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मंगलवार, 18 जून 2024

4160...पेड़ तो स्वयं उगते हैं...

 मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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जलती धरती ,जलता आसमान,सूखते कंठ,पसीने से लथ-पथ आकुल तन,गर्म थपेड़ों से बेहाल जीव-जन्तु, मुट्ठीभर घने पेड़ों की सिकुड़ी छाया में सुस्ताते परिंदें, पीने की पानी के लिए लंबी कतारें,
उफ़ गर्मी,हाय गर्मी
जल संकट इन दिनों सबसे भयावह दृश्य उत्पन्न कर रहे हैंं।
देशभर से मिलने वाले समाचार और तस्वीरों की माने तो आने वाले सालों में पेयजल की समस्या का कोई हल न निकला तो बूँद-बूँद पानी के लिए युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।
जेठ के महीने में मानसून दस्तक दे जाती है।
सबकी आँखें सूखे आसमान पर लगी है।

उसिन-उसिन कर पछिम से जब
धनक धरित्री जलती है
कनक कुरिल कंटक किरणों से
हिम की चादर गलती है
द्रूम लता झुलसाती है
तब तपिश जेठ जलाती है।

आज की रचनाएँ
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पेड़ तो स्वयं उगते हैं 
सजते-सँवरते हैं वन-उपवन होकर 
कुदृष्टि आदमी की उजाड़ती है वृक्ष 
अति भौतिकता का दास होकर
उजड़ते वन बसती बस्तियाँ 
बढ़ता वातावरण का तापमान 
जीवन के लिए ख़तरा



इतना बड़ा मदारी देखा कभी किसी ने
बे-कैद़ होने ख़ातिर क्या क्या नहीं वो खाया
भारी पड़ेगी तुम को थोड़ी सी भी मुरव्वत
बंदर का खेल उसने सबको बहुत दिखाया




कोई कसर कमी ना थी इशारों के इन इश्क इकरार इजहार में l
पहेली उलझी थी हिरनी के लंबे गुँथे बालों के सुहाने किरदार में ll
कच्ची डोरी ऊँची आसमाँ बादलों उड़ती रंगीन पतंगबाजी की l
बिन स्याही बेतरतीब लकीरें लिखी जुबानी खोये लफ्ज़ किनारों की ll




वे टूटते नहीं 
हवा, पानी या 
घाम से 
बल्कि बोझ के साथ
होते जाते हैं 
और अधिक पक्के ।

पिता के कंधे
बोझ से झुकते नहीं 
बल्कि और तन कर
हो जाते हैं खरे। 



एक तो रूढ़िवादिता का युग और दूसरे भैया की सोच : एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा : करेला से याद आया, जब मेरी माँ-पापा की शादी हुई थी तो माँ को करेला बिलकुल ही पसन्द नहीं था और मेरे पापा को करेला बेहद पसन्द था। मेरी माँ का करेला खाना शुरू करना स्त्री विमर्श का मुद्दा हो सकता था? काश! हम तब स्त्री विमर्श समझने का मादा रखते। मेरा बेटा जब छोटा था तब उसे भी करेला खाना पसंद नहीं था। अरे! उसे तो भिंडी छोड़कर कुछ भी खाना पसंद नहीं था! संयुक्त परिवार था, मीठी से ज़्यादा कड़वी बातें पचानी पड़ती थी! मेरा बेटा थोड़ा बड़ा हुआ तो भरवा करेला खाने लगा…


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आज के लिए बस इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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