आज के जीवन पर सबसे बेहतर पंक्तिया " वक़्त का दर्रा दर्रा" वक़्त का दर्रा दर्रा बिता जा रहा है, यादो के पन्नो को समेटा जा रहा है।
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बुधवार, 14 मार्च 2018
971..जरूरत है उन झरोखों को खोलना..
आज के जीवन पर सबसे बेहतर पंक्तिया " वक़्त का दर्रा दर्रा" वक़्त का दर्रा दर्रा बिता जा रहा है, यादो के पन्नो को समेटा जा रहा है।
13 टिप्पणियां:
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंशानदार संयोजन
आभार
सादर
सस्नेहाशीष
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतीकरण
सुंदर,अलग अलग विधा और शैली की रचनाओं का संकलन ! बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंवाह लाजवाब संयोजन पम्मी जी विविधता समेटे सार्थक रचनाओं का सुंदर गुलदस्ता ।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक भुमिका प्रश्न वाचक
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
सुप्रभात पम्मी जी,
जवाब देंहटाएंसुंदर सराहनीय रचनाओं के संकलन शानदार प्रस्तुति के साथ। विचारणीय भूमिका लिखी है आपने।
बहुत सुंदर संयोजन।
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
सही खा है आपने, संवेदनशीलता की कमी ही समाज में बिखराव का कारण है, नीरज के शब्दों में, आदमी को आदमी बनाने के लिए थोड़ा सा हो, आँखों वाला पानी चाहिए..सुंदर सूत्रों से सजी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसही पंक्तियाँ हैं...
जवाब देंहटाएं"आदमी को आदमी बनाने के लिए जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिए और कहने के लिए कहानी प्यार की, स्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए"।
वाह!सुंंदर भूमिका के साथ ,लाजवाब लिंक संयोजन । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंआनंदमय प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंआदमी आदमी न रहा...आदमियत कहाँ गयी....
एकदम सटीक....
आप सबका बहुत बहुत आभार
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