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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023

3671...नज़र रहे तो सारी दुनिया अच्छी है...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय जयकृष्ण राय तुषार जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक के साथ हाज़िर हूँ-

मर्यादा में कैसे रहें

सब बड़ों का कहना माना जाए

किसी से बहस ना की जाए

खुद को मर्यादा में रखा जाए

यही शिक्षा आज के किस्से से ली मैंने।

फिर मिलने का वादा - -

शहर है उसका ही दीवाना, हर शू उसी का ज़िक्र,
हाकिम का ख़ुदा हाफ़िज़ उठ गए सभी इजलास,

चाँदनी की तरह तहे दिल में उतरता है जां नशीं,
जिस्म ओ जां को कहाँ रहता है, होश ओ हवास,

सिंहिनी के लाल

कर्ज़ हम पर छोड़ कर तू चल दिया,

गर्व करने का हमें है पल दिया।

हम न भूलेंगे तेरे बलिदान को,

ऐ सिपाही देश को नव बल दिया

तुझपे न्योछावर सदा तन और मन।

भारती के वीर धरनी के सजन॥

 एक ग़ज़ल -नज़र रहे तो सारी दुनिया अच्छी है

नज़र रहे तो सारी दुनिया अच्छी है

काजल तो आँखों को सिर्फ़ सजाता है

हवा उड़ा ले जाती जिसको मीलों तक

उस बादल से सूरज क्यों ढक जाता है

लम्बे जीवन के लिए सुपरफूड केफीर -सतीश सक्सेना

केफीर ग्रेन्स मानव निर्मित नहीं हैं बल्कि जीवित सूक्ष्म जीवाणु समूह (माइक्रो ऑर्गनिज़्म्स )हैं , सामान्य भाषा में वे जीवित बैक्टीरिया समूह हैं जो मानव शरीर के लिए जीवन अमृत की तरह काम करते हैं ! आजतक उनकी उत्पत्ति कैसे और कहाँ हुई, किसी को नहीं पता सिवाय इसके कि कॉकेशियस पहाड़ के आसपास के निवासी ही, उनके द्वारा फर्मेन्टेड दूध का उपयोग करते पाए गए !

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


4 टिप्‍पणियां:

  1. नज़र रहे तो सारी दुनिया अच्छी है
    काजल तो आँखों को सिर्फ़ सजाता है
    शानदार अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात! पठनीय लिंक्स की खबर देता सुंदर अंक!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत आभार भाई. मेरे ब्लॉग पर कई बार लिंक का कमेंट स्पेम हो जा रहा है. अभी देखा हूँ तो आपकी टिप्पणी प्रकाशित किया. पुनः आभार

    जवाब देंहटाएं

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