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बुधवार, 6 जुलाई 2022

3446..पार ले चल तू मुझको..

 ।।प्रातः वंदन ।।

अरे वर्ष के हर्ष!

बरस तू बरस-बरस रसधार!

पार ले चल तू मुझको,

बहा, दिखा मुझको भी निज

गर्जन-भैरव-संसार!

उथल-पुथल कर हृदय-

मचा हलचल-

चल रे चल- मेरे पागल बादल!

~सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

मौसम की पहली बारिश और बूंदों की तहरीरों के साथ आज की पेशकश में शामिल..✍️











एक ख्वाईश....पागल मन की

एक ख्वाईश....पागल मन की।

बारिष -बादल
सावन -झूले
सुहानी हवा
माटी की सुगंध
फूलों की खुशबू
पूरी कायनात महक उठे।

🌦️

मुंबई में झमाझम बरसात, स्कूल में पानी ना भरने से शिक्षक दुखी..



कल से ही मुंबई के ऊपर इंद्र देवता खुश हैं। धूल से लथपथ मुंबई में हर तरफ बरसात की बूंदों ने शोर मचा रखा है। नदी नाम के नाले अपने पूरे उफान पर हैं और मुंबईकरों को घर से ना निकलने की चेतावनी दे रहें हैं।

🌦️

कौन सा कश्मीर हमारा है- रूह

ठीक है, एक दिन लिखूंगा...' कहकर लेखक ने रूह के कश्मीर पर लिखने के इसरार को थाम लिया है. पेज 92 पर ठीक इसी जगह मेरा सब्र टूट गया है. अब तक जो आँखों में नमी पिछले पन्नों को पढ़ते हुए साथ चल रही थी अब वह भभक कर फूट पड़ी है. घर

🌦️

कोई न्याय करे

दिल से मसी बनाई है

विचारों तक उसे पहुंचाई

शब्दों की लेखिनी चुनी है
मन में छिपी भावनाओं के शब्द लिए |
छापे मन के पटल पर
🌦️

चन्द माहिए 

ये कैसी माया है !

तन तो है अपना,

मन तुझ में समाया है।

 :2:

इस फ़ानी हस्ती पर

दाँव लगाए ज्यों..

।।इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

6 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वर्ष के हर्ष!
    बरस तू बरस-बरस रसधार!
    सुंदर आगाज...
    आभार..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी की कालजयी रचना के साथ बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सभी लिंक्स बेहद उम्दा एवं पठनीय।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिए ह्रदय से धन्यवाद ।।

    जवाब देंहटाएं

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