आज जैन धर्म के 24 वें
तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी की जयंती है।
जैन समुदाय का यह प्रमुख त्योहार है।
शुभकामनाएँ
सत्य,अहिंसा,औचार्य,अपरिग्रह एवं बह्मचर्य इन पाँच व्रतों का पालन जैन धर्म के अनुयायियों का मुख्य सिद्धांत है। जैन धर्म को प्रतिष्ठित करने में , व्यापकता प्रदान करने में और इसके समृद्ध दर्शन का पूरा श्रेय महावीर स्वामी को जाता है।
छोटी-छोटी बात पर तलवारें निकालकर मरने-मारने को उतारु वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में प्रायोजित साम्प्रदायिकता हमारे
लिए गंभीर चिंतन का विषय है। धर्मनिरपेक्ष भारत आखिर किस
दिशा में अग्रसर है? भविष्य में इससे होने वाले दुष्परिणाम
की पदचाप काश हम सुन पाते।
आज ही के दिन 29 मार्च 1913 को हिंदी साहित्य के
महान कवि भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म हुआ था।
गाँधीवादी विचारधारा स्वच्छता, नैतिकता और पावनता का पालन
करने वाले दूसरे तार सप्तक के महान कवियों में एक थे।
उनकी एक रचना
उस दिन
आँखें मिलते ही
आसमान नीला हो गया था
और धरती फूलवती
चार आँखों का वह जादू
तुम्हें यहाँ से कैसे भेजूं?
आओ तो दिखाऊं
वह जादू
जादू जैसे
जँबूरे के बिना नहीं चलता
वैसे बिना तुम्हारे
अकेला मैं
न आसमान
नीला कर पाता हूँ
न धरती फूलवती!
सादर नमस्कार
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चलिए आपकी रचनात्मकता की दुनिया में-
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आदरणीया राजश्री जी की कलम से
किसी तन्हा का ख्वाब है तू
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आदरणीया रश्मि जी की कलम से
उँगलियाँ मचलतीं हैं
सुलझे
बाल बिखराने को
शब्दों और आँखों से
अलग बातें न करो
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आदरणीय पुरुषोत्तम जी की लेखनी से
ठहर जाओ, न गीत ऐसे गाओ तुम,
रुक भी जाओ, प्रणय पीर ना सुनाओ तुम,
जी न पाऊँगा मैं, कभी इस यातना में....
आदरणीया मीना जी की कलम से
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आदरणीया नुपरम् जी की रचना
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आदरणीया आशा सक्सेना जी की रचना
काली अंधेरी रात में
डाली अपनी नौका मैंने
इस भवसागर में
पहले वायु ने बरजा
पर एक न मानी
फिर गति उसकी
बढ़ने लगी मनमानी
जल यात्रा लगी बड़ी सुहानी
नौका ने गति पकड़ी
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आदरणीय लोकेश जी की बेहतरीन ग़ज़ल
ख़्वाबों को....
तूफ़ान में कश्ती को उतारा नहीं होता
उल्फ़त का अगर तेरी किनारा नहीं होता
ये सोचता हूँ कैसे गुजरती ये ज़िन्दगी
दर्दों का जो है गर वो सहारा नहीं होता
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आज आदरणीय रवींद्र जी की व्यस्तता की वजह से
प्रस्तुति जल्दबाजी में हम तैयार किये है।
कल की प्रस्तुति रवींद्र जी लेकर आयेगे।
आज की प्रस्तुति पर आप सभी सुधिजनों का
बहुमूल्य सुझाव अपेक्षित है
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और हम-क़दम..
हम-क़दम का बारहवें क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसभी को जय जिनेन्द्र
बेहतरीन प्रस्तुति
आभार सखी
सादर
सुन्दर प्रस्तुतिकरण, सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
बेहतरीन रचनायें
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
वाह...
जवाब देंहटाएंस्वागत है...
आभार...
सादर...
भगवान महावीर और मेरे बहुत - बहुत प्रिय कवि पंडित भवानी प्रसाद मिश्र के दिन पर मुझे भी थोड़ी सी जगह आपने दे दी .....सो आपका बहुत आभार । पंडितजी की रचना से दिन की शुरुआत तन - मन में हमेशा से ऊर्जा भर देती है ।
जवाब देंहटाएंसबका दिन अच्छा बीते ।
सबकी कलम कुछ अच्छा लिखे ।
बधाई सबको !
दमदार हलचल ... निशाँन छोड़ती हुयी ...
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनायें सभी रचनाएँ उत्तम कोटि की पठनीय
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
सुन्दर और और पठनीय रचनाएं। भवानी प्रसाद जी की रचनाएं हम हिंदी भाषी दिलों पर राज करती हैं। उन्हें सादर नमन
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति
सादर
बहुत खूबसूरत संकलन!!!
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत सुंंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमहावीर स्वामी का संदेश जन-जन तक पहुंचे !
जवाब देंहटाएंवाह!श्वेता जी आदरणीय भवानी प्रसाद जी, की रचना के साथ आज की प्रस्तुति बहुत सुंदर बन पड़ी.. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंबहन श्वेता जल्दबाजी में भी इतनी सुंदर प्रस्तुति तैयार कर देती हैं, बहुत शुक्रिया मेरी रचना को स्थान देने हेतु !!!
जवाब देंहटाएंपंडित भवानीप्रसाद मिश्र जी की यह कविता साझा करने के लिए विशेष आभार !
शानदार प्रस्तुतियां।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुतियाँ ।
जवाब देंहटाएंमुझे मीनाजी की रचना "जब मैं तुमसे मिलूँगी" बेहद पसंद आया ।