और बेहद प्रतिभाशाली अभिनेत्री श्रीदेवी का असमय ही संसार से विदा लेकर चले
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बुधवार, 7 मार्च 2018
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और बेहद प्रतिभाशाली अभिनेत्री श्रीदेवी का असमय ही संसार से विदा लेकर चले
19 टिप्पणियां:
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंएक अच्छा संयोजन
साधुवाद
सादर
सुखद अनुभूति
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचनायें
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
सुन्दर प्रस्तुति पम्मी जी के विशिष्ट अंदाज़ वाली सारगर्भित और ध्यातव्य भूमिका के साथ। बधाई और आभार!!!
जवाब देंहटाएंनारी दिवस संपूर्ण नारी के विशेष दिन का द्योतक है। हाँ सही है अधिकारों और कर्तव्यों की लड़ाई में आधुनिकता की दौड़ में शहरी महिलाओं के हाथ में बैनर हैंं। ग्रामीण महिलाओं के समाज में अमूल्य योगदान को न भूलते हुये उनकी स्थिति पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का समन्यवय पम्मी जी। बहुत अच्छी प्रस्तुति है।
सादर।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंस्वयं सिद्धा अपने मे एक होती है सम्पूर्ण नारी जाति का उत्थान करना हो तो गाँव देहात मेहनतकशों को सामिल करना ही होगा बहुत सटीक भुमिका पम्मी जी बधाई।
सभी रचनाकारों को बधाई
उम्दा लिंक्स एवं प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाएँ उत्तम
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तावना के साथ बेहतरीन लिंक संयोजन.
जवाब देंहटाएंविचारणीय प्रस्तुति आदरणीय पम्मी जी की. भूमिका में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की स्थिति पर सोचने के लिये आपने हमारा ध्यान आकृष्ट किया है जो अपने अधिकारों की चर्चा किये बिना चुपचाप देश के निर्माण में साझीदार हैं.
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ! आज के संकलन में मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिए आपका ह्रदय से आभार पम्मी जी ! सभी प्रस्तुतियां बहुत शानदार !
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक संयोजन ! बहुत खूब आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक संयोजन ....
जवाब देंहटाएंप्रिय पम्मी जी -- देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | वैसे मैंने लिंक कलही देख लिए थे पर किसी कारणवश यहाँ लिखना सम्भव ना हो पाया |सभी लिंक बहुत सुंदर सार्थक हैं | हमेशा की तरह सभी को पढ़ बहुत अच्छा लगा | भूमिका में ग्रामीण महिलाओं के अभूतपूर्व योगदान का जिक्र हुआ है , वो मुझे बहुत अच्छा लगा है | क्योकि मेरा जन्म भी गाँव का है और जीवटता से भरी इस नारी शक्ति को खूब देखा है मैंने | कमजोर तबके की महिलाओं के हौंसले देखते ही बनते हैं | कम साधनों में खुश रहना भी खूब आता है इन्हें और काम चलाना भी | मुझे सबसे ज्यादा दुःख तब होता है जब मैं सुनती हूँ कि भरपूर मेहनत और पुरुषों के बराबर काम करने पर भी इन्हें इनका मेहनताना पूरा नहीं दिया जाता | फिर भी आज इनके भी वंदन और नमन का दिन है जिनमे से अनेक महिलाओं ने स्वयम कम साधनों में गुजारा किया और अपनी बेटियों को भरपूर शिक्षा दीक्षा दिला उन्हें जीवन ने एक शक्तिशाली मुकाम हासिल करने में भरपूर सहयोग दिया है | यही महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम है | इन ग्रामीण नारी शक्ति को हजारों सलाम और उस महत्वपूर्ण महिला दिवस पर उनका स्मरण करने लिए आपकी सराहना करती हूँ और सफल संयोजन की बधाई देती हूँ | सस्नेह
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ हर विचार से..
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