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गुरुवार, 18 मई 2017

671....पाठकों की पसंद....आज के पाठक हैं श्री रवीन्द्र सिंह जी यादव

सादर अभिवादन
अज़हद ख़ुशी हो रही है..
आज पाठकों की पसंद का तीसरा अंक
अब वो दिन दूर नहीं..
जब हमारे सम्माननीय पाठकगण
स्वयं यहां आकर लिंक संयोजित करेंगे...

खलबली मची है
गिरोहों गिरोहों
बात कहीं भी
नहीं हो रही है
किसी के भी
सरदार की

जागना होता है पूरी रात
सपनों के टूटने के डर से नहीं
इस डर से ...
की छीन न लिए जाएँ सपने आँखों

जिद्दी बच्चे सी मचल हवा,
पैरों से धूल उड़ाती है,
तरुओं के तृषित शरीरों से,
लिपटी बेलें अकुलाती हैं,
जब वारिद की विरहाग्नि में,
धरती का तन मन जलता है...
तब गुलमोहर खिलता है !!!

बेटी   ख़ुद   को  कोसती   है,
विद्रोह   का  सोचती    है ,
पुरुष-सत्ता  से  संचालित  संवेदनाविहीन  समाज  की ,
विसंगतियों  के   मकड़जाल  से   हारकर ,
अब  न लिखेगी   बेटी -
"अगले  जनम  मोहे   बिटिया  न  कीजो  ,
मोहे    किसी    कुपात्र     को   न  दीजो  "।

सीमेंट-सरिया   के   जंगल   से   दूर
उस  बस्ती  में   बरसना   चाहता  हूँ    मैं
जहाँ.......
जल  की  आस  में
दीनू   का  खेत  सूखा  है
रोटी   के   इंतज़ार   में
नन्हीं   मुनिया    का  पेट   भूखा   है।

:: पाठक परिचय ::
अपनी-परायी व्यथा हो या सुखद अहसास इन्हें शब्द-चयन की प्रतीक्षा,भाव और विचार व्यापक दृष्टिकोण में ढालते हैं. अनुभूति का आंतरिक स्पर्श लोकदृष्टि का सर्जक है जो मानव मन को प्रभावित करता है और हमें संवेदना के शिखर की ओर ले जाता है. 
ज़माने की रफ़्तार के साथ ताल-सुर मिलाने का एक प्रयास 
अपनी यात्रा आरंभ करता है
रवीन्द्र सिंह यादव 
संपर्क: rsyadav.dilauli@gmail.com
............
अगले पाठक की प्रतीक्षा में
पाँच लिंकों का आनन्द परिवार








26 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    हम भाई रवीन्द्र सिंह जी के आभारी हैं
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा में देर से शामिल होने के लिए क्षमा चाहता हूँ। आपका हार्दिक आभार "पाँच लिंकों का आनंद " में पाठकों की पसंद का तीसरा अंक मेरे नाम करने के लिए। रचनाकारों को नई स्फूर्ति और सृजन को विस्तार मिले ऐसे प्रयासों से ऐसी उम्मीद करता हूँ।

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. आपका स्नेह और आशीर्वाद यों ही मिलता रहे। हार्दिक आभार।

      हटाएं
  3. बहुत सुंदर links का संयोजन ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर रोचक संकलन....

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय 'यशोदा दीदी' नवीन लेखकों को एक सार्थक मंच प्रदान करने के लिए आपको हृदय से नमन करता हूँ शुभकामनाओं सहित ,आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी शुभकमनाओं और सहयोग के लिए आभारी हूँ एकलव्य जी। अपेक्षित सहभागता बनाये रखियेगा।

      हटाएं
  6. आदरणीय, रवींद्र जी शुभकामनाओं सहित ,आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छा लगा आज के लिंक पढ़कर। रवीन्द्र सिंह यादव जी को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. बार -बार पढ़ने पर नए - नए अर्थ समझाती सुन्दर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  9. सर्वप्रथम आभार आदरणीय यशोदा जी का, जिनका यह सुंदर प्रयास नए लेखकों को सार्थक मंच तो देता ही है,उनका मनोबल भी बढ़ाता है । रवींद्र यादव जी की भी आभारी हूँ कि उन्होंने गुलमोहर को पाँच लिंको में पहुँचाया । सभी रचनाएँ सुंदर व सार्थक हैं । आज वाचन के लिए अथाह सामग्री उपलब्ध है ब्लॉग जगत में । मैं वाचन की बेहद शौकीन हूँ और पाँच लिंकों की रचनाएँ लगभग रोज पढ़ती हूँ । पुनः एक बार सादर धन्यवाद...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरी और पाँच लिंकों का आनंद की ओर से आपका हार्दिक आभार चर्चा में सारगर्भित टिप्पणी जोड़ने के लिए।

      हटाएं
  10. सभी रचनाएँ उत्कृष्ट हैं। बधाई रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छा अंक है आज का जिसमें सभी विचारणीय मुद्दे कविताओं में समाये हैं। बधाई हो रविन्द्र सिंह यादव जी। साइट संचालक यशोदा जी का धन्यवाद ऐसे सफल सुन्दर संयोजन के लिए।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरी और पाँच लिंकों का आनंद की ओर से आपका हार्दिक विरेश जी आभार चर्चा में शामिल होने के लिए।

      हटाएं
  12. उत्तर
    1. सादर प्रणाम सर ! आपकी टिप्पणी से आज का अंक मेरे लिए विशिष्ट हुआ। हार्दिक आभार।

      हटाएं

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