।।उषा स्वस्ति।।
पुरवा जो डोल गई
घटा-घटा आँगन में
जूड़े-सा खोल गई।
बूँदों का लहरा दीवारों को चूम गया
मेरा मन सावन की गलियों में झूम गया
श्याम रंग परियों से अंबर है घिरा हुआ
घर को फिर लौट चला बरसों का फिरा हुआ
मइया के मंदिर में-
डुग-डुग-डुग-डुग-
बधइया फिर बोल गई।
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तो क्या फेसबुक भी बंद हो जाएगा ??
ब्लॉग्गिंग के जमाने में एक शब्द बहुत प्रचलित हुआ था या किया गया था और फिर उस पर भारी बहस चली थी।
वो शब्द था -घेटो। जी हाँ घेटो
किसी भी बने हुए बड़े समूह , संस्था से जुड़े लोगों में से , सिर्फ कुछ गिने चुने लोगों द्वारा , जाने अनजाने आपसी संवाद और विमर्श का एक घोषित अघोषित सा बना या बन गया एक विशेष गुट।
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आठ प्रहर सी
आठ उंगलियाँ
उंगलियों पर
चौबीस घण्टे से पौरवें
कुछ- कुछ उंगलियाँ..
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दोस्तों के बीच
जब आप कहेंगे कि
देश में कम हो रहे रोजगार
तो वे आपको तर्क देंगे कि
सरकार बना रही है लोगों को निकम्मा
अपनी योजनाओं के जरिए ।
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वक़्त का घूमता आईना सभी चेहरों को याद
नहीं रखता, सुदूर पहाड़ियों में उठ रहा है
धुआं या बादलों की है चहलक़दमी,
दूरबीनों से हर एक सत्य नही
दिखता, हर एक मोड़ पर
हैं लिखे हुए गंतव्य के
ठिकाने, ताहम जिस ..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
अप्रतिम अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन ।
जवाब देंहटाएंमुग्धता बिखेरता अंक, शामिल करने हेतु आभार आदरणीया ।
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