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बुधवार, 4 अक्टूबर 2017

810.. रचनात्मकता और सृजन की खुशबू बिखेरती रहती है..


उषा स्वस्ति

त्योहारों, वारों,जयंती...
इस तरह की तमाम ..यंती और जीवन की आपाधापी
 के बीच भी रचनात्मकता और सृजन की खुशबू बिखेरती रहती है..

☛ इसी क्रम में अंतरराष्ट्रीय वयोवृद्ध दिवस!

जानती हूँ आपलोगों को भी कुछ अजीब लगा होगा, है न...
किसी भी सभ्य समाज की कल्पना वरिष्ठ जनों के बिना 
नामुमकिन है।पर आजकल के माहौल देख कर इसे भी मनाने
 की जरूरत पड़..
नई पीढी के भटकाव की एक बडी वजह वरिष्ठों
 को अनदेखा कर उनके विचारों अनुभवों को तवज्जों न देना..

☛ अब ज़रा short में ..दूसरी दिवस..

३अक्टूबर को विविध भारती रेडियो चैनल की स्थापना 60वर्ष पूरे ...
यह चैनल भारतीय आम आदमी के जीवन का बैक ग्राउंड म्यूजिक है..

अब सीधे point पे..

लिंकों के माध्यम से आज के चयनित रचनाकारों के नाम है..
गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी ,संजीव तिवारी जी,अरुण साथी जी,
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी,डा प्रवीण चोपड़ा जी और सुधा देवरानी जी.✍


🔗 मोहभंग .

लौटती रही मुझ तक ,
मेरी ही आवाज .
और मैं सोचती रही कि
पुकारा है मुझे पहाडों ने.

🔗 नाचा का एक गम्मत : भकला के लगन

छत्तीसगढ़ के लोकनाट्य नाचा में एक गम्मत खेला जाता है। इस गम्मत में नायक की शादी होने वाली रहती है, गांव का एक बुजुर्ग व्यक्ति उनके सामने बहुत सारी लड़कियों को लाकर एक-एक करके पूछता है। 
सबसे पहले ब्राह्मण लड़की को सामने लाकर पूछता है कि इससे शादी करोगे?




साहब बहुत गरम है, कह रहे हैं कि गंधी जी को मार तो दिया पर वह मर काहे नहीं रहिस है। अगल-बगल में चेले चपाटी भी थे। वे लोग भी साहिब के गुस्से को देखकर मुंह लटका लिए। जयंती के दिन वैसे भी मुंह लटका ही लेना चाहिए। चेले चपाटी को यही लगा। पर साहेब का गुस्सा शांत ही नहीं हो रहा। तभी उधर से हमारे मघ्घड़ चा भी आ पहुंचे।





ढूंढता है तू क्या ऐ मेरे व्याकुल मन?
चपल हुए हैं क्यूँ, तेरे ये कंपकपाते से चरण!
है मौन सा कैसा तेरा ये अभ्यावेदन?

🔗 सुबह नाश्ते ना करने वालों के लिए एक संदेश...

दरअसल कई बार वाट्सएप पर कुछ ऐसे संदेश किसी डाक्टर से मिल जाते हैं कि अपना काम बढ़ जाता है ...यही लगता है कि इन्हें हिंदी में लिख कर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाया जाए..आज भी सुबह एक ऐसा ही संदेश मिला




           ये मुई बरसात...
और टपक रही मेरी झोपड़ी
          की घास-फूस......
भीगती सिकुड़ती मिट्टी की दीवारें 
जाने कब खत्म होगा  ये इन्तजार 



सृजन को प्रेरित और मुखरित करने के लिए शब्दों को माध्यम बनाए ..
इतिश्री
पम्मी सिंह
धन्यवाद।✍

20 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी पम्मी
    अच्छी रचनाएँ..
    अच्छा लगा आज
    हमारा छत्तीसगढ़ भी यहां है
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. काबिले तारीफ डॉयलाग..
    अंत मे एक मैला ढोने वाली की बेटी को उसके सामने लाकर पूछा जाता है कि क्या इससे शादी करोगे?
    नायक कहता है कि इसे पहले ही क्यूँ नही लाये, 'लउहे लगन धरावव' मैं इसी से शादी करूँगा। उससे पूछा जाता है कि ऐसी क्या खूबी है इसमें जो ब्राह्मण, ठाकुर जाति की आदि सुंदर लड़कियों को ठुकरा कर इस लड़की से शादी करना चाहते हो?
    नायक कहता है क्योंकि यह लोगों को स्वच्छ रखने के लिए, दूसरों के घरों का मैला साफ करती है। 'रोग-राई' दूर करने वाली देवी है।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपने विविधभारती के बारे में एक ही पंक्ति में सब कुछ कह दिया और क्या खूब कहा -
    विविध भारती आम आदमी के जीवन का बैकग्राउंड म्यूजिक है । एकदम सही ।

    स्वच्छता और बापू के संदर्भ में "भकला के लगन" ही मन के तल में जा बैठी. इसी तलघर से ये अनुभूति भी मिली -

    https://noopurbole.blogspot.com/2017/10/blog-post.html?m=1

    बहुत आभार पम्मीजी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. ऊषा स्वस्ति।
    वाह ! पम्मी जी बेहतरीन अंक प्रस्तुत किया आज आपने।
    भूमिका में एकदम नयापन और एक से बढ़कर एक विचारणीय सूत्रों का चयन।
    आपको बधाई।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
    आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. शुभप्रभात पम्मी जी,
    तरोताज़ा प्रस्तुति के साथ सुंदर और सराहनीय रचनाओं का सुघड़ संयोजन किया है आपने।सारी रचनाएँ बहुत अच्छी है।
    बधाई आपको सुंदर अंक के लिए।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभ प्रभात...
    काफी दिनों के बाद ऑनलाईन आया
    परिष्कृत प्रस्तुति
    छत्तीसगढ़ को यहां लाने के लिए आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. लाजवाब प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन....
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार....

    जवाब देंहटाएं
  8. शुभप्रभात पम्मी जी बहुत सुंदर संयोजन ।

    जवाब देंहटाएं
  9. शुभ संध्या
    अच्छी रचनाओं का संगम
    आभार पढ़वाने के लिए
    आदर सहित

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही अच्छी रचनाओं का समावेश किया है आपने । धन्यवाद पम्मीजी । सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीया पम्मी जी प्रणाम ,आज का अंक बहुत ही रोचक ,शिक्षाप्रद एवं तर्कसंगत लगा। आपकी प्रस्तुति में नए प्रयोग काबिलेतारीफ़ है। बधाई आभार "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  12. मेरी रचना को चुनने के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद . कारणवश मैंने बहुत दिनों से ब्लॉग नहीं देखा था.बाकी लिंक्स भीपढ़ रही हूं

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत बढ़िया प्रस्तुति पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं

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