क्या हस्ती थे वो,मिट कर मुस्कुराते रहे
उम्र थी रंगीन, वतन से इश्क लड़ाते रहे
कुर्बानी भुला न देना उन शहीदों की देखो
वजह थे वो, हम आज़ादी के नग्मेंं गाते रहे
राष्ट्र का युवावर्ग राष्ट्र के माथे पर सुशोभित दीप्तिमान सूर्य की भाँति होता है। जिससे निकलने वाली ऊर्जावान किरणें राष्ट्र के गौरव को जाज्वल्यमान करने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। ऐसे ही युवाओं की तिकड़ी का नाम देश की आज़ादी के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को आज ही के दिन 23 मार्च1931 को कायरों की भाँति चुपके से फाँसी पर चढ़ा दिया गया था। जिनके
ज्वलंत और निर्भीक विचारों ने और बलिदान ने देश की आज़ादी के हवन में महत्वपूर्ण आहुति का कार्य किया। अपने देश के प्रति किसी भी कर्तव्य का निष्ठा से पालन कर के हम इन वीर सपूतों को हृदय से
श्रद्धंजलि समर्पित कर सकते है।
सादर नमस्कार
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कल विश्व जल दिवस था जल ही जीवन है। शुद्ध जल का खत्म होता भंडार धीरे-धीरे समूचे विश्व के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।
कहीं आप तो पानी नहीं बरबाद करते न?
चलिए आप की रचनात्मकता के संसार में -
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.आदरणीय पुरुषोत्तम जी
अंश हूँ मैं हिमशिला का, ठंढ़ी-ठंढ़ी जिसकी काया,
चिरकाल से मै मानव मन की जलन ही मिटाता आया,
समेट लेता हूँ खुद में हीै, मैं वर्जनाएँ सारी वसुधा की,
फिर चल पड़ता हूँ मैं, उस शान्त सागर की ओर....
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आदरणीय दिलबागसिंह विर्क जी
उसूलों, रिवाजों के यहाँ पर बड़े सख़्त पहरे
दिल की बस्ती में आना हो तो चुपके से आना।
बस ये दो ही काम हैं मक़सद ज़िंदगी जीने के
तुम्हें हर पल याद करना और ख़ुद को भुलाना।
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आदरणीय राकेश जी
प्रकृति की छटा निराली देख, मानव हर्षित हो जाता है,
नील गगन में उड़ते पक्षी और फूल जब खिल जाता है,
मेरी कविता इस अनुभूति से कैसे दूर रह सकती है
कहो कौन है, जो इसे देख, अभिभूत नहीं हो जाता है.
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आदरणीय संजय भास्कर जी
यही कारण है की गौरैया हर शहर में अपना अस्तित्व तलाश रही है।
अब तो बड़े विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े शहरों के घर और जंगल
दोनों गोरैया के रहने के लिए अब अनुकूल नहीं हैं। हम यह नहीं
कह सकते कि गौरैया खत्म हो गई है। लेकिन शहरी क्षेत्रों में उनके
रहने की जगह कम हो गई है।
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आदरणीया सुधा देवरानी जी
माँ! तेरे आँचल के साया तले तो
चिलमिलाती लू भी मुझे छू न पायी
तेरी ओट रहकर तो तूफान से भी,
निडर हो के माँ मैंने नजरें मिलाई.....
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आदरणीया शुभा जी
करके जतन
समझना होगा इसका मोल
क्योंकि ये तो है अनमोल
बहते नल दिन रात कहीँ
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चलते-चलते उलूक के पन्ने से
आदरणीय सुशील सर की अभिव्यक्ति
कौन गिनता है
चित्रकारों के
काफिलों में
कैनवासों से
निकलकर
बहते
बिखरते रंगों को
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हम-क़दम का ग्यारहवें क़दम
का विषय...
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आप सभी की बहुमूल्य सुझावों का इंतज़ार रहता है।
अंक कैसा लगा आपको अपना बेशकीमती मत अवश्य दें।
शहीदों को नमन
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात....
अप्रतिम प्रस्तुति
आज सुशील भाई प्रस्तुति
देख पन प्रसन्न हुआ
सादर
आज की प्रस्तुति में मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु आभार। सुंदर प्रस्तुतिकरण।
जवाब देंहटाएंहम इन वीर सपूतों को हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनायें
बढ़िया प्रस्तुति। आभार 'उलूक' की रद्दी को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंश्वेता जी,आभार,अपने देश के प्रति निष्ठा से सेवारत रह कर ही शहीदों को ह्रदय से सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। सुन्दर विचारणीय पृष्टभूमि के साथ सुन्दर प्रस्तुति। इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंवीर सपूतों को हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित करती प्रस्तुति बहुत बढिया..
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएँ
धन्यवाद
वीर सपूतों को श्रद्धान्जली अर्पित करती ...सुंदर प्रस्तुति ...सभी उम्दा लिंकों के साथ ...वाह!!श्वेता !!मेरी रचना को शामिल करनें हेतु ह्रदयतल से आभार ।
जवाब देंहटाएंतीनों शहीदों को नमन.....
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका के सा उत्तम चर्चा....
अमर शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंमाँ भारती के अमर वीर सपूतों को नमन!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
वीर सपूतों को श्रद्धान्जली...उम्दा संकलन सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहुतात्माओं को भाव पूर्ण श्रृद्धानजली।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति श्वेता सभी विषय वस्तु सार्थक ।
सभी रचनाकारों को बधाई।
अमर शाहिद भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव को हमारा कोटि-कोटि नमन. विचारणीय भूमिका के साथ विविधतापूर्ण लिंकों का चयन. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक संकलन..
जवाब देंहटाएंवीर शहीदों को नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि...
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
प्रिय श्वेता -- विचारणीय और भावपूर्ण भूमिका के साथ सार्थक प्रस्तुतियां आज के लिंकों की शोभा है शहीदों को कोटि कोटि नमन | उनके ऋण से मातृभूमि कभी उऋण नहीं हो सकती | सभी चयनित रचनाकारों को बधाई और आपको बेहतरीन प्रस्तुतिकरण के लिए बहुत साधुवाद के साथ मेरा प्यार |
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