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मंगलवार, 10 अक्टूबर 2017

816....ऐ माँ...ऐ माँ! तेरी सूरत से अलग, भगवान की सूरत क्या होगी!!'

जय मां हाटेशवरी....
ऐ मेरे मालिक
तूने गुल को गुलशन में जगह दी,
पानी को दरिया में जगह दी,
पंछियो को आसमान मे जगह दी,
तू उस शख्स को जन्नत में जगह देना,
जिसने    "..नौ.." महीने पेट में जगह दी....!!
ये बताते हुए मन बहुत आहत है कि....
दिनांक 8 अक्बटूर 2017 को....
हमारी सहयोगी आदरणीय पम्मी बहन की 
पूजनीय माता जी का अकस्मात निधन हो गया....
उन्हें मैं अश्रुपूरित श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ
एवं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ
कि शोक संतप्त बहन पम्मी जी  व परिवार को
इस असीम दुःख को सहने की  क्षमता प्रदान करे
माता-पिता  से बिछड़ने से बड़ा दुख दूसरा कोई नहीं होता....
न  इन की कमी कोई ही पूरी कर सकता है....
पर होनी तो हो कर ही रहती है....
इन्सान के हाथ में कुछ नहीं है.....
'कौन सी है वो चीज जो यहां नहीं मिलती।
सबकुछ मिल जाता है, लेकिन,
हाँ...! मात-पिता   नहीं मिलते।'


नारायण से भी बड़ी, नारी की है जात।
सृजन कर रही सृष्टि का, इसीलिए है मात।।
अब मेरे सिर पर नहीं, माता जी का हाथ।
कैसे अब कहलाउगाँ, माँ के बिना सनाथ।।
चरैवेति है ज़िन्दग़ी, रुकना तो हैं मौत।
सड़ जाता जल धाम भी, जब थम जाता स्रोत।।
कुदरत के इस खेल में, सब मद में बेहोश।

जीते-जी होता नहीं, उच्चारण खामोश।।
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
मेरा खुलूस तो पूरब के गाँव जैसा है
सुलूक दुनिया का सौतेली माओं जैसा है
रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं
ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएँ बुझ गईं
हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए
माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे
जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई
स्टेशन से वापस आकर बूढ़ी आँखें सोचती हैं
पत्ते देहाती रहते हैं फल शहरी हो जाते हैं
अगर किसी की दुआ में असर नहीं होता
तो मेरे पास से क्यों तीर आ के लौट गया


माँ की ममता
है बड़ी अनमोल
माँ निरुपमा
दया की मूर्ति
लुटाती हैं खुशियाँ
क्षमा का मूल
उठे जो हाथ
खुशहाली के लिए
माँ अनपूर्णा
माँ का आँचल
ममता भरी छावं
सदा पावन


माँ ही नहीं है पर यादें तो हैं
यूँ तो अपने बहुत हैं कहने को माँ ,
पर तुमसा अपनापन किसी में नहीं है !!
तुम्हारी डांट में भी कितना प्यार छुपा था माँ ,
माँ बनकर ही तेरा वो प्यार अब समझ आया !!
बात बात पर रूठ जाया करते और तुम पल में मना लिया करती ,
वो रुठना मनाना आज फिर से  बहुत याद आया माँ !

माँ का दिल
माँ का दिल
क्या कहूं मैं इसे ?
कोमल-सी ममता
या प्यार का एक दरिया ,
ममता की छाँव
या प्यारी-सी एक दुनिया ,
स्नेह का भण्डार
या एक मृदुल संसार ,
भोली-सी सूरत
या प्यार की एक मूरत ,
क्षमा का दर्पण
या फिर भगवान का एक वरदान

माँ की याद
माँ कैसे करूँ तेरा शुक्रिया
जो तू ने मुझे जन्म दिया
खून से अपने गर्भ में सींचा
तेरे दूध से मैंने अमृतपान किया
तेरी दुआओं में मैं हमेशा रहा
मेरी सलामती की चिंता में
तुझे राह ताकते देखा
सफलता की ऊंचाइयो को छूना चाहा
तू ने हमेशा मेरा साथ दिया
आसमां में खुलकर उड़ना
कहकर मेरे सर पर हाथ रख दिया
तेरे आशीर्वाद से रोज़ निखरता हूँ मैं माँ
तुझे बहुत याद करता हूँ मैं माँ।।

 माँ की याद
मगर अफसोस!
कि अब हम नही कर पायेंगे,
उस सुखद क्षण का फिर कभी एहसास ।
क्योकि अब हम उसकी दुनिया का हिस्सा नही हैं।
वो छोडकर चली गयी है हमे,
इन वीरानियों में
अकेला तड़पने के लिए।
वो भी एक ऐसी जगह
जिसकी लोग बातें तो करते हैं,
पर उसे कभी किसी ने देखा नही।

सुंदर शब्द माँ..


