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गुरुवार, 10 जनवरी 2019

1273...बीज-मिट्टी-जल पूरा करेंगे चक्र...

सादर अभिवादन.
विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ.

है  
फल 
लटका 
आकाश में 
पके तो गिरे 
बीज-मिट्टी-जल  
पूरा    करेंगे    चक्र।  

आइये आपको आज की पसंदीदा 
रचनाओं की ओर ले चलें -



मैं कौन हूँ तुम्हें भुलाने वाला 
हर धड़कन पर तेरा नाम पाया। 

मेरी वफ़ा ज़ाया तो नहीं गई 
अश्कों-आहों का इनाम पाया। 


 



 
खैर ,जो भी हो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज की दौड की ये भयावह सच्चाई हैं। चलिये,अब इन सारी समस्याओ को एक अलग नज़रिये से देखते हैं। मेरे नज़रिये से " बृद्धाआश्रम "शब्द को हमारी मानसिकता ने डरावना बना दिया है। अगर बृद्धाआश्रम को हम अपने जीवन के " दूसरी पारी का घर "समझे तो वो उतना डरावना नहीं लगेगा बल्कि शायद हमे आत्मिक सुकून भी देगा। यकीनन देगा। 


गहरा सागर है यह जग सारा….शशि गुप्ता 



कोई उमंग है, कोई तरंग है
 मेरी ज़िंदगी है क्या, इक कटी पतंग है
आकाश से गिरी मैं, इक बार कट के ऐसे
 दुनिया ने फिर पूछा, लूटा है मुझको कैसे
किसी का साथ है, किसी का संग...




 

प्रीत  पहन   ज्योतिर्मय,
           जलधि - जलद   प्रेम   पीर  में
  प्रज्वलित  दीप  उम्मीद,
शुष्क  स्नेह  नयन  में,
उदीप्त  सकल  साज,
नीरस   जीवन    में,




  हम-क़दम का नया विषय
                                   यहाँ देखिए



आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

13 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी वफ़ा ज़ाया तो नहीं गई
    अश्कों-आहों का इनाम पाया।

    बहुत सुंदर अंक। मेरी अनुभूतियों को स्थान देने के लिये रवींद्र हृदय से आभार। सभी को सुबह का प्रणाम। चौरेहे पर आज बिल्कुल सन्नाटा है और इस गलन भरी सुबह में जीप की प्रतीक्षा करते हुये इस लिंक की रचनाओं को पढ़ने का आनंद चाय की प्याली से बेहतर है।

    जवाब देंहटाएं
  2. जी बहुत सुंदर लेख और सोच है आपकी कामिनी जी।

    वृद्धाश्रम जिनकों मिला वे भी किस्मत वाले हैं,यहाँ अपने शहर में ऐसे लोग सड़कों पर दिन गुजर रहे है। उनमें हैप्पी मिठ्ठू जी भी हैं। जिनसे में प्रतिदिन सुबह मुलाकात करता हूं।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात भाई रवीन्द्र जी..
    सर्व प्रथम हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ
    श्रेष्ठ प्रस्तुति...
    विशेष कर द्वितीय पारी विषयक आलेख..
    साधुवाद..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात आदरणीय
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुती
    बेहतरीन रचनाएं
    आभार....पढवाने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  5. सुबह सुबह सुन्दर सृजन के साथ दिन की शुरूआत इस से बेहतर क्या हो सकता है । आप सभी का बहुत बहुत आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभ प्रभात आदरणीय रविन्द्र जी
    बेहतरीन हलचल का संकलन, बहुत सुन्दर रचनाएँ,
    सभी रचनकारों को व हलचल परिवार को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें, मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह बहुत सुन्दर प्र्स्तुति रवींद्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय रवींद्र जी ,सादर नमस्कार,मेरे लेख को इस संकलन में स्थान देने के लिए सहृदय धन्यवाद , आभार आप का ,सभी रचनाकारों को बधाई एवं हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ,हमारी हिंदी भाषा यूँ ही हरी भरी रहे.......

    जवाब देंहटाएं
  9. विश्व हिंदी दिवस की पैतालीसवें वर्षगाँठ और इस सुन्दर प्रस्तुति की बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  10. रवींद्र जी..बेहद सारगर्भित भूमिका के साथ लाज़वाब रचनाएँ पढ़ने मिली आज के अंक में।
    सभी रचनाएँ बेहद उम्दा है...बधाई आपको सुंदर प्रस्तुति के लिए और शुभकामनाएँ सभी रचनाकारों को।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  11. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक्स...

    जवाब देंहटाएं

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