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शनिवार, 23 दिसंबर 2023
3983 ...रत्नीबाई अपनी चप्पलों को अलमारी में ताला लगाकर रखती हैं
4 टिप्पणियां:
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वाह. बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंलिंकों का बढ़िया संकलन।
जवाब देंहटाएंइसमें मेरी भी लिंक को जोड़ने के लिए ह्रदय तल से आभार।
सुंदर संकलन ।
जवाब देंहटाएंरत्नी बाई की सरल सहज जीवन दृष्टि को नमन. अलकनंदा जी ने बहुत प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखी है . इमरोज़ जी का संस्मरण भावुक कर गया. उषा जी की स्वाभिमानी चुनौती, रूपा सिंह जी की दिलचस्प जानकारी समेटे यह अंक रोचक है. मेरी रचना भी शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
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