आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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जलती धरती ,जलता आसमान,सूखते कंठ,पसीने से लथ-पथ आकुल तन,गर्म थपेड़ों से बेहाल जीव-जन्तु, मुट्ठीभर घने पेड़ों की सिकुड़ी छाया में सुस्ताते परिंदें, पीने की पानी के लिए लंबी कतारें,
उफ़ गर्मी,हाय गर्मी
जल संकट इन दिनों सबसे भयावह दृश्य उत्पन्न कर रहे हैंं।
देशभर से मिलने वाले समाचार और तस्वीरों की माने तो आने वाले सालों में पेयजल की समस्या का कोई हल न निकला तो बूँद-बूँद पानी के लिए युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।
जेठ के महीने में मानसून दस्तक दे जाती है।
सबकी आँखें सूखे आसमान पर लगी है।
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सजते-सँवरते हैं वन-उपवन होकर
कुदृष्टि आदमी की उजाड़ती है वृक्ष
अति भौतिकता का दास होकर
उजड़ते वन बसती बस्तियाँ
बढ़ता वातावरण का तापमान
जीवन के लिए ख़तरा
इतना बड़ा मदारी देखा कभी किसी ने
बे-कैद़ होने ख़ातिर क्या क्या नहीं वो खाया
भारी पड़ेगी तुम को थोड़ी सी भी मुरव्वत
बंदर का खेल उसने सबको बहुत दिखाया
पहेली उलझी थी हिरनी के लंबे गुँथे बालों के सुहाने किरदार में ll
कच्ची डोरी ऊँची आसमाँ बादलों उड़ती रंगीन पतंगबाजी की l
बिन स्याही बेतरतीब लकीरें लिखी जुबानी खोये लफ्ज़ किनारों की ll
जानदार रचनाओं के साथ
जवाब देंहटाएंशानदार अंक
आभार
सादर वंदन
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंखूबसूरत संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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