होली आई थी...
चलिए शार्टकट लेते हैं.....
रंग....पुरुषोत्तम सिन्हा
कहीं सूखते पात,
बिछड़ते डाली से छूटते हाथ,
कहीं टूटी डाल,
कहीं नव-कलियों का ताल,
कहीं खिलते हँसते फूल,
वहीं मुरझाए से फूल,
जमीं पर औंधे छाए से फूल,
वहीं झूलती डाली पर विहँसते शूल,
लिखा जाना बाकी है अभी!..अपर्णा वाजपेई
जानता हूँ जब भी लिखेगी मुझको वो
शर्म से खुद में ही बार-बार सिमट जायेगी
हर एक हर्फ़ के बाद खुद से पूछेगी
कोरे कागज़ को एहसास बताना गुस्ताख़ी तो नहीं?
दर्द का हर डंक...अभिलाषा (अभि)
दर्द का पर्यायवाची बन गया ये जीवन
और हर पर्याय पर
भिनभिना रही हैं मधुमक्खियां
कि हर आहट पर
डंक मारने को आतुर,
बेतरतीब सी दौड़ती जा रही हैं
हज़ारों गाड़ियां सड़क पर
गावै कोयलिया कुहू कुहू ...पुष्पेन्द्र द्विवेदी
अमिया अमराई पीहू पीहू गावै कोयलिया कुहू कुहू ,
तन गीला कैसे धीज धरूँ मैं बिरहन तपती जलती मरू ।
पी पी भांग धतूरा अब तो चम्म हो गए सारे ,
मटका में मट्ठा घुलवाओ कोई निमकी चटवाओ अब तो ।
कश्मकश!......अनीता लागुरी (अनु)
मेरे हाथों में कांपते मेरे सपने भी हैं ...!
कुछ कहने को उतावला मेरा मन भी है
हाँ वो गोले आग के,मेरे अंदर भी हैं ।
उलूक की खबर
रंग को रंग
ही रहने दे
अगर मिलायेगा
समझ ले बाद में
तेरे ही सर
चढ़ के बोलेगा
होली का होला
कब हो गया
“उलूक” तू बस
ऊपर से नीचे
देखता रह जायेगा ।
...........
आज बस
दिग्विजय
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंवाह...
बेहतरीन
सादर
बहुत सुंदर संकलन,,,
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सुन्दर प्रस्तुति, उम्दा लिंकों का चयन तधा इक लम्बे अन्तराल के पश्चात मेरी रचनाएँ भी शामिल करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एवं सराहनीय रचनाओं से सजी आज की प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंआदरणीय, जीवन के विभिन्न रंगों को समेटे सुंदर लिंक संयोजन ।सुबह खुशनुमा हो गई ।धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसादर ।
सुंदर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंआज का अंक पढ़कर लगा कि जीवन पटरी पर कितनी जल्दी लौट आता है न होली के रंग रहे न ही गुझिया की मिठास ज़िन्दगी की तल्खियाँ बरकरार हैं। साथी रचनाकारों की प्रस्तुति बहुत अच्छी हैं।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद सभी रचनाकारों को एवम प्रस्तुतकर्ता को।
सुन्दर प्रस्तुतिकरण..उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंसच, ऐसा तो कहीं लगा नहीं कि होली आई थी ! कितनी तैयारी, बस दो दिनों के त्योहार को मनाने के लिए...दिवाली में भी ऐसे ही लगता है। सोचने को मजबूर कर देता है कि जो अच्छा है,उल्लास उमंग, उत्साह से भरा है, वो इतनी जल्दी क्यों बीत जाता है सुख स्वप्न की तरह....जीवन में कुछ ऐसा किया जाए कि ये उल्लास,उमंग और उत्साह कभी खत्म ही ना हो!
जवाब देंहटाएंअब आज की रचनाओं पर... सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक हैं। शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई एवं धन्यवाद ! सादर ।
शानदार प्रस्तुति। मेरे रंग लगाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति। मेरे रंग लगाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संयोजन। समय तो चलता ही जायेगा , ये हमारे हाँथ में है कि हम इस समय को किस रंग से रंगते है .....
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए सादर आभार । सभी साथी रचनाकारों को बधाई।
सादर
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत विविधता से परिपूर्ण सुन्दर रचनाओं से सजी प्रस्तुति. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
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