स्नेहिल अभिवादन
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हर रात नींद की क्यारी में
कुछ बीज ख़्वाब के बोते है
कुछ फूल बने मुस्कुराते हैं
कुछ माटी ओढ़े रोते हैं
बेढ़ब राहों में जीवन की
कुछ स्वप्न टूट भी जाये तो
जीवन को व्यर्थ मैं क्यूँ मानूँ?
©श्वेता
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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
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फिर कैद से उन्मुक्त होने
अपने पंखों को
फड़फड़ाई भी होंगीं
तितलियाँ!
फिर उत्कट आकांक्षा में
तोड़ दिए गए होंगे उनके पंख
तो रोई भी होंगी
तितलियाँ!
फिर
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अब अपने इरादों का दुपट्टा ओढ़कर
घर से बाहर निकलो
मैं सड़क पर
साइकिल लिए खड़ा हूँ
तुम्हारे पीछे बैठते ही
मेरे पाँव
इरादों के पैडिल
तेज गति से घुमाने लगेंगे
★★★★★★
दरअसल यह
एक अभ्यास है
उस भविष्य का
जब पत्थर रह जाता है अकेला
और वेग को चुनना पड़ता है
एक नया पत्थर
सतत चोट के लिए
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हुई उन वादियों में है शायद कहीं जुगनुओं
की बस्ती, तुम्हारे पलकों के साए में
कहीं ढूंढ़ती है एक मुश्त पनाह,
मेरी मजरूह हस्ती। इक
रात है या मेरी रूहे -
परेशां, अँधेरे
में भी
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लेकिन उठने की अभी चाह नहीं
नींद आँखों में अभी बाकी है
देखने है सलोने सुन्दर सपने
बंद कर ली पलकें अपनी
छाया है नशा इस कदर
शिथिल है मेरा तन बदन
पर साँस अभी भी बाकी है
…
★★★★★★★
और चलते-चलते
मुझे मत कहो कि मैं तुम्हें चिट्ठियाँ लिखूँ… हर चिट्ठी में मेरी आत्मा थोड़ी सी रह जाती है… तुम्हारे यहाँ तो चूल्हा भी नहीं होता। कुछ जलाने की जगहें कितनी कम हो गयी हैं। कभी काग़ज़ भी जलाए हैं तुमने? इतना आसान नहीं होता। दुखता है अजीब क़िस्म से...किसी डायरी का पन्ना तक। चिट्ठी जलाना तो और भी बहुत ज़्यादा मुश्किल होता है। तुम पक्का मेरी चिट्ठियाँ समंदर में फेंक आओगे। हमारे धर्म में जलसमाधि सिर्फ़ संतों के या अबोध बच्चों के हिस्से होती है। वादा करो कि जब ज़रूरत पड़े मेरी चिट्ठियाँ जला दोगे…सिर्फ़ तब ही लिखूँगी तुम्हें।
★★★★★
आज का यह आपको.कैसा लगा?
आपसभी की.प्रतिक्रियाओं की.प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का विषय है-
सज़दा
कल का अंक पढ़ना न भूले
कल आ रहे है रवींद्र जी
अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ।
★★★
व्वाहहहह...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
सादर..
शानदार प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंवाह!!श्वेता ,बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति भुमिका में शानदार बंध जीवन में आशा का संचार करता कुछ सपनों के टूटने भर से पुरे जीवन को व्यर्थ क्यों मानना.. जीने के और भी बहाने बाकि हैं,
जवाब देंहटाएंअभी तो उड़ान भरी है हमने,
नापने को पुरे आसमान बाकि है।
सुंदर लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई।
बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंतितलियों पर तंज
और चिठ्ठी वाला लेखन तो बेहद ही उम्दा थे।
बहुत सुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार