शीर्षक पंक्ति:आदरणीय सतीश सक्सेना जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक्स के साथ हाज़िर हूँ।
आज की प्रस्तुति में पद्य भाग में केवल एक रचना गद्य भाग में चार। पद्य की एक रचना
ही आपको रसानंद से सराबोर कर देगी।
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
मिट के ही जायेंगे,गुमां मेरे- सतीश सक्सेना
कैसे घर से मुझे हटा पाओ,
उसकी हर ईंट पे
निशाँ मेरे!
तुमने बे घर ,मुझे बनाया था,
कितने दिल में बने मकां मेरे!
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पुस्तक चर्चा
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पुस्तक-समीक्षा
पुस्तक समीक्षा- 'चीख़ती आवाज़ें' ध्रुव सिंह 'एकलव्य'
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी अपने निबंध 'कविता क्या है?' में लिखते हैं-
"मनुष्य अपने ही व्यापारों का ऐसा सघन और जटिल मंडल बाँधता चला आ रहा है जिसके भीतर बँधा-बँधा वह शेष सृष्टि के साथ अपने हृदय का संबंध भूला-सा रहता है। इस परिस्थिति में मनुष्य को अपनी मनुष्यता खाने का डर बराबर रहता है। इसी की अंतः - प्रकृति में मनुष्यता को समय-समय पर जगाते रहने के लिए कविता मनुष्य जाति के साथ लगी चली आ रही है और चली चलेगी।"
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श्रद्धांजलि!
कई दशक तक गीत-ग़ज़ल के ज़रिये हमारा स्वस्थ्य मनोरंजन करते रहे भारतीय संगीत संसार के सितारे भूपिंदर सिंह जी को हमारी ओर से विनम्र श्रद्धांजलि!
१९७८ में भूपिंदर की मुलाक़ात बांग्लादेश की निवासिनी मिताली मुखर्जी से हुई जो ख़ुद भी एक गायिका थीं (और हैं)। सरहदें दिलों को मिलने से भला कब रोक पाई हैं ? प्यार हुआ और फिर भूपिंदर-मिताली शादी के बंधन में भी बंधे। दोनों मिलकर गाने लगे और फिर भूपिंदर-मिताली के 'आरज़ू', 'अर्ज़ किया है', 'गुलमोहर', 'तू साथ चल', 'दर्द'-ए-दिल', 'आपस की बात', 'अक्सर', 'जज़्बात' 'मोहब्बत', 'एक आरज़ू', 'शमा जलाए रखना', 'एक हसीन शाम', 'चाँदनी रात', 'आपके नाम' और 'दिल की ज़ुबां' जैसे सुरीले एलबम लोगों के दिलों पर छा गए।
आपका चयन ऐसे अन्य संकलनों से भिन्न स्वरूप रखता है। सभी रचनाएं उत्तम हैं। अभिनंदन आपका। मेरी रचना को आपने इस अंक में स्थान देने योग्य पाया, इस हेतु मैं आपका कृतज्ञ हूँ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चयन
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत ही सुन्दर रचना संकलन, रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत संकलन अनुज रविंद्र जी ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ अच्छी लगीं । विशेष रूप से लघु कथा , जितेंद्र जी का लेख और सतीश जी की ग़ज़ल । आभार ।
जवाब देंहटाएंआभार रविंद्र जी , रचना पसंद करने के लिए !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
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