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शनिवार, 2 दिसंबर 2023

3962 ..सर्दियों की अंधेरी भोर में ठंडी हवा कराह रही है ...

 सादर अभिवादन

अंततः आ ही गया दिसंबर
अच्छा हुआ तुम जल्दी आ गए

2024 में फिर लीप ईयर देखने को मिलेगा
कई लोग लटके पड़े हैं
सालगिरह और जन्मदिन मनाने के लिए
दिल खोल कर बैठे है लोग
उन्तीस फरवरी के दर्शन के लिए
जितनी उत्सुकता क्रिसमस की रहती थी 
उससे डबल उत्सुकता 29 फरवरी से मिलने की है
एक कविता तो बनती तो है...लिखिए आप भी ...पर अभी रचनाएं देखिए


वो तो देवयानी का ही मर्तबा था,
कि सह लिया सांच की आंच,
वरना बहुत लंबी नाक थी ययाति की।
नाक में नासूर है और नाक की फुफकार है,
नाक विद्रोही की भी शमशीर है, तलवार है।
जज़्बात कुछ ऐसा, कि बस सातों समंदर पार है,





इसी बीच कलुआ को जोर से छींक आयी और वह मयंक के डर के कारण जल्दी से मुँह घुमा कर जोर से छींक दिया है। तभी रेशमा का ध्यान सड़क की ओर गया कि कलुआ के छींकते ही, अभी 'कोर्ट' जाते हुए मुहल्ले वाले वक़ील साहब कलुआ की ओर गुस्से में घूरते हुए वापस अपने घर की ओर  चार क़दम चल के खड़े हो गए हैं। तभी रेशमा ठठाकर हँस पड़ती है और ठिठोली वाले अंदाज में वक़ील साहब से पूछती है।




पानी पत्थर की तरह;
जिसके हल्के से छू भर जाने से
देह सिहरने लगा और
उंगलियाँ बेहोश होने लगी,
बहुत देर के बाद सूरज के छींटों से होश आया...




बहू अर्पिता का कर्कश स्वर दादा जी को सशंकित कर गया ! कहीं भोले भाले आशू को उन्हें 
अखबार पढ़ कर सुनाने की सज़ा न भुगतनी पड़ जाए ! कल रात अँधेरे में पानी का 
जग टेबिल पर रखते समय उनका चश्मा नीचे गिर कर टूट गया ! 
बहू को पता चलेगा तो और बवाल होगा !





उस दिन
समर्पण के सागर में
तिर रहा था उज्जैन
भस्म
बादलों से बरसी
मन के एक कोने में उगा
सूरज
मन मोह रहे थे


आज बस
कल फिर मिलेंगे
सादर

2 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. मेरी धारावाहिक बतकही के २० के बाद २१वें भाग को भी अपनी प्रस्तुति में स्थान प्रदान करने के लिए ...
    आप की आज की भूमिका से याद आयी कि अगले वर्ष मिलने वाले उन्हीं वेतन में एक दिन अतिरिक्त ( अधि वर्ष / Leap Year ) काम करना पड़ जाएगा .. बस यूँ ही ... 😀😀😀

    जवाब देंहटाएं

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