जय मां हाटेशवरी....
दो दिन बाद यानी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है....
देश में महिलाओं के संरक्षण के लिये अनेकों कानून है....
फिर भी महिलाओं पर घर से लेकर कार्यस्थलों तक हिंसा जारी है....
घरेलू हिंसा की शिकार पत्रकार नीता भल्ला की कहानी, उन्हीं की जुबानी)
पत्रकार नीता भल्ला अपने ऊपर हुई शारीरिक और मानसिक हिंसा की कहानी सुनाती हैं और ये वो कहानी है जो कि भारत के पुरुष प्रधान समाज में आमतौर पर देखने को मिलती है. आप भी सुनें नीता भल्ला की कहानी उन्हीं की जुबानी.
मैं शीशे के सामने खड़ी होकर अपने चेहरे और शरीर को देख रही हूं. मैं अभी भी इस बात का यकीन नहीं कर पा रही हूं कि मेरे साथ कैसे ये सब हुआ.
इस घटना को छह दिन हो गए हैं. उसने मेरे चेहरे को दीवार पर दे मारा था. उस कारण चेहरे के दाहिनी ओर सूजन हो गया था हालाकि छह दिनों के बाद उसमें थोड़ी कमी आई है.
आंख के पास जहां उसने मारा था वहां नीला पड़ गया है. हाथ और पैर पर भी जहां उसने मारे थे, वहां के निशान अब धीरे-धीरे खत्म हो रहें हैं.
मेरे गर्दन पर लगी चोट के निशान सबसे तेजी से खत्म हो रहें हैं लेकिन आज भी स्थिति ये है कि मैं अपने गले पर स्कार्फ लगाकर ही दफ्तर जाती हूं.
चलो आओ मौसम सुहाना हुआ है...... प्रेम गीत
बागों में चिड़िया चहकने लगी है,
कलियाँ भी खिलकर महकने लगी है।
कि गुम है मेरे होश चाहत में तेरी ,
मेरा होश मुझसे बेगाना हुआ है।
चलो आओ मौसम सुहाना हुआ है,
ये दिल भी मेरा आशिकाना हुआ है।
क़र्ज़ मुहब्बत का ...
कुछ यादें जैसे चुका रही हैं प्रेम की किश्तें
मुहब्बत का क़र्ज़ ख़त्म होने का नाम नहीं लेता
मद्र स्वर में विलंबित गति का गीत है मुहब्बत
खामोश ताल पे अनवरत बजता हुआ
किरदार हैं जो बदलते हैं समय के साथ
नाग वंश अतीत और वर्त्तमान
अर्थात नागों में अनंत नाग. महाभारत में वर्णन है कि महाराज युधिष्ठिर के यज्ञ में नाग लोक के लोगों ने भी भाग़ लिया था.महाराज युधिष्ठिर के पादपीठों की वंदना नाग जाति के लोग किया करते थे.नागलोग की कन्याओं के संबंध में जिक्र आता है कि वे अत्यधिक सुंदर होती थीं,नागों का वैवाहिक संबंध भी भारतीय राजाओं से था.नरकासुर ने अनगिनत नाग कन्याओं को अपने कारागार में बंदी बना रखा था. श्रीकृष्ण ने नरकासुर पर विजय के पश्चात उन्हें मुक्त कराया ही था,उनको लोक मर्यादा के अनुरूप अपनी पटरानी बनाकर सम्मान दिया.ऐतिहासिक ग्रंथों में नंद और मौर्यों के उत्कर्ष के सामान ही सम्राट शिशुनाग का उल्लेख मिलता है जो नागवंशी था. आज जो नागाओं का स्वरूप है वह लगभग दो हजार वर्षों का उपेक्षित रूप है.कश्मीर में कर्कोटक वंश के पतन के बाद नागों का अस्तित्व आज के असम,मिजोरम,अरुणाचल प्रदेश,,त्रिपुरा आदि क्षेत्रों तक सीमित रह गया.वहां भी ब्रिटिश काल में उन्हें उपेक्षित ही समझा गया.
अनारकली
मैं कभी कभी डर जाता हूँ
नए प्रतीक गढ़ने वालों की चतुराई से
जो नागफनी के काँटों में ढूंढते है खुश्बू
और गुलाब को रखते हैं लपेट कर
चादरों के नीचे
उपजाते हैं नई परिभाषायें
लगाते हैं नए अर्थ
जिन्होंने बना दिया अकबर को प्रेम का प्रतीक
कैसा ढाया क़हर है.....आशुतोष शर्मा
सच्चाई कि अब नहीं ख़ैर है।
कहाँ तक चलोगे लेके उसूलों को
देखिए तो हर तरफ़ अँधेर है।
ख़ूब करो लूट, क़त्ल और ग़ारत
काफ़ी बड़ा अपना भी शहर है।
चीखें पुकारें बेबसी की गूँज रही
नए वक़्त की यह नई बहर है।
इक इतिहास बना देते है.....!!!
क्यों ना इस वक़्त से दोस्ती कर ले,
गुजरने दे वक़्त के साथ हर दर्द को..
चलते है इस वक़्त के साथ,
इक इतिहास बना देते है.....!!!
फिर डर नहीं लगता !
जब जब घुप्प अंधेरा हुआ है
दूर दूर तक कुछ नज़र नहीं आया है
हर बार
हर बार सोचा है
सुबह को कौन रोकेगा !
निराशा के बादल गरजते हैं
एक नहीं
कई बार
लेकिन हर बार एक छोटी सी आशा
थाम लेती है उँगली
और ...
फिर डर नहीं लगता
धन्यवाद।
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम नवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
:: परिक्रमा (फेरा) ::
उदाहरणः
क्या?
सुख दु:ख का
पाठ पढ़ा रही हो!
या व्यर्थ ही
चक्कर लगा रही हो!
कभी तो तुम
दो दिलों को
एक करने के लिये
अग्नि के फेरे लगा रही हो
कभी विरह व्यथा में जलते हुए
पिता का पुत्र से वियोग दिला रही हो
आप अपनी रचना शनिवार 10 फरवरी 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 12 फरवरी 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारे पिछले गुरुवारीय अंक
11 जनवरी 2018 का अवलोकन करें
शुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
आभार आपका
सादर
दारुण पर वैचारिक परिदृश्य उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
बहुत सुंदर लिंक्स.मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंदमदार हलचल ...
जवाब देंहटाएंनारी समस्या सतत प्रयास से हल होगी ... दिवस तो उस संकल्प की याद रखने के लिए हैं ...
आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...
विचारणीय भूमिका में निहित सारगर्भित प्रश्न।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय रचनाओं का संकलन बहुत अच्छी प्रस्तुति आदरणीय।
आभार आपका
सादर।
भूमिका अच्छी है ,विषय विचारणीय । सिर्फ एक दिन नारी दिवस मना लेना ,समस्या का समाधान नही ...सबसे पहली नारी को नारी का साथ देना होगा ....।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत सुंंदर ।
सुन्दर प्रस्तुति. बधाई कुलदीप जी. विविधता से परिपूर्ण बिषयों पर बेहतरीन लिंक चयन. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
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