रवींद्र नाथ टैगोर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। 7 मई 1861 को जन्मे इस अद्वितीय युगपुरुष को विश्वविख्यात नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
देश को राष्ट्र गान (जन-गण-मन) देने वाले,
एक साहित्यकार,चित्रकार और विचारक के रुप में उनका योगदान युगों तक याद किया जाता रहेगा। साहित्य की ऐसी कोई भी विधा नहीं जिसमें उन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान न छोड़ी हो। कविता,गान,कथा,नाटक,उपन्यास,निबंध, शिल्पकला सभी विधाओं पर अद्भुत रचनाकर्म के द्वारा सबको चकित कर दिया। "यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे तोबे एकला चलो रे"
उनके द्वारा कही गयी बेहद प्रेरक पंक्तियाँ जो मुझे बहुत पसंद है-
उन्होंने कहा था-
“अपने भीतरी प्रकाश से ओत-प्रोत
जब वह सत्य खोज लेता है.
कोई उसे वंचित नहीं कर सकता,
वह उसे अपने साथ ले जाता है
अपने निधि-कोष में
अपने अंतिम पुरस्कार के रूप में”
चलिए अब हमक़दम के बढ़ते क़दम की ओर जिसका आप सभी को बेसब्री से इंतज़ार होगा।
आप सभी की एक से बढ़कर एक रचनाओं का इंतज़ार पूरे सप्ताह भर रहा और आपने अपने रचनाकर्म के द्वारा "इंतज़ार" पर बेहद सराहनीय रचनाओं का आस्वादन करवाया है। आप सभी की सृजनात्मकता को सादर नमन है।
तो चलिए आपकी रचनाओं के संसार में-
और हाँ कृपया ध्यान दें रचनाएँ सुविधानुसार लगायी गयीं है क्रमानुसार नहीं।
चिर प्रतीक्षा सफल हुई - यत्नों के फल अब मीठे हैं , उतरे हैं रंग जो जीवन में वो इन्द्रधनुष सरीखे हैं मिटी वेदना अंतर्मन की खुशियों के दिन शेष रहे हैं !!
हमारी चाहत पे कभी उन्होंने एतबार नही किया उनकी मुहब्बत में कभी हमने इतवार नहीं लिया। हमने रोज ही उनकी राह में खड़े ही इन्तजार किया कुछ दूर हम क्या गए,तनिक मेरा इन्तजार न किया।
आप सभी की.लेखनी से प्रसवित आज का अंक
आपको कैसा लगा कृपया अपनी बहूमूल्य प्रतिक्रिया के द्वारा हमारा मनोबल अवश्य बढ़ाए।
हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक देखना न भूले।
अभी आनंद लीजिए रवींद्र नाथ टैगोर की आवाज़ में राष्ट्रगान का-
वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । रविन्द्रनाथ टैगोर जी की आवाज सुनाने के लिए बहुत बहुत आभार ...।सभी रचनाएँ बहुत ही उम्दा । मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए शुक्रिया ।
हलचल के सभी आदरणीयों को शुभ प्रभात, बेहद सुंदर संकलन स्वेता जी .. मेरी रचना को समिल्लित करने हेतु आभार सभी रचनाकारों को शुभकानाएं ,रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की आवाज़ के लिये विशेष रूप से धन्यवाद
हमकदम के कदम और कदमों के निशान एक सोमवार से दूसरे सोमवार तक चलता चले कारवाँ हलचल का यूँ ही फलता फूलता इस बहार से उस बहार तक। आभार 'उलूक' का साथ में लाजवाब लेखन के बीच नजर भर देखने के लिये कबाड़ से कबाड़ तक।
बेहद चुनिदा लिंक्स आज की हलचल में सजीं हुई है..नीतू जी का पेज उपलब्ध नहीं है तो उसको नही पढ़ पाया. मेरी भी एक रचना शामिल है इस पर जिसे मै भूल ही चूका था.. इस जीवंत शेर को कि "सब थे उसकी मौत पर आये हुए जो दिन में मरी न था तो कोई उस मौत पर जो उसे हर शाम हुई." को याद दिलाने का आभार रहेगा.
