निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 7 मार्च 2018

964..दहलीज पार कर रास्ते बनाती आधी आबादी..


।।शुभ भोर वंदन।।
दहलीज पार कर रास्ते बनाती 
आधी आबादी..

महिला दिवस पर अगर 

ग्रामीण महिलाओं की जिक्र न हो तो नारी सशक्तिकरण अधूरा है..

आँखों में कल के सपनों को सजोये नित्य सामाजिक रुढियों और बेड़ियों

 से जुझती ये महिलाएँ  .. कईयों ने अपार साहस के साथ मुकाम हासिल किया है..

नमन उन तमाम ग्रामीण सखियों को जिनमें साहस ,संकल्प ,सपना और नयी सोच है।



अब रुख करते आज के चुनिंदा लिकों पर..✍


कृपया रचनाकारों के नाम क्रमानुसार पढे..
आदरणीय डॉ.राजीव जोशी जी
आदरणीया अलकनंदा सिंह जी
आदरणीया साधना वैद जी
आदरणीया रश्मि शर्मा जी
आदरणीय सुधीर गुप्ता जी
आदरणीय विश्वमोहन जी
🔲

ग़ज़ल



तुम जैसे दोस्त दो-चार ढूंढता हूँ।

फुर्सत नहीं कि अपने गिरेबाँ में झाँकूँ
गैरों में मुकम्मल किरादर ढूंढता हूँ।

🔲







नैसर्गिक अधिकारों व कर्तव्‍यों को 

 लेकर सदियों पुरानी भारतीय सभ्‍यता का कोई सानी नहीं, इसके बाद भी यदि हम

 सुसंस्‍कृत  कहलाने के लिए पश्‍चिम की ओर देखें तो हमसे बड़ा मूर्ख और कौन हो सकता है।

हम भारतीय मांऐं ही नहीं, दुनियाभर की मांओं को जिस तरह ये नैसर्गिक अधिकार 
प्राप्‍त है  कि अपने शिशु को स्‍तनपान कराने से ना तो कोई रोक सकता है और ना 
ही इसके लिए  अनुमति की आवश्‍यकता होती है, ठीक उसी तरह शिशु को भी मां 
के दूध से कोई वंचित नहीं  रख सकता।


🔲




कुछ दिन पूर्व हर दिल अजीज़, बेहद खूबसूरत 
और बेहद प्रतिभाशाली अभिनेत्री श्रीदेवी का असमय ही संसार से विदा लेकर चले

 जाना उनके प्रशंसकों और चाहने वालों 

को बुरी तरह से झकझोर गया ! अभी 

उनकी उम्र नहीं थी अलविदा 

कहने की ! फिर वतन की मिट्टी से ..

🔲







बेहद बेचैन होता है

मन

और जब 

वक्‍त कठि‍न होता है

भागती-फि‍रती हूं

उन सवालों से

जो कि‍सी इंसान की

चीर-फाड़ को आतुर होता है
🔲






समीर शरारत सों सों करता/

अमराई की आहट में//

सरमाती सुस्ताती धरती/

चुलबुल चैत की चाहत में//

शीत तमस ने किया पलायन/

सूरज ने ऊष्मा घोली//

कोकिल कुंजित चित चितवन में/

हारिल की हरी डाली डोली//
🔲
हम-क़दम का नवें क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........

🔲


अब यही थमती हूँ कल रूबरू होते हैं रवीन्द्र जी की प्रस्तुति के साथ
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह..✍



19 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    एक अच्छा संयोजन
    साधुवाद
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत उम्दा रचनायें
    बेहतरीन संकलन

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति पम्मी जी के विशिष्ट अंदाज़ वाली सारगर्भित और ध्यातव्य भूमिका के साथ। बधाई और आभार!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. नारी दिवस संपूर्ण नारी के विशेष दिन का द्योतक है। हाँ सही है अधिकारों और कर्तव्यों की लड़ाई में आधुनिकता की दौड़ में शहरी महिलाओं के हाथ में बैनर हैंं। ग्रामीण महिलाओं के समाज में अमूल्य योगदान को न भूलते हुये उनकी स्थिति पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
    सारगर्भित भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का समन्यवय पम्मी जी। बहुत अच्छी प्रस्तुति है।

    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    स्वयं सिद्धा अपने मे एक होती है सम्पूर्ण नारी जाति का उत्थान करना हो तो गाँव देहात मेहनतकशों को सामिल करना ही होगा बहुत सटीक भुमिका पम्मी जी बधाई।
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा लिंक्स एवं प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ख़ूब सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाएँ उत्तम

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन प्रस्तावना के साथ बेहतरीन लिंक संयोजन.

    जवाब देंहटाएं
  10. विचारणीय प्रस्तुति आदरणीय पम्मी जी की. भूमिका में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की स्थिति पर सोचने के लिये आपने हमारा ध्यान आकृष्ट किया है जो अपने अधिकारों की चर्चा किये बिना चुपचाप देश के निर्माण में साझीदार हैं.
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  11. विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ! आज के संकलन में मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिए आपका ह्रदय से आभार पम्मी जी ! सभी प्रस्तुतियां बहुत शानदार !

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह!!बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  13. खूबसूरत लिंक संयोजन ! बहुत खूब आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं
  14. प्रिय पम्मी जी -- देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | वैसे मैंने लिंक कलही देख लिए थे पर किसी कारणवश यहाँ लिखना सम्भव ना हो पाया |सभी लिंक बहुत सुंदर सार्थक हैं | हमेशा की तरह सभी को पढ़ बहुत अच्छा लगा | भूमिका में ग्रामीण महिलाओं के अभूतपूर्व योगदान का जिक्र हुआ है , वो मुझे बहुत अच्छा लगा है | क्योकि मेरा जन्म भी गाँव का है और जीवटता से भरी इस नारी शक्ति को खूब देखा है मैंने | कमजोर तबके की महिलाओं के हौंसले देखते ही बनते हैं | कम साधनों में खुश रहना भी खूब आता है इन्हें और काम चलाना भी | मुझे सबसे ज्यादा दुःख तब होता है जब मैं सुनती हूँ कि भरपूर मेहनत और पुरुषों के बराबर काम करने पर भी इन्हें इनका मेहनताना पूरा नहीं दिया जाता | फिर भी आज इनके भी वंदन और नमन का दिन है जिनमे से अनेक महिलाओं ने स्वयम कम साधनों में गुजारा किया और अपनी बेटियों को भरपूर शिक्षा दीक्षा दिला उन्हें जीवन ने एक शक्तिशाली मुकाम हासिल करने में भरपूर सहयोग दिया है | यही महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम है | इन ग्रामीण नारी शक्ति को हजारों सलाम और उस महत्वपूर्ण महिला दिवस पर उनका स्मरण करने लिए आपकी सराहना करती हूँ और सफल संयोजन की बधाई देती हूँ | सस्नेह

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...