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बुधवार, 17 मई 2017

670..........तारा टूटे कहीं तो, भगवान करे उसे बस माँ देखे

सादर अभिवादन
कभी जिन्दगी का 
ये हुनर भी 
आजमाना चाहिए,
जब अपनों से 
जंग हो, तो 
हार जाना चाहिए
आज का पसंदीदा रचनाएँ.....

ज्‍यादा चर्चा रही सुप्रीम कोर्ट के आदेश की, कि‍ राष्‍ट्रीय राजमार्ग और स्‍टेट हाईवे से 500 मीटर दूर तक नहीं होगी शराब की दुकान। 
जाहि‍र है इस आदेश से देश में हडकंप है। कुछ लोग वि‍रोध में हैं 
तो कुछ समर्थन में। अनुमान है कि‍ इससे करीब 50 हजार करोड़ का नुकसान होगा राज्‍यों को। होटल इंडस्‍ट्री को दस-पंद्रह हजार 
करोड़ का झटका लगेगा तो उधर करीब दस लाख लोगों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है।

सुब्ह-सुब्ह को उसका ख़्वाब इस क़दर आया
केतली से उट्ठी हो ख़ुश्बू चाय की जैसे

राख़ है, धुआँ है, इक स्वाद है कसैला सा
इश्क़ ये तेरा है सिगरेट अधफुकी जैसे


गुज़र गया है वक्त,.....कालीपद "प्रसाद"
मीना–ए-मय में’ मस्त सहारा शराब है 
गुज़र गया है’ वक्त, नहीं अब शबाब है | 

संसार में नहीं मिला दामन किसी का’ साफ 
प्रत्येक चेहरा ढका, काला नकाब है | 


मुद्दा तीन तलाक का,.....डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मुसलमान सारे नहीं, करते कहाँ विरोध।
मगर डालते हैं यहाँ, कठमुल्ला अवरोध।।

सबके लिए बने यहाँ, अब समान कानून।
मज़हब के दो पाट में, पिसे नहीं खातून।।

समाज ..... संगतकार
मुझे यह निर्मम समाज नहीं चाहिए
मुझे ले चलो जहाँ निर्जन हो
मै अम्बर के साथ रो लूँगा
धरती पर निखहरा सो लूँगा
पर इस क्रूर और शुष्क समाज में नहीं !




क्या बात है...डॉ. सुशील जोशी
आज भी माँ 
जब भी कोई 
तारा टूटता है
मुझे कोई इच्छा 
नहीं याद आती है 

उस समय 
बस और बस 
मुझे तुम्हारी बहुत 
याद आती है ।

आज्ञा दें यशोदा को..









8 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' के टूटते तारे को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. अतिसुन्दर ! संकलन आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया हलचल। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं

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