हमलोग महिलाओं को मतदान के लिए जागरूक कर रहे हैं
हक़ से लेकर दायित्व की परिभाषा समझाना
बातों का क्या
नारी हर युद्ध में तुने हाथ बटाया
धर्म युद्ध हो या गृह युद्ध
स्वतंत्रा संग्राम हो या राजपाठ कि हो बात
अच्छे-अच्छो को तुने दिया मात
कहो तो गिना दु मै सैकड़ो नाम
फिर क्यू हो तुम बेकाम
माँ जीवन के इस कठोर संघर्ष में
सिर्फ उसकी परवरिश ही काम आयी थी
आज भी याद है मुझे वो 20 साल पुरानी बातें
जो उसने मेरे ज़हन में बसाई थी
बिटिया स्वयं सहेगी दुःख ताकि अपनों पर आंच ना आन पड़े
बावजूद इसके, उसी के अपने उसके विरुद्ध खड़े!
क्या मिलेगी उसे मुक्ति अपनी इस व्यथा से?
कितनी परिपक्वता से कह जाति सबकुछ अपनी कथा से।
बहना तेरे बिना न पता ये मेरा खुशनुमा बचपन,
खट्टा मीठा ये अल्हड रंगीन सा अपनापन,
तूने ही तो चलना सिखलाया था मुझे,
गिर के उठाना कैसे है समझाया था तूने ही
स्त्री घर की हँसी, घर की खुशी
घर की रोशनी, घर की चाँदनी
घर की आभा, घर की प्रभा
घर की सफाई, घर की पुताई
वास्तव मे जो सारा घर समेटी है
वो माँ है , बहू है , बेटी है
स्त्री शक्ति को प्रणाम !
–विवेक जैन
फिर मिलेंगे
विभा रानी श्रीवास्तव
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
बेहतरीन प्रस्तुति
सादर
जवाब देंहटाएंदैनिक जागरण के संगनी क्लब की तरफ से मतदान जागरूकता कार्यक्रम अनुकरणीय व उल्लेखनीय है
नारी के विविध रूप से सजी सार्थक हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर। संकलन एवं सुन्दर ! रचना
जवाब देंहटाएंनारी जीवन को समर्पित विशेष संग्रहणीय अंक। नारी के विविध रूपों पर सुन्दर ,मार्मिक रचनाएँ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमेरे शब्दों को यहाँ स्थान देने का बहुत बहुत धन्यवाद..!!
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