शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ.जैनी शबनम जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ-
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
जब भी वे आपस
में टकराते बादल
तीव्र गर्जना
होती
दिल दहल जाते
सब के
सोते बच्चे चौंक कर उठते।
रोक लेता है
पीड़ाओं का प्रहार
प्रिये तुम्हारा प्यार
धमनियों में
नित्यप्रति संचार
होता हर्ष अपार।
अनसुनी, संवेदनाओं की सिसकियां,
अनकहे जज्बातों की, बिसरी सब गलियां,
पुकारती हैं कभी, अनुगूंज बनकर,
रोकते कहीं, टूटे वादों के गूंज,
छोड़ चला, जिनको पीछे!
मुड़ कर, देख रही अखियां मीमचे...
मिसाइल मैन का मिशन पूरा करना हमारी जिम्मेदारी
कुशल नेतृत्व हो तो कोई काम नहीं मुश्किल..
कठिन फैसला जो लेते , पाते
वही मंजिल..
स्कूल जाने के लिए वह घर से एक घंटा पहले ही
निकलती क्योंकि उसे पैदल ही जाना होता था । सर्दी, गर्मी, बरसात कोई भी मौसम हो शोभा को स्कूल जाने के
लिए मौसम की हर ज़्यादती को सहना ही पड़ता था ।
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
हरियाली अमावस्या की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंअप्रतिम प्रस्तुति
आभार
सादर
संदेशप्रद लिंक से सजी यह हलचल पसंद आई।
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ।।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चयन बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की हलचल ! मेरी लघुकथा को इसमें स्थान मिला आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां प्रस्तुति
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