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गुरुवार, 28 जुलाई 2022

3468...घूमता रहा सूरज निशाचर भोर में लौटा

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ.जैनी शबनम जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ-

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

वर्षा ऋतु का आगमन

जब भी वे आपस में टकराते बादल

तीव्र गर्जना होती

दिल दहल जाते सब के

सोते बच्चे चौंक कर उठते। 

744. भोर (40 हाइकु)


2.

आँखें मींचता
भोरे-भोरे सूरज
जगाने आया।

3.
घूमता रहा
सूरज निशाचर
भोर में लौटा।

1054

रोक लेता है

पीड़ाओं का प्रहार

प्रिये तुम्हारा प्यार

धमनियों में

नित्यप्रति संचार

होता हर्ष अपार।

खानाबदोश

अनसुनी, संवेदनाओं की सिसकियां,

अनकहे जज्बातों की, बिसरी सब गलियां,

पुकारती हैं कभी, अनुगूंज बनकर,

रोकते कहीं, टूटे वादों के गूंज,

छोड़ चला, जिनको पीछे!

मुड़ कर, देख रही अखियां मीमचे...

 मिसाइल मैन

भारत के सुपर पावर की तैयारी

मिसाइल मैन का मिशन पूरा करना हमारी जिम्मेदारी

कुशल नेतृत्व हो तो कोई काम नहीं मुश्किल..

कठिन फैसला  जो लेते , पाते वही  मंजिल..

रेनी डे - लघुकथा

स्कूल जाने के लिए वह घर से एक घंटा पहले ही निकलती क्योंकि उसे पैदल ही जाना होता था । सर्दी, गर्मी, बरसात कोई भी मौसम हो शोभा को स्कूल जाने के लिए मौसम की हर ज़्यादती को सहना ही पड़ता था ।

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

 


8 टिप्‍पणियां:

  1. हरियाली अमावस्या की शुभकामनाएं
    अप्रतिम प्रस्तुति
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. संदेशप्रद लिंक से सजी यह हलचल पसंद आई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की हलचल ! मेरी लघुकथा को इसमें स्थान मिला आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं

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