हम हुस्ने-मुजस्सम का ही करते हुए पीछा,
जाना था कहीं और निकल आये कहीं और।
-कुँवर कुसुमेश
ऐसा ही होता है
माह-ए-फरवरी में
खो बैठता है सुध-बुध
वसंत पंचमी भी है ...और
वेलेनटाईन सप्ताह भी है
सर्व प्रथम माँ को नमन
और रचनाएँ भी है रंग भरी..
तुम ही कहो..श्वेता सिन्हा
प्रेम की परिभाषा में
रंग,बहार,मुस्कान की
और कितनी परत चढ़ाओगे
प्रेम की अभिव्यक्ति में
कुछ तो नयापन लाओ
बदलाव ही प्रकृति है
दिग्दर्शन, आज करा जा.....अमित निश्छल
चलो फिर आज बता ही देती हूं...सुषमा वर्मा
चलो फिर आज बता ही देती हूं,
वो सब कुछ आज तक कभी,
तुमसे कहा ही नही..
कि बात कोई भी हो मेरे जीवन की,
तुम्हारी बात होती है...
बता ही देती हूं,छुप कर बहुत बार,
प्रिय आ जाओ.........अनुराधा चौहान
हिय में हूक उठी
फूली अमराई
कोयलिया कूक उठी
कलियां चटकी
फुलवारी खिल उठी
फूलों पर हो रहा
भंवरों का गान
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
एकाकी.......पुरुषोत्तम सिन्हा
कचोटते हैं गम ग़ैरों के भी मुझको,
मायूश हो उठता हूँ उस पल मैं,
टपकते हैं जब, गैरों की आँखों से आँसू,
व्यथित होता हूँ, सुन-कर व्यथा!
रहने दो एकाकी तुम, मुझको रहने दो तन्हा!
कोई मुझे भी तो एक पकड़ाओं यारा गुलाब
देखे बहुत दिन हो गए मुझे एक न्यारा गुलाब
मचलता गुलाब डे भी देखो आज आ गया इधर
न शरमाओं तुम दे दो मुझे भी एक प्यारा गुलाब
उलूक ने नहीं किया था प्यार कभी
और जतलाया भी नहीं
वो उमर थी न..किसी और बहाने से
कर लिया था प्यार
चाकलेट
खेल खिलौने
जूते कपड़े
स्कूल की फीस
छोटे छोटे
उपहार
कर देते थे
तुरंत ही
आई लव यू
का इजहार
प्रेम की
वही खिड़की
विन्डो दो हजार
से अपडेट हो कर
विन्डो आठ जैसी
जवान हो कर
आ गयी है तैयार
अब बस
आपको भी जाना है
हाट-बाजार-चौक-चौरस्ते
मिलने-जुलने
यशोदा
सरस्वती पूजन और बचपन की यादें ,एक बार फिर प्रबल हो गयी हैं।
जवाब देंहटाएंतब हम बच्चों को दौलत की गठरी नहीं अपना बस्ता प्रिय था।
खैर समय बदल गया,अब तो लक्ष्मी पुत्र कहलाने की चाहत हर किसी में है?
सुंदर अंक और सभी को सुबह का प्रणाम।
छोटे छोटे
जवाब देंहटाएंउपहार
कर देते थे
तुरंत ही
आई लव यू
का इजहारो...
बीत गये वो बचपन के दिन, अब तो बिकाऊ से हैं,ये तीन शब्द..?
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
हिय में हूक उठी
जवाब देंहटाएंफूली अमराई
कोयलिया कूक उठी
कलियां चटकी
फुलवारी खिल उठी....
अनुराधा जी की बसंत अनुराग से पंछी पंक्ति पटल को सार्थक बना रही है।
समस्त जनों को बसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं .....
अमित निश्छल जी की रचना से उद्धृत अंश...
जवाब देंहटाएंदृश्यांकित स्वप्न तुम्हारे, पथ मेरे बिसराते हैं;
इक बार नयन तो फेरो, उड़ती अलकों से खेलो,
नादाँ मैं, तृण बन जाऊँ, तुम रजनीगंधा हो लो।
बेहतरीन काव्याभिव्यक्ति का दर्शन दे गई । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।
वसंत पंचमी की हार्दिक बधाई ,माँ सरस्वती हम सब पर आपने आशीष बनाये रखे ,सभी रचनाकारों को शुभकामना
जवाब देंहटाएंहा हा ऐसा तो नहीं कहे थे फिर भी चलिये आपकी खुशी के लिये मान लिया :) । सुन्दर हलचल प्रस्तुति के साथ 'उलूक' की बकवास की पोटली से कुछ उठा लाने के लिये आभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार यशोदा जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं मां शारदे सभी को वरदहस्त मेधा वर दे ।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने । विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते ॥
बहुत सुंदर.... उत्तम कोटि का सृजन सभी का....
जवाब देंहटाएंसच बहुत ही सुंदर रचनायें हैं।
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर अंक मोहक अप्रतिम।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।