ऋतु वर्षा का आगमन
ऊमस के दिन..
सारा बदन चिपचिपा फिर भी
कहीं चिपकने का मन न करे
चलिए इस अंक की पसंदीदा रचनाओं की ओर...
दुख का कारण....लघु कथा
नौकर ने अपनी ओढ़ी हुई चादर चोर को दे दी और बोला, इसमें बांध लो। उसे जगा देखकर चोर सामान छोड़कर भागने लगा। किन्तु नौकर ने उसे रोककर हाथ जोड़कर कहा, भागो मत, इस सामान को ले जाओ ताकि मैं चैन से सो सकूँ। इसी ने मेरे मालिक की नींद उड़ा रखी थी और अब मेरी। उसकी बातें सुन चोर की भी आंखें खुल गईं।
तू मेरे ब्लाग पे आ.....आनन्द पाठक
तू क्या लिखता रहता है , ये बात ख़ुदा ही जाने
मैने तुमको माना है , दुनिया माने ना माने
तू इक ’अज़ीम शायर’ है ,मैं इक ’सशक्त हस्ताक्षर
यह बात अलग है ,भ्राते ! हमको न कोई पहचाने
ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस छोटी बहना 💐😍
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
तार्किक संकलन एवं बहुत सुन्दर । आभार। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी आभार 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये। 'उलूक' का डंडा वो नहीं हैं जो आपने चित्र में दिखा दिया है। 100 फीट का जमीन पर गड़ा सीधा और खड़ा है :) समझिये जरा ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय भैय्या जी
हटाएंथोड़ा समझ का फेर हो गया
सो पुलिसिया डण्डा लगा दी
वो झण्डे वाला खम्भा है...
बदल देती हूँ
और दूसरी बात जो मैं कहना चाह रहा था वो थी आनन्द पाठक जी की पोस्ट के बारे में।मैं सोच रहा था आपको लिंक भेजने की पर आपने मेरे मन की बात पढ़ ली :)
जवाब देंहटाएंBAHUT BADHIYA
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! बढ़िया संकलन !
जवाब देंहटाएंबहुत बढियासंकलन....
जवाब देंहटाएंवाह!!!