विशेष टिप्पणी: इंतजार का भाव उन रचनाओ में भी देखा जा सकता है जिनमे इंतजार शब्द लिखा न गया हो..
चलते चलते एक कटाक्ष उन महानुभावों के लिए जो लिंक्स तक पहुँचते भी नही हैं और फिर भी वो अलोकिक शक्तियों के माध्यम से पता कर लेते हैं कि लिंक्स सुंदर है,लाजवाब हैं और बेहतरीन हैं .. मेरे प्यारे साहित्यकारों आपको भगवान अलोकिक शक्तियों के साथ साथ थोड़ी सद्धबुद्धि भी दे. note: जो ऐसा कर चुके हैं कृपया इसको व्यक्तिगत तंज़ ही समझें. :) :) :D
प्रिय श्वेता -- आज के विशेष आयोजन पर लाजवाब संयोजन पर बहुत बहुत बधाई | आपसे और प्रिय सजग पाठक रोहिताश जी से बड़ी विनम्रता से कहना चाहूंगी कि सचमुच लिंक्स एक बार देख लिए हैं पर उनपर लिखना शाम या रात तक हो पायेगा | रचनाकार सहयोगियों ने कोई कसर नहीं छोडी आज इन्तजार की महफ़िल को सजाने में -- सभी को हार्दिक शुभकामनाये | भूमिका में पूज्यवर गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का स्मरण बहुत ही भावपूर्ण है |और उनके स्वर की उपलब्धता के लिए विशेष और विशेष आभार बहना | आपकी प्रखर बुद्धि को नमन करते हैं जिसने इतना सार्थक प्रयास करने की सोची और हम पाठकों को धन्य किया | हमे ये भी पता नहीं था कि यू tube पर इस तरह की अनमोल थाती भी उपलब्ध है | साहित्य के पुरोधा और दैदीप्यमान नक्षत्र आदरणीय गुरुदेव का साहित्य संसार सदियों तक ऋणी रहेगा | उनका अतुलनीय योगदान अविस्मरनीय है | उनका बेजोड़ साहित्य और उनके अनमोल विचार युगों -युगों तक प्रासंगिक और अक्षुब रहेंगे | उनकी पुण्य स्मृति को सादर नमन |एकबार फिर सराहनीय प्रस्तुतिकरण के लिए बधाई आपको और साथ में मेरा प्यार |
रेणु जी उदासीन भावों और प्रतिक्रियाओं ने मुझे बहोत तंग किया है। मैं जानता हूँ कि रचना बनाई नहीं जाती बल्कि जनी जाती है। और फिर किसी की कॉपी पेस्ट वाली कॉमेंट सहरानीय कदम न लगकर किसी असली साहित्यकार को भी खुद के जैसा बनाने का प्रयास लगता है। खैर ऐसी क्रिया प्रतिक्रिया के लिए इस हलचल से बढ़कर ओर कोनसा मंच हो सकता है।
प्रिय रोहितास जी -- मैं आपकी बात से सहमत हूँ | कई बार लोग बिलकुल ऐसा ही करते हैं | पर कर्म करना हमारा कर्तव्य है फल देना पाठको का अधिकार या मर्जी | हम किसी पोस्ट पर अपने रूहानी आनंद के लिए जातेहै लेखक के लिए नहीं -बस मैं तो यही मानती हूँ | पर मुझे बहुत अच्छा रिस्पोंस मिला है | आपकी प्रखर , बेबाक बात बहुत अच्छी लगी | यहाँ निवेदन करना चाहूंगी कि विस्तार से लिखने की चाह में समयाभाव के कारण बिना लिखे लौट आती हु क्योकि बहुत कम शब्दों में बात निपटाना नहीं आता मुझे | पर तकरीबन हर पोस्ट जरुर पढ़ लेती हूँ यानी जो मेरे g प्लस पर आती हैं | आपके ब्लॉग पर भी जल्द ही आऊँगी यानि लिखने वैसे तो देख चुकी हूँ | आभार
बहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन आज के अंक में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार ! हमकदम का हर कदम एक नयी ऊर्जा, उत्साह एवं दृढ़ता के साथ अपनी मंजिल की ओर अग्रसर होता दिखाई देता है ! यह कारवां यूं ही चलता रहे यही दुआ है ! हार्दिक अभिनन्दन सभी सह रचनाकारों का !
