।।प्रातः वंदन ।।
"राह अलग है चाह अलग है
विषयों का निर्वाह अलग है
ठकुर सुहाती बोल नही हैं
शब्दों की सौगात अलग है।
किस किस के वचनामृत चीखें
दबा रहे भजनों में चीखें
उसकी चीख जुलाहे की है
इस कवि की तो जात अलग है..!!"
यश मालवीय
सृष्टि के कण कण में विविधता होती हैं ,जो सौन्दर्य का कारण भी है,इसी अनुभव को देखते हुए.. नजर डालिए आज की प्रस्तुतिकरण पर...✍️
तुम्हारी भैस मेरा खेत चर गई
खेतों की सुरक्षा के लिए बाड़ और जल की सुरक्षा के लिए पाल की जाती है। बाड़ की उपयोगिता तभी है, जब खेती लहलहा रही हो और पाल की उपयोगिता तभी है जब बाँध में जल हिलोरें भर रहा हो। जिस खेत में खेती नहीं..
➖➖
रिश्तों की पहचान
सीखो सीखो कुछ जानों
कुछ की असलियत पहचानों
सही गलत का भेद जानो
सभी एक जैसे नहीं होते समझो |
एक ही कला निर्णायक नहीं होती
➖➖
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
भूपेंद्र जी को सादर श्रद्धांजलि 🙏🙏 ।
जवाब देंहटाएंसच है किसी को मुक्कमल जहाँ नहीं मिलता । पठनीय सूत्र मिले आभार ।
सुंदर सराहनीय सूत्रों का चयन ।
जवाब देंहटाएंसभी बेजोड़ लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन.
जवाब देंहटाएंसभी स्वस्थ व प्रसन्न रहें
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर,,,,, आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएं