नए नियमों के तहत आज-कल काफी उथल-पुथल है
ऑडिट करना है..ऑफिस से दो स्टाफ घर आए हैं..
आइना संगसार करना था.......नीरज गोस्वामी
दिल हमें बेकरार करना था
आपका इंतिज़ार करना था
जिस्म को बेचना गुनाह नहीं
रूह का इफ़्तिख़ार करना था
विश्वास....शुभा मेहता
अटकूं कहीं तो
इशारा करता है तू ही
भटकूं कहीं तो
साथ देता है तू ही
आकांक्षाएं , एक के बाद एक
बढ़ती चली जाती
शीर्षक तो भूल रही हूँ....
बात पते की...डॉ. सुशील जोशी
सफेद पन्ने
खाली छोड़ना
भी मीनोपोज
की निशानी होता है
तेरा इसे समझना
सबसे ज्यादा
जरूरी है
बहुत जरूरी है ।
आज्ञा दें यशोदा को...
सादर
ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस छोटी बहना
जवाब देंहटाएंव्यस्तता मकडजाल
उम्दा प्रतुतीकरण
आदरणीय,सुन्दर व रोचक प्रस्तुति ,आभार। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंआभार।
Suprabha Sundar single and Subhash aapka
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज की हलचल में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन......
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा जी !
सादर आभार...
सुन्दर
जवाब देंहटाएंपचड़े को छोड़ दे पर पचड़े हमें छोड़े तब ना :) आप भी यशोदा जी । चलिये दिल इसी से बहला लेते हैं ना गालिब रहा ना उसका खयाल । बहुत सुन्दर प्रस्तुति और अझेल 'उलूक' की एक और बकवास को आप के यहाँ ले आने पर आभार भी ।
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर संकलन......
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी !😊😊
बहुत सुंदर संकलन,बचपन की मीठी यादें,
जवाब देंहटाएंनारी विमर्श , जीवन की सच्चाई मानव मन मे उठते ख्यालात ।