फलक  पर  लिखा
सुंदर  शब्द  माँ  को
चरितार्थ  करती  ये  तस्वीर
 निशब्द  कर  देती  है।
विधाता   क्या  ऐसा  दिन  भी
दिखाता  है।
जाते - जाते  भी
बच्चे  का  पेट  भर  गई
और  वो  मासूम  बच्ची..
..
क्या  कहूँ।   विधाता  अगर  दिल  में  नहीं  तो  कहां  है  तू।
'उसको नहीं देखा हमने कभी,
पर इसकी जरूरत क्या होगी!
ऐ माँ...ऐ माँ! तेरी सूरत से अलग,
भगवान की सूरत क्या होगी!!'



धन्यवाद।











12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    मन व्यथित है
    हम सखी पम्मी पर आए दारूण दुख
    को अपना दुख मानते है
    नियति का क्रूर प्रहार कब किस पर हो जाए
    ये स्वयं नियति भी नहीं जानती
    हे ईश्वर...
    दुःख सहने की शक्ति दे
    सखी पम्मी व परिवार को
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और शोक संतप्त समाज को संबल दे!

    जवाब देंहटाएं
  3. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और शोक संतप्त परिवार को संबल दे
    उम्दा लिंक्स चयन

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात।
    "पाँच लिंकों का आनन्द" परिवार में चर्चाकार पम्मी जी की माताश्री के देवलोक गमन का समाचार विचलित कर गया। माताश्री की आत्मा की शांति के लिए हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। शोक की घड़ी में ईश्वर संबल प्रदान करे।
    माँ को समर्पित आज की प्रस्तुति भाव विह्वल करने वाली है।
    आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. अत्यंत दुःख का क्षण ! ईश्वर आदरणीया पम्मी जी को इस दुःख से उबरने के लिए संबल प्रदान करे। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।

    जवाब देंहटाएं
  6. माँ का जाना अत्यंत दुखद है।इस दुख की घड़ी में हम पम्मी जी के साथ है।ईश्वर माताजी की आत्मा को शांति प्रदान करें।

    जवाब देंहटाएं
  7. पम्मी जी की माँ जी के दिवंगत होने का समाचार अत्यंत दुखी करने वाला है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे और परिवार को इस कठिन घड़ी से उबरने का धैर्य साथ में दे।

    जवाब देंहटाएं
  8. बड़े दुख की बात है ।भगवान पम्मी जी एवं उनके परिवार को इस दुखद घड़ी से उबरने के लिए धैर्य और सहनशक्ति दे,दिवंगत आत्मा को शान्ति दे.....

    जवाब देंहटाएं
  9. अत्यंत दुखद समाचार ! पम्मी जी की वेदना एवं दुःख का अनुमान लगा सकती हूँ ! उनकी दिवंगत माताजी के लिए मेरी विनम्र श्रद्धांजलि ! ईश्वर से प्रार्थना है कि वे उन्हें अपने चरणों में स्थान दें एवं पम्मी जी के समस्त परिवार को इस आघात को सहने की शक्ति प्रदान करें ! पम्मी जी दुःख की इस घड़ी में मेरी हार्दिक संवेदनायें स्वीकार करें !

    जवाब देंहटाएं
  10. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर अपने चरणों में स्थान दें

    जवाब देंहटाएं
  11. ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को चिरशांति प्रदान करें एवं पम्मीजी व उनके परिवार को यह शोक सहने की शक्ति दें ।

    जवाब देंहटाएं
  12. ईश्वर‎ से प्रार्थना‎ है कि पम्मी जी और उनके परिवार शोक सहने की शक्ति‎ दें व दिवंगत की आत्मा‎ को शान्ति‎ प्रदान करें .

    जवाब देंहटाएं

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