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अपने अधरों पे हमकों सजाया करों
तेरे खामोश दिल की मैं आवाज हूँ
गीत में सिसकियाँ न मिलाया करो..
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खूबसूरत ग़जल ..
जवाब देंहटाएंसभी को सुबह का प्रणाम।
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक...
अपठित उत्तम रचनाएँ..
आभार..
सादर..
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाएँ
वाहः
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
सुंदर प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंवाह!!स़ुंदर संकलन !!
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन ......मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी सूत्र बहुत ही खूबसूरत ! मेरी रचना को आज की हलचल में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी !
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बहुत अच्छी है पम्मी जी..सार्थक भूमिका के साथ सुंदर संकलन है👌
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ। भूमिका में डॉक्टर कुँवर बेचैन साहब की ख़ुशबू बिखेरती पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंउम्दा पठनीय लिंक संकलन शानदार प्रस्तुतिकरण...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंअजित गुप्ता जी के अनमोल लेख के साथ बसंत का सुस्वागतम कहती रचनाएँ अपनी मिसाल आप है |भूमिका में कुंवर बेचैन की अनुराग भरी पंक्तियाँ क्या खूब हैं --
जवाब देंहटाएंचल जहाँ तक बाँसुरी की धुन चले
फूल की खुशबू चले, गुनगुन चले
भीग जा तू प्रीति के हर रंग में
साथ जब तक प्राण का फागुन चले"
सचमुच प्राणों का फागुन प्रीत के रंग में आकंठ डूबकर ही आता है |सभी सम्मिलित रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनायें और बधाई | आपको छोटे से संयमित , सुंदर अंक संयोजन के लिए सस्नेह बधाई प्रिय पम्मी बहन |
धन्यवाद आदरनिया मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिये ... बेहद सुंदर सँकलन है आपका
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