेम की दीवानी 
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।। कवियत्री मीराबाई जी।।
की भी आज  जयंती है।
इन महान पूजनीय  हस्तियों को 
नमन और स्मरण  करते हुए चलिए बढ़ते हैं 
आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर -
आदरणीय राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" जी अपने तख़ल्लुस 
 को चरितार्थ करते हुए ढूंढ़ लाते हैं कुछ नया-सा विषय -       
रोज गार्डेन के पास एक एकड़ भूमि पर फैला कला भवन का निर्माण एवं पंजाब कला परिषद की स्थापना, डॉ. एम एस रंधवा  का सपना था जिसको उन्होंने मूर्त रूप दिया।  1979 से 1986 तक वे 
पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष रहे। एक ही छत के नीचे कला
साहित्य और संस्कृति के सभी गतिविधियों के लिए स्थान मैंने 
पहली बार  देखा जिसका नाम है कला भवन जो चंडीगढ़ के 
सेक्टर - 16 में स्थित है कला भवन में पंजाब कला परिषद
पंजाब संगीत नाटक अकादमी, पंजाब ललित कला अकादमी एवं पंजाब साहित्य अकादमी के दफ़्तर है। 

वैज्ञानिक सदैव हमारे लिए कुतूहल का बिषय होते हैं।  कठिनतम साधना में रमकर समाज के लिए चमत्कारी ,जीवन में परिवर्तन लाने वाले आविष्कार ,अनुसंधान करते हैं अपने जीवन की न्यूनतम परवाह करते हुए। पेश है श्री आशीष श्रीवास्तव जी  द्वारा प्रस्तुत 
विज्ञान-लेखक श्री देवेंद्र मेवाड़ी जी का  एक विज्ञान-लेख -  

दक्षिणी ध्रुव में एक भारतीय वैज्ञानिक….आशीष श्रीवास्तव

वैज्ञानिकों के अनुसार जीवों में यही विशिष्ट समय-बोध किसी अदृश्य घड़ी के माध्यम से होता है और समयबोध का यही माध्यम जैविक घड़ी है। डा. सिरोही के अनुसार यह स्वयं संचालित अर्थात् जीवन-क्रियाओं के निश्चित समय पर होने की आतंरिक प्रक्रिया है। परंतु कई वैज्ञानिक इसे पृथ्वी के घूमने तथा दिन और रात से प्रभावित होने वाली प्रक्रिया मानते थे। इसीलिए पृथ्वी के ध्रुव में जाकर पूर्ण अंधकार में, पृथ्वी के घूमने की विपरीत दिशा में घूमने वाली मेजों पर जीवों तथा वनस्पतियों का अध्ययन करने पर उन्होंने यह सिद्ध किया कि जीवों में समय-बोध की एक स्वतंत्र प्रक्रिया होती है।

मोबाइल फोन को लेकर हमारी निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है।  आज का सबसे बड़ा डर मोबाइल का खो जाना हो गया है। आदरणीया विभा दीदी के साथ भी मोबाइल से 
जुड़ा क़िस्सा पढ़िए क्या कहता है -


20 सितम्बर को दिल्ली स्टेशन पर ट्रेन में बैठे साढ़े ग्यारह-बारह बजे तक फोन से बात कर सोई तो सुबह चंडीगढ़ में आँख खुली... सधारणत: ऐसा मेरे साथ होता नहीं है .... मेरी नींद इतनी गाढ़ी कभी नहीं हुई कि समान चोरी हो जाये... फोन चोरी होने से सबसे सम्पर्क खत्म हो गया.... 

किसानों की पीड़ा को शिद्दत से महसूस करते हुए 
भाई कुलदीप जी ने रची है मार्मिक ,विचारणीय रचना - 



वो बुढ़ा किसान
कांपते स्वर में फिर बोला,

"ये आंदोलन थम जाएगा,

एक और किसान की आत्महत्या तक,
यही  हुआ है, होगा भी यही,
बंटे  हुए हैं जब तक किसान,
जब तक हम सभी किसान,
आत्महत्या कर रहे किसानों की पीड़ा को
अपनी पीडा नहीं मान लेते,
 आंदोलन हम स्वयम् नहीं,
इशारों से करते रहेंगे,
तब तक किसान भी
आत्महत्या करते ही रहेंगे।


ब्लॉग "मेरी धरोहर" पर आदरणीया यशोदा अग्रवाल जी 
द्वारा प्रस्तुत मशहूर शायर "जिगर मुरादाबादी" की 
नायाब ग़ज़ल मुलाहिज़ा फ़रमाइये- 

आदमी काम का नहीं होता.................जिगर मुरादाबादी

वो हमारे क़रीब होते हैं 
जब हमारा पता नहीं होता 

दिल को क्या क्या सुकून होता है 
जब कोई आसरा नहीं होता 

हो के इक बार सामना उन से 

फिर कभी सामना नहीं होता 

आज बस इतना ही। 
आपके स्नेहायुक्त सुझावों ,प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में। 
फिर मिलेंगे। 
रवीन्द्र सिंह यादव 


16 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    अच्छी रचनाएं पढ़वाई आपने
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात रवींद्र जी,
    आज के अंक में बहुत ही सुंदर प्रस्तुति बनी है।सारी रचनाएँ ज्ञानवर्द्धक एवं पठनीय है।बहुत बधाई आपको सुंदर लिंकों के सराहनीय संयोजन के लिए एवं सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ मेरी।

    जवाब देंहटाएं
  3. असीम शुभकामनाओं के संग शुक्रिया
    अब फोन खरीद कर आ तो गया लेकिन सबके नम्बर फिर से लेने में डर ना जाने इतने सालों में कौन क्या खार खा बैठा हो
    घर लौटी तो लैपटॉप मुँह खोलने से इंकार कर दिया इसलिए डॉक्टर के पास भेजना पड़ा है तो ब्लॉग लिंक्स पोस्टिंग कठिन
    उधार का लैपटॉप मिलना मुश्किल ��

    जवाब देंहटाएं
  4. वाकई,आज शरद पूर्णिमा को आपने अमृत बरसा दिया, रवीन्द्रजी!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति रविन्द्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर प्रस्तुतिकरण ....उम्दा संकलन.....

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर संकलन और प्रस्तुतिकरण.अच्छी संदेशपरक रचनायें.सभी चयनित रचनाकारों को बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय रविंद्र जी प्रणाम बेहद रोचक ,तार्किक एवं मनभावन रचनाओं से सजी आज की प्रस्तुति बन पड़ी है। हार्दिक बधाई आपको।

    जवाब देंहटाएं

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