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गुरुवार, 8 मार्च 2018

965....हिम्मत दिखा दे अब, खुद को आज़ाद कर....


सादर अभिवादन। 

नारी शक्ति को मेरा सादर नमन एवं महिला दिवस की शुभकामनाऐं। 
आज 107 वां विश्व महिला दिवस है।  जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह दिवस सम्पूर्ण विश्व में नारी के सम्मान और उसकी सामाजिक,आर्थिक एवं बौद्धिक स्थिति की चर्चाओं और उसके आत्मविश्वास से जुड़े बिषयों पर सारगर्भित बखान को समर्पित होता है। 
इस बार  Theme वाक्य है Press for progress.  
महिलाओं ने अपने सशक्त हस्तक्षेप साथ बराबरी के लिये सतत संघर्ष से समाज में जो मक़ाम हासिल किया है उसे अब सहर्ष स्वीकारा जा रहा है। 
मुझे आज ज़्यादा कुछ नहीं कहना है बस एक बयान का ज़िक्र करना चाहता हूँ जो महिला विद्रोहियों के बारे में फिलीपींस के राष्ट्रपति ने पिछले दिनों दिया। एक पुरुष जो किसी देश के सर्वोच्च पद पर है वह महिलाओं के बारे घृणा की पराकाष्ठा तक भरा हुआ है।  वह सैनिकों को क्या कहता है आप ख़ुद ही सर्च करके पढ़ लीजियेगा, मैं उन शब्दों का यहाँ उल्लेख भी नहीं करना चाहता   
बहरहाल मैंने ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल के ज़रिये  उस बयान की निंदा ज़रूर की है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा वांछित स्तर पर नहीं हो सकी

आइये अब इस अवसर पर कुछ पसंदीदा रचनाओं पर नज़र डालें -

पुराने खत....डॉ.इन्दिरा गुप्ता 

                        

खुशबू जैसे लोग मिले अफसानों मैं 

एक पुराना खत जो खुला अनजाने मैं 



कतरा कतरा लफ्ज बह रहे थे अंदर 
स्याही अब तक गीली थी अफसानों में   






नारी : कही-अनकही.... श्वेता सिन्हा 


                          
 ‎‎अपनी श्रेष्ठता,प्रमाणिकता सिद्ध करने के लिए हर बार औरत को प्रमाण देना पड़ता है,अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है। ईश्वर के द्वारा बनाई गयी सर्वश्रेष्ठ कृति नारी कोमल तन-मन की स्वामिनी होती है, पर कभी-कभी महसूस होता है औरत की सृजनात्मक क्षमता ही उसका अभिशाप है इसी शक्ति को कमजोरी बनाकर समाज हथियार की तरह उसी के खिलाफ इस्तेमाल करता है। उसका मानसिक,शारीरिक और भावनात्मक दोहन किया जाता है।

मेरा और किसी भी पुरुष का कोई वजूद इस दुनिया में स्त्रियों के बिना असम्भव है। स्त्री एक भाव है जिसके बिना पुरुषभाव है। आपके जीवन की कहानी भले ही मेरे जैसी ना हो लेकिन आपके भी आस - पास ऐसी महिलाएँ अनेक रूप में होंगीं जिन्होंने आपके जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा होगा। उन सभी को नमन।


नर- नारी ..... विश्व मोहन 


Vishwa Mohan's profile photo 

तू जीवन, मैं दाव,
तू भाषा, मैं भाव.


मैं विचार, तू आचारी,
तू नर, मैं नारी.  

फैसला ......रिंकी राऊत 

 

 
शारदा, मोहन और पंचायत ने अपना-अपना फैसला लिया I एक दिन  किसी ने शारदा के बच्चों से पूछा तुम्हारी माँ कहा है? उनका जवाब थावो मर गईये
बच्चों का फैसला था


प्रणय रंग की बतियाँ ...... अपर्णा बाजपेयी 

                                             

ऐसी प्रीत का घूँट पिया है मीरा बन कर डोली 
पिय के रंग में रंगी दुल्हनिया लाज-शर्म सब भूली 
प्रणय रंगों में खोकर, छुपकर प्रियतम को रंग आयी 
खुद को खोकर उसको पाया ऐसी रीत बनायी। 


औरत को औरत ही रहने दिया जाए ....अभिलाषा (अभि )


                                                    
वो वक़्त पड़े तो झुकती है,
तूफानों में कहाँ रुकती है,
है प्रशंसित वो सहने में तो सहने दिया जाए,
पर औरत को औरत ही रहने दिया जाए।
  

नारी नहीं है बेचारी-महिला दिवस विशेष ...शालिनी कौशिक 


                                                  rape image india के लिए इमेज परिणाम                                                                            

 दुष्कर्म आज ही नहीं सदियों से नारी जीवन के लिए त्रासदी रहा है .कभी इक्का-दुक्का ही सुनाई पड़ने वाली ये घटनाएँ आज सूचना-संचार क्रांति के कारण एक सुनामी की तरह नज़र रही हैं और नारी जीवन पर बरपाये कहर का वास्तविक परिदृश्य दिखा रही हैं .




