।।प्रातःवंदन।।
"एक किरण आई छाई,
दुनिया में ज्योति निराली
रंगी सुनहरे रंग में
पत्ती-पत्ती डाली डाली !
एक किरण आई लाई,
पूरब में सुखद सवेरा
हुई दिशाएं लाल
लाल हो गया धरा का घेरा !"
सोहनलाल द्विवेदी
आज की पेशकश में शामिल ...मुस्कुराहटों के बीज✍️
जो होते मेरे पास
सूरजमुखी के फूल जैसे
मुस्कुराहटों के बीज
तो मैं बो लेती
उन्हें संभालकर
अपने मन की पोली..
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अयोध्या में व्याप्त शांति और शांत चित्तता के मध्य
कुंवर राम ने देखे थे निशान दुख के जन मानस में,
सोचते थे राम :
हम आत्मदेश के वासी हैं
भीतर एक ज्योति जलती है
जो तूफ़ानों में भी अकंप,
तन थकता जब मन सो जाता
जगा रहता..
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परीक्षाओं की धांधली से डूबता युवाओं का भविष्य
परीक्षाओं में धांधली इस समय चरम पर है. वैसे ऐसा कभी नहीं रहा है जब परीक्षाओं में और उनके परिणामों में धांधली न की गई हो. बस इतना है कि कॉंग्रेस पार्टी द्वारा आरटीआई कानून लाने के बाद से परीक्षार्थियों को इन धांधलियों को..
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जो ख्वाब थे वही हक़ीक़त थी,
साथ तुम जहाँ तक थी,वही तक थी...
तमाम उम्र अब यूँही घुटके मरना हैं,
किसीसे कह नही सकते क्या शिकायत थी,..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍️
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर वंदे
सुप्रभात, पठनीय रचनाओं के सूत्र, आभार पम्मी जी !
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर प्रस्तुति
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