पल्लवी गोयल
परम उद्धारक गीता के गायक
नीति ,धर्म के कुशल धनिक ।
पांचाली के चीर प्रदायक ,
राधा ,रुक्मणि की घनेरी प्रीत।
घन ,जल,थल ,जन के पालक ,
वही मेरी प्रीत , वही उम्मीद !
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आदरणीय पुरुषोत्तम जी की दो रचना
एक उम्मीद लिए बैठा वो मन में,
दीदार-ए- तसव्वुर में न जाने किसके,
हसरतें हजार उस दिल की,
ख्वाहिशें सपने रंगीन सजाने की।
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टिमटिम जलती वो आशा!
इक उम्मीद, टूट गई थी सहसा!
व्याप्त हुई थी खामोशी,
सहमी सी वो, सिहर गई जरा सी!
दामन आशा का फिर फैलाकर,
लेकर संग कुछ निशाचर,
तम की राहों से गुजरे वो सारे,
उम्मीद की लड़ी, फिर जुड़ सी गई.....
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शुभम सिसौदिया जी
मंद मंद आंसू,आंखो में प्यास,सरकारी चिट्टी
सूखा बदन,माथे से लगाए अपने खेत की मिट्टी
दिल में उम्मीद,सीने में दर्द,भूखा और प्यासा
कल दिखा इक किसान मुझे ओढ़े निराशा
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आदरणीया आशा जी
आज की दुनिया टिकी है
प्रगति के सोच पर
नन्हीं सी आशा पर
उसके विस्तार पर
रहता है हर मन में
एक छोटा सा बालक
जब भी आगे चलना सीखता है
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आदरणीया नीतू जी
मिटती है बारम्बार मगर
हर रोज जन्म ये लेती है
उद्देश्य हिन हर जीवन को
उद्देश्य नया ये देती है
उम्मीद का कोई अंत नहीं
संसार भले ही मिट जाये
नामुमकिन है की सृष्टि से
उम्मीद कभी भी हट जाये
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आदरणीया रश्मि जी
पूरी ठसक के साथ जिए
जानते हुए कि तिरस्कार मिलेगा
परंतु कहोगे
अपनी छोटी सी इच्छा, औरों के आगे
इस उम्मीद में
कि सामने सबके बात रख ली जाएगी
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आदरणीया इन्दिरा जी
अब तलवार उठानी है
सिंह नाद कर उठे सिंहनिया
वो ललकार लगानी है
नारी अब अबला कहलाये
ये मुझको मंजूर नही
उम्मीदों को राख बनाना
अब मुझको मंजूर नही ....
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आदरणीय पंकज प्रियम् जी
उम्मीद
बड़ी उम्मीद से यूँ लहरा के
इसबार फिर पार उतरा के
दिल जो साहिल पे आया है।
उम्मीदों ने आँचल लहराया है।
माना उम्मीद पर जीने से हासिल कुछ नही लेकिन
पर ये भी क्या,कि दिल को जीने का सहारा भी न दें।
उजडने को उजडती है बसी बसाई बस्तियां
पर ये भी क्या के फकत एक आसियां भी ना दे।
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तरसते है जो भूखे, दो जून की रोटी को......
मधुमास आये या जाये, क्या जाने वे तुझको,
आने वाले कल की,उम्मीद नयी दे दो.........
ऐ बसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।
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आदरणीया सुधा सिंह जी
प्रतिकूल परिस्थितियाँ हो तो भी
निर्वेद न हो, न शिथिल पड़ो
उम्मीद का दामन थाम कर
यलगार करो और आगे बढ़ो
रोशन होगी, दिल की मशाल
फिर देखना होगा कमाल
फिर देखना होगा कमाल...
बहुत ही उम्मीद से भरा बहुत ही उम्दा संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बहुत ही सुंदर हैं सुबह सुबह पढ़ कर मन में एक नई उम्मीद जाग उठी है
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंउम्मीद
उम्मीद पर
बिलकुल खरी
उतरी...पूरी तरह से
सादर
अत्यंत खुशी हुई
जवाब देंहटाएंसुबह की पहली किरणों ने उनींदी आँखों में उम्मीदें जगा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति श्वेता जी,
जवाब देंहटाएंउम्मीद पर बढिया भूमिका के साथ संकलन
सभी रचनाकारों को बधाई एवम् धन्यवाद।
बहुत शानदार प्रस्तुति। दिल से आभार मेरी उम्मीद को बरकरार रखने हेतु।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति। दिल से आभार मेरी उम्मीद को बरकरार रखने हेतु।
जवाब देंहटाएंमन में उम्मीदें जगा दी....उम्मीद पर बढिया संकलन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
वाह!!श्वेता ,बहुत सुंंदर भूमिका .....मेरी रचनाओं को सम्मिलित करनें हेतु ह्रदयतल से आभारी हूँ ...ईश्वर करे सभी की उम्मीदें कायम रहे.....
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंदस क़दम चल लिया बालक
खिलाफ़त की सारी अवधारणाएँ विलोपित हो गई
शुभ कामनाएँ
सादर
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुतिकरण ....उम्मीदों से भरे उम्दा पठनीय लिंक्स...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी !
उम्मीद को उम्मीद के पंख लगाता बेहतरीन अंक। सार्थक काव्यात्मक भूमिका के साथ निखरी हुई प्रस्तुति। उम्मीद पर अलग-अलग दृष्टिकोण से सुसज्जित भावाभिव्यक्ति प्रभावशाली है। सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंउम्मीदों भरा संकलन.. लाजवाब प्रस्तुतिकरण.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति .....सार्थक लिंक संयोजन । आभार ।
जवाब देंहटाएंसादर ।