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बुधवार, 18 अक्टूबर 2017

824.....मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!


सादर अभिवादन,,,
माता काली को शत-शत नमन
आज काली चौदस है...
किसी अर्थ में इस दिन को
नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है
इसके बारे में विस्तार से भाई रवीन्द्र जी बताएँगे
......
भाई कुलदीप जी से सुबह बात हुई इनसे...
उन्होंने एकदम नकार दिया
एक रचना - एक रचनाकार
के कार्यक्रम को...
दीपावली का समय है...
पाँच रचनाओं की ही बात है......
हम तीनों मिलकर रचनाएं चुन लेंगे....
.......
इस मंच में नवागन्तुक श्वेता जी का स्वागत है
आप जमशेदपुर से हैं...असाधारण घरेलू महिला
हार्दिक अभिनन्दन,,
........
सखी मीना जी का पसंदीदा साहित्यकार
ये रचना कक्षा दसवी के पाठ्यक्रम में है
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!........महादेवी वर्मा
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल
प्रियतम का पथ आलोकित कर!


अर्द्धांगिनी......सुशील शर्मा
पहले सिर्फ रिश्तों में थीं अब तो तुम्हारे अंग से मैं पूरा हुआ हूँ
"शैलेश ने वसुधा की गोदी में अपना सिर रखते हुए कहा।

बाहर बच्चों की किलकारियां और दीवाली के पटाखों की आवाज़ आ रही थीं
इधर वसुधा शैलेश के बालों में हाथ फिराते हुए  सोच रही थी क्या सावित्री अपने सत्यवान को इसी तरह से यमराज से लड़कर वापिस लाई होगी। उधर शैलेश सोच रहा है कि वाकई पुरुष अपनी
अर्द्धांगिनी के बिना कितना अधूरा रहता है।


जलाएंगे दीपक, करेंगे प्रकाश, तुम्हारे लिये.... कुलदीप ठाकुर
हम  जानते हैं
तुम्हे अपने  घर में
फैला हुआ अंधकार
अच्छा नहीं लगेगा...
हम  ये भी जानते हैं
तुम आओगे
किसी न किसी रूप में
हमारे साथ दिवाली मनाने....


दीवाली....श्वेता सिन्हा
लड़ियाँ नेह के धागों वाली,
झड़ियाँ हँसी ठहाकों वाली।

जगमग घर का कोना-कोना,
कलियाँ मन के तारों वाली।

रंग-रंगीली सजी रंगोली,
गुझिया मीठे पागों वाली।


किताबों की दुनिया.... नीरज गोस्वामी
दूर से इक परछाईं देखी अपने से मिलती-जुलती
पास से अपने चेहरे में भी और कोई चेहरा देखा

सोना लेने जब निकले तो हर-हर ढेर में मिटटी थी
जब मिटटी की खोज में निकले सोना ही सोना देखा


श्वेता सिन्हा के पसंदीदा ग़ज़लगो

दिलों के दरमियां...कुंवर बेचैन
फेंकने ही हैं अगर पत्थर तो पानी पर उछाल
तैरती मछली, मचलती नाव पर पत्थर न फेंक

यह तेरी काँवर नहीं कर्तव्य का अहसास है
अपने कंधे से श्रवण! संबंध का काँवर न फेंक

आज इतना ही..
इज़ाज़त दें
यशोदा ..

12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात दी:))
    कितना भी आभार कहे दी बहुत कम होगा,आपके निश्छल स्नेह और मुझे दिये मान से अभिभूत है।
    सार्थक लिंकों का सुंदर संयोजन दी।
    सभी साथी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ मेरी।



    जवाब देंहटाएं
  2. ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं संग शुभ दिवस छोटी बहना और पूरे टीम को 💐🙋🏻🌹

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उम्दा संकलन
    बेहतरीन रचनायें
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. दीप पर्व शुभ हो । बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर अंक ! मेरी गुज़ारिश को मान देने के लिए सादर आभार । सभी चर्चाकारों एवं रचनाकारों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    शुभ दीपावली!

    जवाब देंहटाएं
  7. धनतेरस के बाद आज नरक चौदस से जुड़े विशेष आयोजनों को संपन्न किया जा रहा है। इस दिन को छोटी दिवाली, नरक चौदस, रूप चौदस आदि नामों से भी जाना जाता है। विशेष तौर पर श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध और यमराज का स्मरण और दीपदान। सूर्योदय से पहले स्नान और रात में घर के भीतर दीपक जलाना प्रमुख रूप से सभी अपनाते हैं। त्योहारों से जुड़ी मान्यताएं आस्था का विषय है अतः इनमें तर्क कुतर्क का कोई महत्व नहीं। कल दिवाली है अतः लोग आज के दिन घर से पूरी तरह गंदगी को बाहर निकाल कर साफ सुथरा करते हैं और आसपास माहौल को भी साफ सुथरा करते हैं। स्वच्छता में ही लक्ष्मी का वास माना गया है। रूप चौदस और हनुमान जयंती भी आज के दिन से जुड़ गए हैं जिनकी अलग-अलग कथाएं हैं। विशेषकर यमराज का स्मरण इसलिए ताकि हम अपने कर्म आदि में ऐसी शुचिता रखें कि नर्क की भयावहता हमें सद्मार्ग पर ले जाएं। आदरणीया श्वेता सिन्हा जी का पांच लिंकों का आनंद लें हार्दिक स्वागत है। बेशक अब हमारे आगामी अंकों में विशेष ताजगी का अनुभव करना आदरणीय सुधीजनों को। उनकी एक रचना जो आज के अंक में प्रकाशित हुई है वह कल भी आ रही है। दिवाली की मंगलकामनाएं। आभार सादर। आज के बेहतरीन प्रस्तुतिकरण के लिए आदरणीया यशोदा बहन जी को बहुत बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन संकलन संयोजन.दीप पर्व की शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं

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