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बुधवार, 30 जनवरी 2019

1293..है स्वागत का संगीत नया..



।।उषा स्वस्ति।।

प्राची से झाँक रही ऊषा,

कुंकुम-केशर का थाल लिये।

हैं सजी खड़ी विटपावलियाँ,

सुरभित सुमनों की माल लिये॥

गंगा-यमुना की लहरों में,

है स्वागत का संगीत नया।

गूँजा विहगों के कण्ठों में,

है स्वतन्त्रता का गीत नया॥

महावीर प्रसाद 'मधुप'



सुरूचिपूर्ण सुबह सबेरे की सृजनशीलता को
संजोती उक्तियों के साथ
 नज़र डाले लिंकों पर..
🕸🕸
     धरा  आलिंग़न  में 
      धरी  सुनहरी  साँझ,
      धूसर  रंगों   में  डूबी 
      गुरुर  से   माथा चुम,

          शांत  लय  से  रखती 
      अपने  पद - चाप, 

   प्रीत   इतराती 

        करती  प्रेम  आलाप..

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ब्लॉग अब छोड़ो भी


प्रयागराज कुंभ के दौरान दो दिन पूर्व आयोजित संस्‍कृति-संसद  में आजादी के बाद पहली बार मुस्‍लिम चिंतकों के मुंह से यह  सुना गया कि भारत में मुस्‍लिम अल्‍पसंख्‍यक नहीं,  बल्‍कि दूसरी सबसे..

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आदरणीया अनुराधा चौहान जी की कलम से
रंग बदलती 

दुनियां में

हर चीज 

बदलते देखी है

चेहरे पर 

मुस्कान लपेटे
इंसानी बदलते
देखें हैं..
🕸🕸
आदरणीय नीतीश तीवारी जी ..रचना


तेरे इस हुस्न का, मैं कायल हो जाऊँगा,

मेरे गीतों की गुनगुन सुनाई नहीं देती तो,

तेरे इन पैरों का, मैं पायल हो जाऊँगा..

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आदरणीय राजीव शर्मा जी के रचना के साथ ..
यहीं तक..


कुर्सी की चाह इस कदर लाई थी
आपने उसके बदले कुछ वायदे कर डाले थे

हर शय वायदोंं को अपने से जोड़ मसीहा समझ

खातादार बन खाता पुस्तिका पकड़ बाट जोहती है

15 लाख के इन्तजार मेंं सही भी सही से करपायेगे

आप बताये हमसे वायदे तो कर दिये कैसे निभायेगे..

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हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए

।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह'तृप्ति'..✍

15 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर अंक सभी को सुबह का प्रणाम।
    इस युग में वायदे जो करते हैं,उसमें जाहिर है कि कोई स्वार्थ तो उनका निहित है, परंतु भेड़ बन यदि हम उनका अनुसरण कर ले,तो कसूर किसका है।
    कुछ वर्षों पूर्व मेरे ठिकाने के सामने एक सर्वे कम्पनी ने अपनी दुकान लगाई। ढ़ाई साल में धन दूना करने का वायदे के साथ व्यापार को पांच सौ करोड़ तक पहुंचने के बाद अनाड़ी धन जमाकर्ताओं को छोड़ खिलाड़ी ( संचालक) गोल।
    अब आप बताएं कि ढाई साल में भ्रष्टाचार, चोरी और डकैती के अतिरिक्त किस तरह से धन दूना होगा, क्यों झांसे में आयी जनता।
    वहाँ 15 लाख बिल्कुल मुफ्त में कहा गया था।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सखी..
    काफी दिनो बाद मधुप जी की रचना पढ़ी
    आभार....
    एक सार्थक अंक
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी रचना शामिल करने के लिके बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात आदरणीया पम्मी जी
    प्राची से झाँक रही ऊषा,

    कुंकुम-केशर का थाल लिये।

    हैं सजी खड़ी विटपावलियाँ,

    सुरभित सुमनों की माल लिये॥

    गंगा-यमुना की लहरों में,

    है स्वागत का संगीत नया।

    गूँजा विहगों के कण्ठों में,

    है स्वतन्त्रता का गीत नया|बहुत ही सुन्दर रचना के साथ हलचल प्रस्तुति 👌 सभी लिंक शानदार,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें ,हलचल में मुझे स्थान देने के लिए, सह्रदय आभार आप का
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार पम्मी जी

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह बहुत सुंदर संकलन
    रचनाकारों को खूब बधाई
    सादर नमन सुप्रभात

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर संकलन ,सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार भूमिका के साथ बेहद सराहनीय रचनाओं का उम्दा संकलन है पम्मी जी। बहुत सुंदर👌

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन रचनाये , सारे रचनाकारों को बधाई ,सादर स्नेह पम्मी जी

    जवाब देंहटाएं
  10. मधुप जी की सुंदर रचना के साथ सुंदर शुरूआत पम्मी जी मनभावन अंक सुंदर संकलन।
    सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  11. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं

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