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सोमवार, 13 फ़रवरी 2023

3668 ....गांजा भांग अफीम की बात क्यों करते हैं लोग

 सादर नमस्कार

ऋतुराज वसंत के आगमन पर
धानी सरसों पीली चूनर ओढ़ रहीं।
गीली माटी की सोंधी खुशबू
सरसों की भीनी भीनी खुशबू संग
घर आँगन को महका रहीं।
मंद हवा संग सुनहरी किरणें
ओस से गीले खेतों की चमक बड़ा रही।
मनमोहक दृश्य कृषक के हृदयतल में
उम्मीदों का पौधा लगा रहे,
मन की अंधेरी गलियों में
उम्मीद का दीपक जला रहे।
प्रकृति कृषक के लबों पर
‌अदभुत मुसकान बिखेर रही।
सूरज की सुनहरी किरणें कृषक की
सूनी सूनी अंखियों में खुशियों की चमक ला रही।
कोयल की कूँ कूँ कानों में मिश्री घोल रही।
गोरी के हृदयतल में प्रेम का पौधा लगा रही ।

-मनीषा गोस्वामी के अनपब्लिश ब्लॉग से

चलिए चलें अब देखें रचनाएँ ....
एक गढ़वाली रचना ..

वे दिन वूंऽका
आँख्यूं मा  छायी
जब बेटो प्लेसमेन्ट
विदेश मा ह्वेन
अर आज ब्वै-बाबा कि
तपस्या खुदगर्ज बी
नि ह्वे सकणि
एक फोना कना खातिर।




शब्दों का एक जखीरा है वहाँ
हाँ , देखा है मैंने
ध्वनि एक,  जिससे उपजे शब्द अनेक
एक  शै के भिन्न-भिन्न नाम
उनमें से कुछ चुन लिए मैंने
प्रेम, विश्वास और हंसी




पैसा हाथ का मैल है ,
ऐसा कहते हैं लोग ,
अरे जनाब..... आगे स्वयम पढ़ें



मधुमास बना चढ़ता यौवन, प्रेम के गीत सुनाता।
जीवन फिर ढलती काया ले,पत्ते सा झड़ जाता॥
यह जीवन की रीत पुरानी,मानो या मत मानो।
प्रेम बिना यह जीवन सूना,सच जीवन का जानो॥




एक ही चेहरे में दो किरदार होते हैं कभी,  
ज़िक्र राधा का जो आए श्याम की बातें करो.
 
रास्ता लम्बा है ग़र तो मंज़िलों पर हो नज़र,
मिल गई मंज़िल तो फिर आराम की बातें करो.  

अपनी सोच......
भगवान श्री शंकर जी स्वयं अपने कंठ मे कालकूट धारण किए बैठे है
तो फिर गांजा भांग अफीम की बात क्यों करते हैं लोग
शिवरात्रि के लिए लोग आज से ही इन वस्तुओं की
खरीद में लगे हैं, उज्जैन में भी काल भैरव के लिए लोग शराब की बड़ी बोतल खरीदते है
भैरव दादा तो बस एक छोटी सी प्लेट मे एक घूंट पीते है
तो बाकी स्वयं लाल भैरव के ही लिए होगा


आज इत्ता ही
सादर

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर अंक
    मंद हवा संग सुनहरी किरणें
    ओस से गीले खेतों की चमक बड़ा रही।
    मनमोहक दृश्य कृषक के हृदयतल में
    उम्मीदों का पौधा लगा रहे,
    मन की अंधेरी गलियों में
    उम्मीद का दीपक जला रहे।
    प्रकृति कृषक के लबों पर
    ‌अदभुत मुसकान बिखेर रही।
    अच्छा चयन
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात! बसंत के आगमन का सुंदर चित्रण! शिवरात्रि के पर्व के लिए अग्रिम शुभकामनायें। आभार आज के अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिग्विजय जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत भावभीनी हलचल … आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए …

    जवाब देंहटाएं
  4. इस सुंदर संकलन में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी रचना को पांच अंको में शामिल करने के लिए आपका तहेदिल बहुत बहुत धन्यवाद🙏
    और हाँ, मेरी यह रचना मेरे इस ब्लॉग पर उपलब्ध है वहाँ नहीं है पर यहाँ है इसलिए आप सभी का हमारे ब्लॉग पर स्वागत है🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आप पूरी कविता को पढ सकते हैं! मेरे ब्लॉग "भाषा की धरती कविता की धारा" पर !

      हटाएं

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