निवेदन।


फ़ॉलोअर

गुरुवार, 18 जुलाई 2024

4190...लगे वो अपने से, या वो, अपने ही थे!

शीर्षक पंक्ति:आदरणीय पुरुषोत्तम सिन्हा जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की पाँच पसंदीदा रचनाएँ-

पीड़ा

जब सह लेता है कोई

धैर्य और दृढ़ता से

अपरिहार्य है पीड़ा

यदि देह को सताती है

अधिक से अधिक मन तक

हो सकती है उसकी पहुँच

पर 'स्वयं' अछूता रह जाता है

*****

अपनत्व

ये दूरियां, पर है वो हर पल यहां,

बंधता यादों का शमां,

फैलता गहराता घेरता धुआं,

नीला आसमां,

स्वप्निल ये पल, ऐसे ही तो न थे!

लगे वो अपने से, या वो, अपने ही थे!

या, थे वो सपने!

*****

मैं वीगन क्यों हूँ

अगले आठ अध्यायों का संकलन अगले भाग पक्षियों की नींदके अंतर्गत है. इस भाग की हर बात को अपना स्नेह दूँगी. यह पुस्तक का दिल है. लेखक ने पक्षियों-पशुओं के जीवन के सच इतने मर्म से उकेरे हैं कि एक समानुभूति की मिठास हर शब्द से आती है चाहे वह सी एनिमल्स हों, रेप्टाइल्स हों अथवा चौपाये. सोन चिड़िया के गिरने और उसकी पहचान करने से एक मुस्लिम परिवार का लड़का सलीम अली किस तरह पक्षी शास्त्री हो गया, यह इसमें बताया गया है और हाँ मुस्लिम शब्द इस पूरी पुस्तक में मात्र यहीं पर आया है.

*****

तुलसी पूजा गीत

सोने की डलिया में बेली चमेली,

तोड़ -तोड़ चढ़ाऊँ मैं श्याम तुलसी।

सोने की थाली में दाख-छुहारा,

नित भोग लगाऊँ मैं श्याम तुलसी।

*****

मैली चादर ओढ़ के ...

कितनी दुःखद बात है, कि आज हम उन्हीं अद्वितीय महापुरुष - हरि ओम शरण जी को बिसरा चुके हैं। उससे भी दुःखद बात ये है, कि आज तथाकथित सोशल मीडिया के पन्नों पर लोकप्रिय .. किन्तु फूहड़ नृत्यांगना - सपना चौधरी के जितने यूट्यूबस् व व्यूअरस् उपलब्ध है, उतने हरि ओम शरण जी के नहीं .. शायद ...

*****

फिर मिलेंगे।

 रवीन्द्र सिंह यादव 


5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    सुंदर अंक
    आभार..
    सादर वंदे

    जवाब देंहटाएं
  2. जी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को इस मंच तक लाकर .. विविध मर्मों को स्पर्श करते विविध विषयों की अपनी बहुरंगी प्रस्तुति में स्थान प्रदान करने हेतु ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात ! पठनीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति, आज के अंक में 'मन पाये विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु अति आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. आज की प्रस्तुति की दो रचनाकारों के Blog के पन्ने पर "Sign in with google" चस्पा हुआ है, जिससे ज्योति खरे Sir की भाषा में कहें तो लोकेष्णा (लोकेषणा) जी की तरह ही हमारे जैसे फफूँद लगे Blog से प्रतिक्रिया देने में हमारी असमर्थता है।
    अतः इस मंच के माध्यम से उन दो महान रचनाकारों - Sujata Priye जी एवं Anita जी की रचनाओं की कुछ मूढ़तापूर्ण समीक्षा करने का प्रयास भर ...
    Sujata Priye जी की भक्तिपूर्ण रचना आस्तिकों के विश्वास और आशा के ताने-बाने पर बुनी हुई एक चदरिया-सी है।
    वैसे तो इनके द्वारा इतना ज्यादा सोना इस्तेमाल करने के कारण ही दिन पर दिन सोने का भाव बढ़ता जा रहा है और नतीज़न अम्बानी परिवार जैसे show off वालों को तो अन्तर नहीं पड़ता, पर .. ग़रीब पिता को अपनी बेटी की शादी में सोना जुटाने में उनकी मरी हुई नानी-दादी सब याद आ जाती हैं। अतः निवेदन है, कि इतना निवेश ना करें पूजन में .. सोने का (🙄🤔)
    (😂 बुरा नहीं मानिएगा, उपरोक्त बातें केवल हँसने के लिए बोला हूँ .. बस यूँ ही ...)
    Anita जी .. आपकी पीड़ा से भरी, पीड़ा के सकारात्मक पहलू को उजागर करती रचना इस तथ्य की भी पुष्टी करती है, कि इस धरती पर जीव-जीवन ही आया है पीड़ा के बाद .. किसी भी प्राणी की माँ प्रसव पीड़ा सहन करती है, तभी तो किसी भी जीव का जन्म हो पाता है। पीड़ा हमारी अनुवांशिकता है और हमारे जीन में है .. एक मार्मिक रचना ...

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...