वाह लाजवाब सुंदर प्रस्तुति रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को नमन सभी रचनाएँ उत्क्रष्ट हैं सभी को हार्दिक शुभकामनाए और मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए आभार शुभ रात्रि सधन्यवाद
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन... मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। नमन रविन्द्र नाथ टैगोर जी को।उनकी आवाज सुनाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी!
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं। 2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें। ३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें . 4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो। प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएँ सभी को
कल आने वाला विषय
आज की रचनाओँ से लिया जाएगा
ध्यान से पढ़िएगा
सादर
इंतहा ख़त्म हुई इंतज़ार की!!! बधाई और आभार विशेष रूप से टैगोर की आवाज सुनाने के लिए!!!
जवाब देंहटाएंवाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । रविन्द्रनाथ टैगोर जी की आवाज सुनाने के लिए बहुत बहुत आभार ...।सभी रचनाएँ बहुत ही उम्दा । मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाओं को शामिल करने के लिए और बढ़िया संयोजन के लिए बधाई |मेरी रचना को स्थान
जवाब देंहटाएंदेने के लिए आभार श्वेता जी |
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
शानदार प्रस्तुति श्वेता सभी रचनाकारों का उत्साह और इंतजार देखते बन रहा है।
जवाब देंहटाएंकविंद्र रविंद्र नाथ टैगोर जी को शत शत नमन।
हलचल के सभी आदरणीयों को शुभ प्रभात, बेहद सुंदर संकलन स्वेता जी .. मेरी रचना को समिल्लित करने हेतु आभार सभी रचनाकारों को शुभकानाएं ,रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की आवाज़ के लिये विशेष रूप से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहमकदम के कदम और कदमों के निशान
जवाब देंहटाएंएक सोमवार से दूसरे सोमवार तक
चलता चले कारवाँ हलचल का
यूँ ही फलता फूलता
इस बहार से उस बहार तक।
आभार 'उलूक' का साथ में
लाजवाब लेखन के बीच
नजर भर देखने के लिये
कबाड़ से कबाड़ तक।
सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों से सजी हलचल, आभार|
वाह वाह अबके इंतजार का फल कुछ मीठा रहा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की वाणी सुन इंतजार का शिकवा जाता रहा ......आभार प्रिय श्वेता आभार !
जवाब देंहटाएंगुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की वाणी ..वाह!बहुत बढिया हमेशा की तरह एक से एक रचनाएँ। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंरविंद्र नाथ टैगोर जी को शत शत नमन।
बेहद चुनिदा लिंक्स आज की हलचल में सजीं हुई है..नीतू जी का पेज उपलब्ध नहीं है तो उसको नही पढ़ पाया.
जवाब देंहटाएंमेरी भी एक रचना शामिल है इस पर जिसे मै भूल ही चूका था.. इस जीवंत शेर को कि
"सब थे उसकी मौत पर आये हुए जो दिन में मरी
न था तो कोई उस मौत पर जो उसे हर शाम हुई." को याद दिलाने का आभार रहेगा.
विशेष टिप्पणी:
इंतजार का भाव उन रचनाओ में भी देखा जा सकता है जिनमे इंतजार शब्द लिखा न गया हो..
चलते चलते एक कटाक्ष उन महानुभावों के लिए जो लिंक्स तक पहुँचते भी नही हैं और फिर भी वो अलोकिक शक्तियों के माध्यम से पता कर लेते हैं कि लिंक्स सुंदर है,लाजवाब हैं और बेहतरीन हैं ..
