नारी शक्ति को मेरा सादर नमन एवं महिला दिवस की शुभकामनाऐं।
आज 107 वां विश्व महिला दिवस है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह दिवस सम्पूर्ण विश्व में नारी के सम्मान और उसकी सामाजिक,आर्थिक एवं बौद्धिक स्थिति की चर्चाओं और उसके आत्मविश्वास से जुड़े बिषयों पर सारगर्भित बखान को समर्पित होता है।
इस बार Theme वाक्य है Press for progress. महिलाओं ने अपने सशक्त हस्तक्षेप साथ बराबरी के लिये सतत संघर्ष से समाज में जो मक़ाम हासिल किया है उसे अब सहर्ष स्वीकारा जा रहा है। मुझे आज ज़्यादा कुछ नहीं कहना है बस एक बयान का ज़िक्र करना चाहता हूँ जो महिला विद्रोहियों के बारे में फिलीपींस के राष्ट्रपति ने पिछले दिनों दिया। एक पुरुष जो किसी देश के सर्वोच्च पद पर है वह महिलाओं के बारे घृणा की पराकाष्ठा तक भरा हुआ है। वह सैनिकों को क्या कहता है आप ख़ुद ही सर्च करके पढ़ लीजियेगा, मैं उन शब्दों का यहाँ उल्लेख भी नहीं करना चाहता। बहरहाल मैंने ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल के ज़रिये उस बयान की निंदा ज़रूर की है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा वांछित स्तर पर नहीं हो सकी। आइये अब इस अवसर पर कुछ पसंदीदा रचनाओं पर नज़र डालें -
चलते-चलते आदरणीया शुभा मेहता जी के सुमधुर कंठ से निकली सुरीली आवाज़ का आनन्द लीजिये-
जाना था हमसे दूर.... शुभा मेहता
हम-क़दम का नौवां क़दम का विषय... ...........यहाँ देखिए........... आज की चर्चा में शामिल होने के लिये आपका शुक्रिया। फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। कल की प्रस्तुति के साथ चर्चा आरम्भ करेंगी आदरणीया श्वेता सिन्हा जी। रवीन्द्र सिंह यादव
सुन्दर प्रस्तुति रवींद्र जी, मेरी कविता की एक पंक्ति को "पांच लिंकों का आनंद" के इस अंक में शीर्षक बनाकर जो सम्मान आपने दिया है उसके लिए आभार, इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।
सुप्रभात, सारगर्भित भूमिका के साथ नारी के सम्मान में रखी गयी आपकी इस विशेष प्रस्तुति के लिए आपका अति आभार रवींद्र जी। सराहनीय रचनाओं का बहुत सुंदर संयोजन किया है आपने। सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं। मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार। सभी साथी रचनाकारों को बहुत बधाई।
आदरणीय रविन्द्र जी -- आज की सभी सशक्त लिंक संयोजन देख मन को अपार हर्ष हुआ जहाँ नारी सशक्तिकरण पर अनूठे लेख भी है और प्रणय के मधुर गान भी | सबसे प्रेरक और आकर्षक मुझे आदरणीय राकेश जी की रचना से ली गयी पंक्ति लगी '' हिम्मत दिखा दे अब , खुद को आजाद कर '' कितना बड़ा उन्मुक्त आह्वान हैं ये पब्क्तियाँ !!!!!!!!!!! सचमुच केवल महिलाओं के नाम एक दिन कर देने से महिलाएं सशक्त नहीं हो जायेंगी उन्हें अपने भीतर आत्मबोध से गुजरना होगा | उन्हें किसी की होड़ में किसी जैसा बनने की जिद में अपनी पहचान नहीं गंवानी चाहिए बल्कि नारी ही रहकर अपने आप को पहचान अपने लिए स्वाभिमान से जीने की कोशिश करनी होगी | | साथ में अगली पीढ़ी को संस्कारी और स्वाबलंबी बनने में मदद करनी होगी |
राकेश जी की पंक्ति में कुछ भाव मेरे भी --
खुले आसमा में जा -
बुलंद अपनी परवाज़ कर !!
हिम्मत दिखादे अब तो -
खुद को आजाद कर ;
घटती जाती जिंदगी
ना कोई पल लौट के आयेगा
याद रख तुम को बचाने -
कोई मसीहा ना आयेगा
खुद ही बन अपनी मुहाफिज -
ना किसी खुदा को याद कर !!!!!!!!!!!
सभी बहनों को आज के विशेष दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |
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सुंदर v सार्थक प्रस्तुति मेरे आलेख को स्थान् देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएँ
सादर
सुन्दर प्रस्तुति रवींद्र जी, मेरी कविता की एक पंक्ति को "पांच लिंकों का आनंद" के इस अंक में शीर्षक बनाकर जो सम्मान आपने दिया है उसके लिए आभार, इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंअनुपम लिंक्स के साथ बेहतरीन रचनाओं का संगम ...
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति... सभी रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंसुप्रभात,
जवाब देंहटाएंसारगर्भित भूमिका के साथ नारी के सम्मान में रखी गयी आपकी इस विशेष प्रस्तुति के
लिए आपका अति आभार रवींद्र जी।
सराहनीय रचनाओं का बहुत सुंदर संयोजन किया है आपने।
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार।
सभी साथी रचनाकारों को बहुत बधाई।
वाह!!रविन्द्र जी ,बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति !!सुंदर भूमिका के साथ सभी लिंक लाजवाब । मेरी प्रस्तुति को स्थान देने हेतु धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और विचारणीय भूमिका के साथ प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
धन्यवाद।
@हिम्मत दिखा दे अब, खुद को आज़ाद कर....
जवाब देंहटाएंअरे ! अब तो जागो, आधा विश्व हो तुम !!
सुंदर और प्रभावी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय रविन्द्र जी -- आज की सभी सशक्त लिंक संयोजन देख मन को अपार हर्ष हुआ जहाँ नारी सशक्तिकरण पर अनूठे लेख भी है और प्रणय के मधुर गान भी | सबसे प्रेरक और आकर्षक मुझे आदरणीय राकेश जी की रचना से ली गयी पंक्ति लगी '' हिम्मत दिखा दे अब , खुद को आजाद कर '' कितना बड़ा उन्मुक्त आह्वान हैं ये पब्क्तियाँ !!!!!!!!!!! सचमुच केवल महिलाओं के नाम एक दिन कर देने से महिलाएं सशक्त नहीं हो जायेंगी उन्हें अपने भीतर आत्मबोध से गुजरना होगा | उन्हें किसी की होड़ में किसी जैसा बनने की जिद में अपनी पहचान नहीं गंवानी चाहिए बल्कि नारी ही रहकर अपने आप को पहचान अपने लिए स्वाभिमान से जीने की कोशिश करनी होगी | | साथ में अगली पीढ़ी को संस्कारी और स्वाबलंबी बनने में मदद करनी होगी |
जवाब देंहटाएंराकेश जी की पंक्ति में कुछ भाव मेरे भी --
खुले आसमा में जा -
बुलंद अपनी परवाज़ कर !!
हिम्मत दिखादे अब तो -
खुद को आजाद कर ;
घटती जाती जिंदगी
ना कोई पल लौट के आयेगा
याद रख तुम को बचाने -
कोई मसीहा ना आयेगा
खुद ही बन अपनी मुहाफिज -
ना किसी खुदा को याद कर !!!!!!!!!!!
सभी बहनों को आज के विशेष दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |
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