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शनिवार, 23 दिसंबर 2023

3983 ...रत्‍नीबाई अपनी चप्‍पलों को अलमारी में ताला लगाकर रखती हैं

 सादर अभिवादन

बस जाने को है
2023 और 2024 आएगा
जिसका भी 29 फरवरी को जन्मदिन है वो
चार साला जन्मदिन मनाएगा
रचनाएं देखिए ...



ये खबरें हमारे सहिष्‍णु देश के कई वैचारिक व सहमति-असहमतियों के ‘समकोणों’ को दर्शाती हुई हमारे सामने आईं मगर इस सबके बीच एक खबर और भी थी जिस पर शायद ही किसी का ध्‍यान गया हो।
खबर यह थी कि रत्‍नीबाई अपनी चप्‍पलों को अलमारी में ताला लगाकर रखती हैं।




इसी समय वह कन्या आई पहली बार
सरल, मुखर और उसके मुख पर हास।
आर्द्र करता भुवन,भोलापन बालिका का ।
अनायास ही कागज़ उठाया और बनाया
उससे भी बनवाया छोटा-सा बुकमार्क।

उपरोक्त दोनो रचनाएं मेल द्वारा प्राप्त हुई




खैर…..
अब खड़ी हूँ खुले मुँह, खाली हाथ
नीले आसमान के तले
दे सकते हो तो दो खुलकर गाली,
हँस सकते हो तुम ताली बजा कर तो हंसो
कर सकते हो उपेक्षा, अपमानित …

हाँ…नहीं है स्वाभिमान मुझमें…!!!




इस कैफे के इंचार्ज वरदान केसरवानी ने बताया कि इस जगह पर पहले एक प्रिंटिंग प्रेस हुआ करती थी। यह इमारत अंग्रेजों के जमाने की है। जब यहां पर कैफे खोलने के बारे में सोचा गया तो इस बिल्डिंग का पुराना रूप रहने दिया गया। उसी इमारत को ग्रीस देश का एक लुक दे दिया गया है, जो लोगों को लुभा रहा है। यही वजह है कि लोग यहां पर आ रहे हैं।




इमरोज़ चले गए। आज वे अपनी अमृता से मिलेंगे। निश्चित ही जाते वक़्त वे बहुत ख़ुश रहे होंगे कि वे अपनी माझा के पास जा रहे हैं। यूँ वे दूर हुए ही कब थे उनसे! इमा के लिए उनकी माझा सदा साथ थी, जो अपने कमरे में बैठी नज़्म लिखती रहती है और उनके द्वारा बनाई चाय पीती रहती है।

           
आज बस
कल फिर मिलूंगी
सादर

4 टिप्‍पणियां:

  1. लिंकों का बढ़िया संकलन।

    इसमें मेरी भी लिंक को जोड़ने के लिए ह्रदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. रत्नी बाई की सरल सहज जीवन दृष्टि को नमन. अलकनंदा जी ने बहुत प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखी है . इमरोज़ जी का संस्मरण भावुक कर गया. उषा जी की स्वाभिमानी चुनौती, रूपा सिंह जी की दिलचस्प जानकारी समेटे यह अंक रोचक है. मेरी रचना भी शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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