सादर अभिवादन
हमलोग कामाख्या मन्दिर बहुत बार गये हैं : बहुत पहले जब गये तो गुवाहाटी मेरे पति अपने सरकारी दौरे पर थे तो वहाँ के लोगों ने आराम से दर्शन की व्यवस्था करवा दी। : दूसरी-तीसरी बार गये तो भी पंक्ति में लगकर बहुत परेशानी नहीं उठानी पड़ी। पिछले साल (सन् २०२३) गये तो भीड़ देखकर भाग चलने की इच्छा हुई, लेकिन हमारे साथ जो लोग थे उनकी पहली यात्रा थी बिना दर्शन मायूस हो रहे थे : एक पण्डित जी मिले बोले पाँच सौ लेंगे चार व्यक्ति का : सौदा बुरा नहीं लगा एक बार और चित्र उतारने का मौका मिल रहा था। मन में लड्डू फूटना स्वाभाविक था। मंदिर में प्रवेश के कई दरवाज़े बन गये हैं : दो दरवाजे के पहले ही पण्डित जी बोले कि हो गया दर्शन, अब बाहर निकल लेते हैं और आप लोग मेरी तय राशि दे दीजिए।
तिल के लड्डू बनाने की विधि
पूरा पढ़िए विधि भी है और लड्डू भी है
हाबूर गांव के लोग इसी पत्थर की मदद से दूध से दही जमाते हैं। यूं कहें कि गांव के लोग 'हाबूरिया भाटा' का प्रयोग जामन के रूप में करते हैं। जानकार बताते हैं कि 'हाबूरिया भाटा' में एमिनो एसिड, फिनायल एलिनिया, रिफ्टाफेन टायरोसिन पाए जाते हैं जो दूध से दही जमाने में सहायक होते हैं।
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीया सादर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीया सादर
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।
शुभ इतवार।
यशोदा दी, सादर अभिवादन।
जवाब देंहटाएं'हाबूरिया भाटा'..दूध से दही जमाने की बिल्कुल नई जानकारी साझा की है आपने, इसके बारे में जल्द ही पोस्ट डालने का प्रयास करूंगी।
सुंदर अंक. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार।
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