मेरे प्यारे साहित्यकारों आपको भगवान अलोकिक शक्तियों के साथ साथ थोड़ी सद्धबुद्धि भी दे.
note: जो ऐसा कर चुके हैं कृपया इसको व्यक्तिगत तंज़ ही समझें. :) :) :D
प्रिय श्वेता -- आज के विशेष आयोजन पर लाजवाब संयोजन पर बहुत बहुत बधाई | आपसे और प्रिय सजग पाठक रोहिताश जी से बड़ी विनम्रता से कहना चाहूंगी कि सचमुच लिंक्स एक बार देख लिए हैं पर उनपर लिखना शाम या रात तक हो पायेगा | रचनाकार सहयोगियों ने कोई कसर नहीं छोडी आज इन्तजार की महफ़िल को सजाने में -- सभी को हार्दिक शुभकामनाये | भूमिका में पूज्यवर गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का स्मरण बहुत ही भावपूर्ण है |और उनके स्वर की उपलब्धता के लिए विशेष और विशेष आभार बहना | आपकी प्रखर बुद्धि को नमन करते हैं जिसने इतना सार्थक प्रयास करने की सोची और हम पाठकों को धन्य किया | हमे ये भी पता नहीं था कि यू tube पर इस तरह की अनमोल थाती भी उपलब्ध है | साहित्य के पुरोधा और दैदीप्यमान नक्षत्र आदरणीय गुरुदेव का साहित्य संसार सदियों तक ऋणी रहेगा | उनका अतुलनीय योगदान अविस्मरनीय है | उनका बेजोड़ साहित्य और उनके अनमोल विचार युगों -युगों तक प्रासंगिक और अक्षुब रहेंगे | उनकी पुण्य स्मृति को सादर नमन |एकबार फिर सराहनीय प्रस्तुतिकरण के लिए बधाई आपको और साथ में मेरा प्यार |
उ
रेणु जी उदासीन भावों और प्रतिक्रियाओं ने मुझे बहोत तंग किया है।
हटाएंमैं जानता हूँ कि रचना बनाई नहीं जाती बल्कि जनी जाती है।
और फिर किसी की कॉपी पेस्ट वाली कॉमेंट सहरानीय कदम न लगकर किसी असली साहित्यकार को भी खुद के जैसा बनाने का प्रयास लगता है।
खैर
ऐसी क्रिया प्रतिक्रिया के लिए इस हलचल से बढ़कर ओर कोनसा मंच हो सकता है।
प्रिय रोहितास जी -- मैं आपकी बात से सहमत हूँ | कई बार लोग बिलकुल ऐसा ही करते हैं | पर कर्म करना हमारा कर्तव्य है फल देना पाठको का अधिकार या मर्जी | हम किसी पोस्ट पर अपने रूहानी आनंद के लिए जातेहै लेखक के लिए नहीं -बस मैं तो यही मानती हूँ | पर मुझे बहुत अच्छा रिस्पोंस मिला है | आपकी प्रखर , बेबाक बात बहुत अच्छी लगी | यहाँ निवेदन करना चाहूंगी कि विस्तार से लिखने की चाह में समयाभाव के कारण बिना लिखे लौट आती हु क्योकि बहुत कम शब्दों में बात निपटाना नहीं आता मुझे | पर तकरीबन हर पोस्ट जरुर पढ़ लेती हूँ यानी जो मेरे g प्लस पर आती हैं | आपके ब्लॉग पर भी जल्द ही आऊँगी यानि लिखने वैसे तो देख चुकी हूँ | आभार
हटाएंबहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन आज के अंक में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार ! हमकदम का हर कदम एक नयी ऊर्जा, उत्साह एवं दृढ़ता के साथ अपनी मंजिल की ओर अग्रसर होता दिखाई देता है ! यह कारवां यूं ही चलता रहे यही दुआ है ! हार्दिक अभिनन्दन सभी सह रचनाकारों का !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार। रवीन्द्र नाथ टैगोर की आवाज़ सुनाने के लिए विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह लाजवाब सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंरवीन्द्रनाथ टैगोर जी को नमन
सभी रचनाएँ उत्क्रष्ट हैं सभी को हार्दिक शुभकामनाए और मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए आभार
शुभ रात्रि सधन्यवाद
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। नमन रविन्द्र नाथ टैगोर जी को।उनकी आवाज सुनाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी!