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शनिवार, 31 मार्च 2018

988... क्षमा


सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
सृजन का सम्मान है।
नफरत का निदान है।
शीलवान का शस्त्र है।
अहिंसक का अस्त्र है।

क्षमा

 ज़रा ये सोंच कि गुजरेगी उस गुलाब पर क्या
जो शाख पर तो रहे गंध से बिछुड़ जाए ||
एक बार अगर ये सारे धर्म ग्रन्थ जला दिए जाएँ,
उन सब पुस्तकों में आग लगा दी जाए जो
मनुष्य में भय पैदा करती हैं तो संभव है
 इंसान कोई नयी सोच , नया चिंतन पैदा कर सके |
जीने के नए रास्ते तलाशे |
अपने होने के वजूद को प्रमाणिकता प्रदान कर सके |

क्षमा

यह देख राज ने रघु से पूछा कि उस दिन जब
मैंने तुम्हें तमाचा मारा था तो तुमने रेत पर लिखा था
और आज पत्थर पर लिख रहे हो..इसका क्या कारण है ?

रघु ने बहुत सहजता से उत्तर दिया उस दिन
 मैंने रेत पर इसलिये लिखा था कि जब हवा चले
मेरा लिखा मिट जाये और आज पत्थर पर
 इस लिये लिख रहा हूं कि यह हमेशा लिखा रहे I

क्षमा

माँ !
तुम क्यों चली गई ?
मुझे अकेला छोड़
निरीह-नीरस और जड़
जीवन में
जिसका न आदि हैं
और न अन्त
जिसका न आधार हैं
और न विकास
पर, माँ !


क्षमा

स्वयं करता है, कौन यहाँ
कर्मों का, ताना बाना है
नहीं जानते हम, बीते काल का
किसका क्या, कर्ज़ चुकाना हो …

परिन्दों के जैसे, पिंजर खुल गए
खुल के हवा में, उन्मुक्त श्वास लो
नहीं है ज़रा भी, संशय इस में बंधू


क्षमा

बमुश्किल से उसकी काली चमड़िया
ढँक रही हों उसकी पसलियाँ
और उस चार हाथों वाले ईश्वर के
एक हाथ में फरसा
दूसरे में हँसिया
तीसरे में मुट्ठी भर अनाज
और चौथे में महाजन का दिया परचा हो


फिर मिलते हैं... जरा ठहर जाइये


हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम  बारहवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
:::: तन्हाई ::::
:::: उदाहरण ::::
जब कभी किसी
तन्हा सी शाम
बैठ अकेले चुपचाप 
पलटोगे जीवन पृष्ठों को
सच कहना तुम
क्या रोक सकोगे
इतिहास हुए उन पन्नों पर
मुझको नज़र आने से
क्या ये कह पाओगे
भुला दिया है मुझको तुमने
कैसे समझाओगे ख़ुद को
बहते अश्कों में छिपकर
याद मेरी जब आयेगी
शाम की उस तन्हाई में 

आप अपनी रचना आज 
शनिवार 31  मार्च 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं।
 चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक
 02 अपैल 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
 विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु 
हमारे पिछले गुरुवारीय अंक 
11 जनवरी 2018  का अवलोकन करें



कुछ बातें अगले अंक में


10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ ु्रभात दीदी
    सादर नमन
    श्री हनुमान जन्म समारोह की शुभ कामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात दी,
    सर्वप्रथम हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक मंगलकामनाएँ सभी पाठकवृंद को। हमेशा की तरह एक विषय बहुत सुंदर विशेष प्रस्तुति पढ़कर आनंद आया।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात..
    सभी को हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं ... बहुत सुंदर संकलन ..।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर संकलन
    सभी को हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. विहाग वैभव की कविताओं को पढ़ाकर आपने अद्भुत उपकार किया। बहुत दिनों बाद ऐसा लगा मानों चातक को स्वाति की बूंदे मिली। इसका आभार शब्दों से परे!!

    जवाब देंहटाएं
  6. क्षमा का बेहतरीन प्रस्तुतिकरण,उम्दा क्षमा संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  7. कल का दिन व्यस्तता भरा रहने से ये बेहतरीन अंक एक दिन देर से पढ़ा गया। विभा दी की पसंद उनके सुरुचिपूर्ण एवं निर्मल स्वभाव को जाहिर करती हैं। एक सुंदर अंक देने के लिए सादर आभार विभा दी।

    जवाब देंहटाएं
  8. आज के अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
    |

    जवाब देंहटाएं

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