चलिए रचनाओं की ओर चलें...
मीना शर्मा
पापा बहुत करते हैं
काल से लड़ते हैं मेरे बहादुर पापा
दिगबंर नासवा
न्याय-व्यवस्था
रोहिताश्व घोड़ेला
ठीक हो न जाएँ
मैं बड़ा खौफज़दा हूँ इन दिनों उनसे
नहीं माँ, मैं नहीं आ पाउंगी...!!!...ज्योति देहलीवाल
''मम्मी, आप भी तो अच्छी सास हो ना? भैया भी तो भाभी से बहुत
प्यार करते हैं न? तो फ़िर भाभी क्यों नहीं जा पाती मायके
जब उनका दिल करें?''
''जाती तो हैं...हर साल तो मायके जाती हैं तेरी भाभी!''
''हाँ मम्मी, भाभी हर साल मायके जाती हैं लेकिन जब उनके मायके वालों को भाभी की सख्त जरुरत थी, जब भाभी का भी बहुत दिल कर रहा था मायके जाने तब तो भाभी को आप लोगों ने नहीं भेजा था न? भाभी की बहन की शादी के दो दिन पहले भाभी की माँ को जोरदार अस्थामा का अटैक आया था।
फिर कर लेने दो प्यार प्रिये .....-दुष्यंत कुमार
अब अंतर में अवसाद नहीं
चापल्य नहीं उन्माद नहीं
सूना-सूना सा जीवन है
कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं
तव स्वागत हित हिलता रहता
अंतरवीणा का तार प्रिये ..
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अब बारी है पचपनवें अंक की
विषयः
अवसाद
उदाहरण
अब अंतर में अवसाद नहीं
चापल्य नहीं उन्माद नहीं
सूना-सूना सा जीवन है
कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं
तव स्वागत हित हिलता रहता
अंतरवीणा का तार प्रिये ..
रचनाकारः दुष्यन्त कुमार
इसी अंक से
अंतिम तिथिः शनिवार 26 जनवरी 2019
प्रकाशन तिथिः सोमवार 28 जनवरी 2019
फिर मिलेंगे
यशोदा
जवाब देंहटाएंसुना है कभी दुधारी तलवार हुवा करती थी
चलती थी इतना महीन कि पद-चाप न सुनाई दे
सूर्य का तेज, तूफ़ान की गति
थम जाती थी मेरे सम्मोहन से सब की मति
सुंदर रचना और संकलन।
सभी को सुबह का प्रणाम।
सच तो यहीं है कि न न्यायकर्ता कभी रहा,न ही उसका न्याय,पता नहीं कब तक हम इस भ्रम में और रहेगा..
आपका कहना सच हैंगर हम और करेंगे भी क्या सिवाय इंतज़ार के ...
हटाएंसर्दी की ठिठुरन कुछ ज़्यादा हो रही है ... अपना अपना ख़याल रखें ... भीनी भीनी हलचल आज की ... आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...
जवाब देंहटाएंठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
जवाब देंहटाएंदुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
बहुत खूब।
हलचल के एक और अंक के लिए बधाई।
आभार
सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी भनक
जवाब देंहटाएंसबके लिए हर पल मंगलकारी हो
सुंदर संकलन
ब्लाॅग के पाठकों से अनुरोध..
जवाब देंहटाएंशायद आपको मालूम हो कि अब G+ खत्म होने वाला है। अतः G+ Platform से किए गए सारे comments स्वतः ही समाप्त हो जाएंगे। परन्तु जो टिप्पणी सीधे ब्लॉग पर जाकर की जाएगी, वे आगे भी बने रहेंगे।
बाद मे जब G+ profile खुद ब खुद deactivate हो जाएंगे तो G+ से किए गए सारे कमेंट्स जो अभी तो दिख रहे हैं, बाद में दिखने भी बंद हो जाएंगे।
आवश्यक यह है कि अपने ब्लॉग के comments setting में G+ से आनेवाले comments की सेटिंग No कर ली जाय ताकि पाठक की टिप्पणी सीधे रूप से ब्लॉग पर ही अंकित की जा सके।
भविष्य की परेशानियों से बचने हेतु मैने कुछ परिवर्तन अपने ब्लॉग "कविता जीवन कलश" (purushottamjeevankalash.bligspot.com), "अंतहीन" (endlesspks.blogspot.com) तथा "अवधारणा" पर आवश्यक परिवर्तन अभी से ही कर लिए हैं ।
कुछ दिनों बाद, मैं G+ profile के स्थान पर Blogger Profile ही use करूँगा।
आपसे अनुरोध है कि अपनी टिप्पणी आप सीधे ब्लॉग पर आकर ही अंकित करें ताकि हमारा आपसी सम्पर्क-संवाद निर्बाध रूप से चलता रहे।
सादर आभार ।
आभार पुरुषोत्तम जी।
हटाएंबहुत सुंदर लिंक्स,यशोदा जी। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजोरदार.
जवाब देंहटाएंडॉ साब का शुक्रिया शेर पसंद आया आपको.
बेहतरीन रचनाओं में मेरी रचना भी शामिल है...
अब सोचो मैंने कैसे कैसे जतन किये होंगे खुद को एडजस्ट करने के लिए.
बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर लिंकों से सजी प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंअब अंतर में अवसाद नहीं
जवाब देंहटाएंचापल्य नहीं उन्माद नहीं
सूना-सूना सा जीवन है
कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं -
काव्य शिखर दुष्यंत जी की सुंदर रचना के साथ लघुकथा और न्याय व्यवस्था पर विचारणीय ज्वलंत रचना जो आशय न्याय का मार्मिक आत्म कथ्य है के साथ रोहितास जी की सराहनीय रचना के समानांतर मीना बहन का पिता जी के लिए मर्मस्पर्शी सृजन -- सबके साथ सजा ये सराहनीय अंक मन को भा गया | सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें और आपको बधाई आदरणीय यशोदा दीदी इस अंक के संचालन के लिए | सस्नेह --
सुप्रभात |उम्दा लिंक्स संकलन |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाएँ
मन आनन्दित हो गया पढ़कर...
दुष्यंत कुमार जी की रचना संकलित करने के आभार....... सह्दय आदरणीया।