हिम्मत दिखा दे अब, खुद को आज़ाद कर,
बाहर निकलपैर की जंजीर तोड़ कर
कब तक होगी तेरी सब्र की इम्तिहाँ   
अब यूँ ही ना तुम ज़ुल्म को स्वीकार कर.
चल रही है,कब सेपरिवर्तन की लहर-2  

वक्त का बदलाव.... ऋता शेखर'मधु'


 ऋता शेखर 'मधु'

"यही बात सदियों से कही जा रही। पर कहने वाले बदल गए। है जीजी" सुहासिनी को वो दिन याद गया जब दूसरी बिटिया के जन्म पर बुरा सा मुँह बनाकर जीजी ने कहा था,"फिर से बेटी"

चलते-चलते आदरणीया शुभा मेहता जी के सुमधुर कंठ से निकली सुरीली आवाज़ का आनन्द लीजिये-

जाना था हमसे दूर.... शुभा मेहता 

हम-क़दम का नौवां  क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........


आज की चर्चा में शामिल होने के लिये आपका शुक्रिया। 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 
कल की प्रस्तुति के साथ चर्चा आरम्भ करेंगी आदरणीया श्वेता सिन्हा जी। 
रवीन्द्र सिंह यादव 

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर v सार्थक प्रस्तुति मेरे आलेख को स्थान् देने के लिए हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात
    शुभ कामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति रवींद्र जी, मेरी कविता की एक पंक्ति को "पांच लिंकों का आनंद" के इस अंक में शीर्षक बनाकर जो सम्मान आपने दिया है उसके लिए आभार, इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनुपम लिंक्स के साथ बेहतरीन रचनाओं का संगम ...

      हटाएं
  4. सुन्दर प्रस्तुति... सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात,
    सारगर्भित भूमिका के साथ नारी के सम्मान में रखी गयी आपकी इस विशेष प्रस्तुति के
    लिए आपका अति आभार रवींद्र जी।
    सराहनीय रचनाओं का बहुत सुंदर संयोजन किया है आपने।
    सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार।
    सभी साथी रचनाकारों को बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!!रविन्द्र जी ,बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति !!सुंदर भूमिका के साथ सभी लिंक लाजवाब । मेरी प्रस्तुति को स्थान देने हेतु धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर और विचारणीय भूमिका के साथ प्रस्तुति।

    सभी रचनाकारों को बधाई
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. @हिम्मत दिखा दे अब, खुद को आज़ाद कर....
    अरे ! अब तो जागो, आधा विश्व हो तुम !!

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर और प्रभावी प्रस्तुति

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय रविन्द्र जी -- आज की सभी सशक्त लिंक संयोजन देख मन को अपार हर्ष हुआ जहाँ नारी सशक्तिकरण पर अनूठे लेख भी है और प्रणय के मधुर गान भी | सबसे प्रेरक और आकर्षक मुझे आदरणीय राकेश जी की रचना से ली गयी पंक्ति लगी '' हिम्मत दिखा दे अब , खुद को आजाद कर '' कितना बड़ा उन्मुक्त आह्वान हैं ये पब्क्तियाँ !!!!!!!!!!! सचमुच केवल महिलाओं के नाम एक दिन कर देने से महिलाएं सशक्त नहीं हो जायेंगी उन्हें अपने भीतर आत्मबोध से गुजरना होगा | उन्हें किसी की होड़ में किसी जैसा बनने की जिद में अपनी पहचान नहीं गंवानी चाहिए बल्कि नारी ही रहकर अपने आप को पहचान अपने लिए स्वाभिमान से जीने की कोशिश करनी होगी | | साथ में अगली पीढ़ी को संस्कारी और स्वाबलंबी बनने में मदद करनी होगी |

    राकेश जी की पंक्ति में कुछ भाव मेरे भी --



    खुले आसमा में जा -

    बुलंद अपनी परवाज़ कर !!

    हिम्मत दिखादे अब तो -

    खुद को आजाद कर ;



    घटती जाती जिंदगी

    ना कोई पल लौट के आयेगा

    याद रख तुम को बचाने -

    कोई मसीहा ना आयेगा

    खुद ही बन अपनी मुहाफिज -

    ना किसी खुदा को याद कर !!!!!!!!!!!

    सभी बहनों को आज के विशेष दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |





    .

    जवाब देंहटाएं

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