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रविवार, 13 जनवरी 2019

1276...लोग पहले तो आपकी जेबें टटोलते है

रविवार की खुशनुमा सुबह में
आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन।
धुँध आँखों से हटा लो
मन से सारे भ्रम मिटा लो
ज़िंदगी उर्वर जमीं है
कर्मों का श्रृंगार कर लो
यशोदा दी अपरिहार्य कारणों 
से व्यस्त हैं।
इसलिए आज पढ़िये मेरी पसंद
की कुछ रचनाएँ

ज्योति जी


आँख का काजल मिटा
मांग का सिंदूर
थरथराती देह लुटना
रॊज का दस्तूर

★★★★★
अमित निश्छल जी

तप के बल पर, सत्य मार्ग में
अविलंबित, गुरुकुल के पालक,
प्रजा हेतु क्या कुशल धनुर्धर
इस वसुधा को दे सकते हो?
अटकावों से बिना डरे ही
बुद्धिमान! सच-सच कह दो क्या,
न्याय डगर पर बिना डरे ही
सत्य हेतु तुम मिट सकते हो?


पुरुषोत्तम जी

सम्मोहन सा, है उनकी बातों में,
मन मोह गए वो, बस बातों ही बातों में,
स्वप्न सरीखी थी, उनकी हर बातें,
हर बात अधूरा, छोड॔ गए वो बातों में!
★★★★★
लोकेश जी

ये कैसी तन्हाई है 
कि सुनाई पड़ता है
ख़्यालों का कोलाहल
और सांसों का शोर
भाग जाना चाहता हूँ
ऐसे बियावां में
जहाँ तन्हाई हो
और सिर्फ तन्हाई
★★★★★
प्रीति अज्ञात जी
"एक तरफ़ टूटा कप है 

दूसरी तरफ़ ज़ालिम ज़माना 
गिर जाने के बाद आसां नहीं 
उसी मदहोश चाय को बनाना" 
ताने धिन तन्नाना, ताने धिन तन्नाना...विपदा के
समय rhyming वाली पंक्तियाँ मुझे अक़्सर याद
आती हैं, हाय राम! अब इतने टेलेंट का मैं
क्या करूँ? किधर जाऊँ?

आज की यह प्रस्तुति आपको
कैसी लगी?
आपके बहुमूल्य सुझावों की
प्रतीक्षा रहती है।
कल का दिन विशेष है;
हमक़दम के लिए भी और कुछ ख़ास दिवस भी है।
तो मिलते हैं कल फिर से
तब तक के लिए
आज्ञा दीजिए।
लोग पहले तो आपकी जेबें टटोलते है
सिक्के और नोट गिनकर बातें बोलते है

कालिख अब ना छूटनेवाली कहाँ होती है
हर दाग दौलत के झाबे से धो लेते हैं

15 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी...
    हमे अच्छा लगा..
    बेहतरीन रचनाएँ..
    कालिख अब ना छूटनेवाली कहाँ होती है
    हर दाग दौलत के झाबे से धो लेते हैं
    आभार...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. मैं जब भी निचोड़ता हूँ
    अपनी तन्हाई को
    तो टपक पड़ती है
    कुछ बूंदें
    तेरी यादों की

    बहुत सुंदर संकलन।
    सभी को सुबह का प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  3. रविवार की खुशनुमा सुबह का अभिवादन स्वीकारें ।
    अटकावों से बिना डरे ही
    बुद्धिमान! सच-सच कह दो क्या,
    न्याय डगर पर बिना डरे ही
    सत्य हेतु तुम मिट सकते हो?
    इस सुंदर प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. आँख का काजल मिटा
    मांग का सिंदूर
    थरथराती देह लुटना
    रॊज का दस्तूर

    वाह,
    बहुत सुंदर प्रतुति।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन रचनाओं के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  7. वाहह.. सुंदर रचनाओं का संकलन
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. हमेशा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति खास तौर पर प्रीति जी की विदा !!बहुत ही शानदार लगा ,सादर स्नेह श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुतिकरण आदरणीया श्वेता जी। प्रत्येक रचना अपनेआप में विशिष्ट है।
    वक्ष में फोड़ा हुआ है... जैसी उम्दा रचना के साथ-साथ
    आदरणीय पुरूषोत्तम जी की 'स्वर उनके ही' लोकेश जी की 'ये कैसी तन्हाई' और आदरणीया प्रीति जी की'भावुक कथा' ने मन मोह लिया। एक लाज़वाब संकलन के लिए आदर भाव
    लोग पहले तो आपकी जेबें टटोलते है
    सिक्के और नोट गिनकर बातें बोलते है
    कालिख अब ना छूटनेवाली कहाँ होती है
    हर दाग दौलत के झाबे से धो लेते हैं
    बहुत ही ख़ूबसूरत पंक्तियाँ।
    सुंदर और भावाधिक्य रचनाओं से अवगत कराने के लिए आपको धन्यवाद।
    'गरिमा का अपमान करोगे' के मान वर्धन के लिए आभार एवं नमन🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुंदर सूत्र संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. ....बेहद सुंदर विशेषांक सुंदर रचनाओं का संकलन

    जवाब देंहटाएं

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