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शुक्रवार, 10 मई 2019

1393..."पानी की एक भी बूँद कीमती है"

स्नेहिल अभिवादन
-------
गरमी के मौसम के दस्तक के साथ ही
कुछ नारे बुलंद हो जाते हैं।
"बिन पानी सब सून"
"जल ही जीवन है"
"पानी की एक भी बूँद कीमती है"
इन नारों को
मात्र मौसम के अनुरूप स्लोगन बनाकर
ही प्रयोग नहीं करना चाहिए बल्कि
 आत्मसात करने की आवश्यकता है।
पानी के बिना धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।
धरती का 75 प्रतिशत भाग जल है।
पर जो जल जीवों के जीवन के लिए संजीवनी जैसी है उसका प्रतिशत मात्र 2.7 है।
हम मानवोंं की लापरवाही से उत्पन्न
पारिस्थितिकीय असंतुलन की वजह से
गंभीर जल संकट 
आप भी महसूस करते है न? 

अब देर न करते हुये
चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
★★★

पथिक ! मैंने क्यों बटोरे
हंसी- हँसी  में लिख दिए -
 दर्द संग अनुबंध मैंने ,
 थाम रखे जाने  कैसे- 
आसूंओ के बन्ध मैंने  ;
 टीसते मन को लिए-
 संजोये   भीतर  सागर   खारे !!
★★★★★
हम आशाओं पर जीते हैं
छ्ल कपट, प्रेम का भेष धरे
मैत्री का जाल बिछाता है।
कंचन पात्रों में जहर भरे,
अमृत का स्वांग रचाता है।
जीवन के चौराहों पर अब,
सारी राहें भरमाती हैं।
दुनियादारी के दाँव पेच,
दुनिया ही यहाँ सिखाती है ।
जीने की कठिन लड़ाई में,
दीनों के सब दिन बीते हैं।



नमक ग़मों का

पानी में आँखों के भीतर
ये नमक ग़मों का घुलता है
जब नेह की होती है बारिश
तब मैल हृदय का धुलता है
★★★★★
पहाड़ भी मरते हैं
आप का होना था
एक बाँध सरीखा
आड़ी तिरछी शांत चंचल फुहारों को
समेट दिशा दे दशा निर्धारित करते
उर्जवित करते निष्प्राण विचारों को

★★★★★★


रेपिस्ट हो या तेज़ाब डालने वाले लोग....आख़िर इन्हें बचाता कौन है? चुनावों में इन विषयों पर बात करने से नेतागण बचते क्यों हैं? नागरिकों की सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी है? अपराधियों को दंड देना किसका कर्त्तव्य है? 
★★★★★
आज का यह अंक आपको कैसा लगा?

आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं  की सदैव प्रतीक्षा रहती है।

हमक़दम के अंक के लिए

कल का अंक पढ़ना न भूले
कल आ रही है विभा दी
विशेष प्रस्तुति के साथ।



13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    सर्वोचित अग्रालेखन..
    सार्थक रचनाएँ
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. जल के लिए चिंता जनक स्थिति है
    सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  3. बचपन से सुनता आया - "जल ही जीवन है।" ... ठीक उस होर्डिग पर लिखे नारे की तरह -"दहेज़ लेना-देना कानूनन अपराध है।" बस शब्द भर। अमल में लाने वाले चंद लोग।
    पानी ही क्यों , हमारा प्राण-वायु भी तो दिन-प्रतिदिन प्रदूषण की मार झेल रहा है।
    समस्या के मूल में - हमारी बढ़ती जनसँख्या, आधारभूत (डिग्री नहीं) ज्ञान की कमी, समाज के कोई भी बने कारगर नियम को शब्द भर दुहराना .... रामायण और गीता, क़ुरान की तरह ... अमल में हम कब लाएंगे भला ..��
    बहरहाल ... आज के अंक की सारी रचनाएं एक से बढ़करएक हार्दिक धन्यवाद आपका !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति बेहतरीन रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन लिंक्स एवं प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन लिंक से सुशोभित उन्दा प्रस्तुति ,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचनाएँ।सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन प्रस्तुति।सभी रचनाएँ बहुत सुंदर हैं। मेरी रचना को अंक में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार प्रिय श्वेता।

    जवाब देंहटाएं
  9. सारगर्भित भुमिका सुंदर लिंक सभी रचनाएँ पठनीय सुंदर
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    जल संरक्षण के लिए हर व्यक्ति को अपना
    दायित्व निभाना होगा ,ये अकाट्य सत्य है।पर विडबंना ये है कि बातें बहुत होती है,पर
    धरातल पर प्रयास नहीं।अभी अमेरिका भ्रमण
    के दौरान मैंने देखा कि घरों से निकलने वाले
    रसोई और बाथरूम के पानी को साफ करके
    छोटी-छोटी नहरों का रूप दिया गया है और
    उस पानी से पेड़-पौधों को सींचा जाता है। सुंदर-सुंदर बागीचे नहरों के इर्द-गिर्द विकसित
    किए हैं।इससे हरियाली तो है ही,जलस्तर भी सही है।अपने यहां ऐसी व्यवस्था कहां है?गंगा ही प्रदूषित हो चुकी है।भूजल का दोहन बुरी
    तरह से हो रहा है। बड़ी-बड़ी बातें और योजनाएं कागजों में ही पूरी हो रही हैं।

    जवाब देंहटाएं

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